हरिद्वारः आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम (Azadi Ka Amrit Mahotsav) के तहत हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है. इसी कड़ी में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय ने एक विशाल तिरंगा यात्रा निकाली. यह तिरंगा यात्रा दयानंद द्वार से शुरू होकर विश्वविद्यालय परिसर शंकर आश्रम चौक, चंद्राचार्य चौक, प्रेम नगर आश्रम चौक होते हुए दयानंद स्टेडियम पहुंचकर संपन्न हुई. जिसमें काफी संख्या में शिक्षक, छात्र-छात्राओं के अलावा अन्य लोगों ने भाग लिया. इस दौरान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और देश के लिए शहीद जवानों को याद किया गया.
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार (Gurukul Kangri University Haridwar) ने तिरंगा यात्रा को राष्ट्र के लिए समर्पित किया. इसके माध्यम से हर संस्था और नागरिक देशभक्त बने, इसका संदेश देने का प्रयास किया गया. गुरुकुल कांगड़ी विवि के कुलपति रूप किशोर शास्त्री (Gurukul Kangri University Vice Chancellor Roop Kishore Shastri) का कहना है कि यह तिरंगा यात्रा राष्ट्र के लिए समर्पित है. गुरुकुल कांगड़ी विवि राष्ट्र के लिए समर्पित रहा है. आज उसी राष्ट्रीय चेतना के साथ यह तिरंगा यात्रा निकाली गई.
गुरुकुल कांगड़ी विवि में सेना का P55 टैंकः बता दें कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. गुरुकुल के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद महाराज ने देश की संस्कृति व अखंडता की रक्षा के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया था. यही वजह है कि भारतीय सेना ने विश्वविद्यालय को अपनी गौरव गाथा का प्रतीक टैंक दिया है. यह सेना का P55 टैंक (Army P55 Tank in Haridwar) है. इस टैंक ने साल 1971 की लड़ाई में पाकिस्तानियों के दांत खट्टे किए थे. गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में टैंक गौरव गाथा स्तंभ के रूप में भारतीय सेना के शौर्य को प्रकट कर रहा है. भारतीय सेना (Indian Army) ने विश्वविद्यालय को इस टैंक को वॉर ट्रॉफी के रूप में दिया है.
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गौर हो कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय (डीम्ड यूनिवर्सिटी) की स्थापना 4 मार्च 1902 को स्वामी श्रद्धानंद ने की थी. उनका एकमात्र उद्देश्य प्राचीन भारतीय गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करना था. हरिद्वार गंगा तट से विवि की दूरी लगभग 6 किमी है. जबकि, दिल्ली से इसकी दूरी करीब 200 किमी है. यह संस्थान वैदिक साहित्य, भारतीय दर्शन, भारतीय संस्कृति, आधुनिक विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्रों में शिक्षा प्रदान करके लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति के मुकाबले एक स्वदेशी विकल्प प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था. यह यूजीसी की ओर से पूरी तरह से वित्त पोषित विश्वविद्यालय है. जबकि, साल 1993 में कन्या गुरुकुल परिसर हरिद्वार की भी स्थापना की गई थी.