हरिद्वार: भारत में पहली बार आयुर्वेद और पशु चिकित्सा को लेकर तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन हरिद्वार में किया जा रहा है. यह सेमिनार ऋषिकुल आयुर्वेद महाविद्यालय के प्रांगण में आयोजित किया गया है. कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय पशु चिकित्सा मंत्री संजीव बालियान ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया. सेमिनार में पशु चिकित्सा में आयुर्वेद चिकित्सा की संभावनाओं को तलाशने पर विचार विमर्श और मंथन होगा. इसको लेकर रिसर्च पेपर भी प्रस्तुत किए जाएंगे.
आयुर्वेद हमारी पुरानी परंपरा: इस मौके पर केंद्रीय पशु चिकित्सा मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि आयुर्वेद हमारी पुरानी परंपरा है. हमारे पूर्वज पहले से ही आयुर्वेद के माध्यम से पशुओं की चिकित्सा में अलग-अलग फार्मूले अपनाते थे. यह पहली शुरुआत है जिस तरीके से एलोपैथिक ट्रीटमेंट महंगा होता जा रहा है, विशेषकर पशुओं में तो मुझे लगता है कि यह अल्टरनेट चिकित्सा के तौर पर बहुत जरूरी है. कोरोना ही नहीं आपने देखा होगा जब पशुओं में एलएसडी आयी उसके ट्रीटमेंट में भी आयुर्वेद की बड़ी भूमिका रही है. कोरोना ने आदमियों में और पशुओं में एलएसडी ने दिखाया कि आयुर्वेद की क्या भूमिका है. अब इस पर काम शुरू हुआ है. उम्मीद करता हूं कि आने वाले समय में आयुर्वेद और तरक्की करेगा.
राहुल गांधी ने विदेश में गलत कहा- बालियान: वहीं, कई दिन से संसद न चलने को लेकर पत्रकारों ने संजीव बालियान से सवाल पूछा. जिसके जवाब में उन्होंने कहा राहुल गांधी का विदेश में जाकर इस तरह की बातें कहना गलत है. जिस परिवार ने वर्षों देश पर राज किया हो, वह परिवार ऐसी बात कहे ये सही नहीं है. किन परिस्थितियों में जिस परिवार ने देश को इमरजेंसी दी, जिस परिवार ने लोकतंत्र की कई बार हत्या की, वह अगर इस तरह के आरोप विदेश में जाकर लगाएंगे तो देश की छवि तो धूमिल होगी.
संजीव बालियान ने कहा इस तरह की बातें अपने देश के बारे में बाहर कहना देश की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो छवि है, वह धूमिल करने का प्रयास है. कहीं ना कहीं इस बात को राहुल गांधी को स्वीकार करना चाहिए. राहुल गांधी संसद में अपनी बात रखना चाहते हैं, लेकिन हम यह चाहते हैं पहले उन्होंने जो बाहर कहा है, वह तो बता दो. आपने क्यों कहा फिर बात भी रख लेंगे.
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आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति ये बोले: वहीं, आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुनील जोशी ने कहा कि पशु चिकित्सा और आयुर्वेद सेमिनार का विषय है. इससे जो वेटरनरी है, उसमें आयुर्वेद की संभावनाओं को तलाशा जाने का कार्य किया जा रहा है. सामान्य रूप से हम देखते हैं कि पशुओं की जो चिकित्सा होती है, वह पशुओं की प्रकृति से जुड़ी हुई चिकित्सा होती है. आज का जो पैरामीटर है उसके हिसाब से आयुर्वेद को इसका एक तरह से क्रेडिट नहीं मिल पाता है.
उन्होंने कहा आयुर्वेद औषधि वैज्ञानिक रूप से पशुओं की चिकित्सा में कार्य कर सकती है. इसके लिए आगे मंथन हो रहा है. 3 दिन तक पूरे देश भर से जो वेटरनरी साइंस और आयुर्वेद के विद्वान हैं, मिलकर वार्ता करेंगे. इस दौरान अपने विचारों का आदान प्रदान करेंगे. उसके माध्यम से कैसी चिकित्सा पद्धति का विकास कर सकते हैं ? इस पर मंथन चलेगा.
कार्यक्रम की अध्यक्षता देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ चिन्मय पंड्या ने की. कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भैया जी जोशी समेत अनेक पदाधिकारी मौजूद रहे. सेमिनार का आयोजन उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय और दीनदयाल कामधेनु गौशाला समिति मथुरा द्वारा संयुक्त रूप से किया गया.