लक्सरः नगर में स्थित अंबेडकर वृद्धाश्रम में दो बुजुर्ग महिलाएं रह रहीं है. इनमें एक महिला बेसहारा हैं तो दूसरी महिला अपनों से सताई और ठुकराई हुईं हैं. जिन्हें परिवार ने दर-दर भटकने के लिए छोड़ दिया है. अपनों की याद में आखें तो छलकती हैं, लेकिन आसरा ना होने पर अब वृद्धाश्रम ही उनके लिए आशियाना बना गया है. अब ये बूढ़ी और लाचार मां जिंदगी के आखिरी दिनों को बिता रही हैं.
बता दें कि, वृद्धाश्रम वृद्धाश्रम उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए होते हैं. जो अपने परिवारों के साथ नहीं रहते या निराश्रित होते हैं. लक्सर में भी वृद्ध महिलाओं को आसरा देने के लिए बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ट्रस्ट की ओर से अंबेडकर वृद्धाश्रम खोला गया है. जहां पर घर परिवार से निराश्रित होने के कारण परेशानियां उठा रहीं, दो महिलाएं को आसरा मिला है.
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इस समय अंबेडकर वृद्धाश्रम में घर और परिवार की उपेक्षा का दर्द झेल चुकी महिला वर्षा देवी (78) रह रहीं हैं. वो भीकमपुर की रहने वाली है. वृद्ध महिला ने बताया कि पति की मृत्यु होने के बाद वो घर पर रह रहीं थी, लेकिन ज्यादा वृद्ध होने के कारण उसके भाई और भतीजे ने घर में रखने से इनकार कर दिया. जिसके बाद उन्हें वृद्धाश्रम में सहारा मिला है.
दूसरी, वृद्ध महिला का नाम रामवती (75) है. वो राजस्थान की रहने वाली है. ये महिला रायसी गांव में घूमती मिली थी. जहां पर एक परिवार ने उन्हें आश्रय दिया. जिसके बाद उन्होंने वृद्धाश्रम के संचालक को सूचना दी. सूचना मिलने के बाद उसे वृद्धाश्रम में लाया गया. जहां पर दोनों महिलाएं अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं.
वहीं, अंबेडकर वृद्धाश्रम की संरक्षिका पूजा उपाध्याय ने बताया कि 13 अगस्त को इस वृद्धाश्रम की शुरूआत की गई थी. कई लोग आज भी बुजुर्गों को बोझ समझते हैं, ऐसे में उनके लिए वृद्धाश्रम की व्यवस्था की गई है. अब कोई भी बेसहारा महिलाएं इधर-उधर भटकती नजर नहीं आएंगी.