रुड़कीः भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (IIT Roorkee) में तीन दिवसीय वाटर कॉन्क्लेव शुरू हो गया है. कॉन्क्लेव के पहले दिन पानी की कमी, जल स्त्रोत, पानी स्टोर और पानी की शुद्धता आदि मुद्दों पर चर्चा की गई. वहीं, तीन दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में रिचर्स करने वाले वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं.
बता दें कि आईआईटी रुड़की में बुधवार से तीन दिवसीय वाटर कॉन्क्लेव शुरू हो गया है. जिसमें केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को वर्चुअल संबोधन करना था, लेकिन तकनीकी कारणों से उनका संबोधन नहीं हो पाया, लेकिन इस मौके पर आईआईटी रुड़की, एनआईएच, जलशक्ति मंत्रालय के अधिकारी मौजूद रहे. कार्यक्रम में जल प्रबंधन, सूखते जल स्रोतों को लेकर चर्चा हुई.
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वाटर कॉन्क्लेव में बताया गया कि आने वाले समय में पानी की कमी हो सकती है. इसको कैसे बचाया जा सकता है, इस सभी वैज्ञानिकों ने अपने विचार रखे. साथ ही उन्होंने बताया कि पानी कैसे स्टोर किया जाए? ताकि भविष्य में इसकी कमी न हो, साथ ही पानी की शुद्धता पर भी चर्चा हुई. वहीं, एनएमसीजी जलशक्ति मंत्रालय के महानिदेशक अशोक कुमार की मानें तो गंगोत्री से ऋषिकेश तक ही गंगा का पानी पीने लायक है.
आईआईटी रुड़की के निदेशक अजीत कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि रुड़की में पानी पर रिचर्स करने वाले काफी वैज्ञानिक हैं, लेकिन पॉलिसी लेबल पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. इसलिए पानी बचाना हम सबकी पहली प्राथमिकता है. ये सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण है, जिसमें पानी के स्त्रोत को लेकर चर्चाएं की जाएगी.