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हरिद्वार: कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने रोकी छात्रों की राह, 30 प्रतिशत ही पहुंच रहे कॉलेज

प्रदेश के सभी कॉलेजों ने छात्रों की भीड़ से बचने के लिए प्रथम चरण में केवल प्रयोगात्मक कक्षाओं वाले छात्र-छात्राओं को आमंत्रित किया. जिससे कॉलेज में करीब पचास फीसद छात्र-छात्राएं ही आने का नियम बना था. लेकिन कोरोना संक्रमण की बढ़ती दरों के कारण प्रयोगात्मक कक्षाओं वाले छात्र भी कॉलेज नहीं आ रहे हैं.

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हरिद्वार कोरोना न्यूज
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Published : Dec 26, 2020, 4:24 PM IST

हरिद्वार: राज्य सरकार के आदेश पर 15 दिसंबर को करीब नौ महीने बाद उत्तराखंड के सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटी खोल दी गई थी. कॉलेज खुलने के 11 दिन बाद भी छात्र कॉलेज नहीं पहुंच रहे हैं. हरिद्वार के उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय और एसएमजेएन पीजी कॉलेज में छात्रों की उपस्थिति काफी कम देखी जा रही है. 30 परसेंट के करीबी छात्र ही कॉलेज आ रहे हैं. वहीं, जो छात्र कॉलेज पहुंच रहे हैं, उनमें ज्यादातर प्रैक्टिकल सब्जेक्ट वाले छात्र हैं.

कॉलेजों में नहींं पहुंच रहे छात्र.

दरअसल, कोरोना संक्रमण ने उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्रों की राह रोक दी है. करीब नौ महीने बाद प्रदेश में उच्च शिक्षा संस्थान 15 दिसंबर के खुले थे, लेकिन इस दौरान कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद अभिभावकों अपने बच्चों को कॉलेज भेजने से बच रहे हैं. यही कारण है कि हरिद्वार के उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय और एसएमजेएन पीजी कॉलेज में न के बराबर ही छात्र आ रहे हैं.

पढ़ें- पुलिस से की थी झड़प, अब किसानों के खिलाफ होगी कार्रवाई

छात्रों का कहना है कि कोरोना के डर के कारण वह कॉलेज नहीं जा रहे हैं. ज्यादातर छात्र-छात्राएं ऑनलाइन माध्यम से ही क्लास अटेंड कर रहे हैं. उत्तराखंड संस्कृत यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि छात्रों के ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है. प्रैक्टिकल क्लास के लिए भी कोरोना से बचाव के लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं. कोरोना से सतर्कता बरतते हुए छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षण संस्थानों का रुख कम कर रहे हैं. फिलहाल, कॉलेज की अटेंडेंस सिर्फ 30 परसेंट के करीब है.

कमोबेश यही हाल हरिद्वार के सबसे बड़े एसएमजेएन पीजी कॉलेज का भी है. यहां के प्राचार्य डॉक्टर सुनील बत्रा ने बताया कि कॉलेज को खोलने के लिए सरकार ने जो दिशा-निर्देश जारी किए थे. उनका पूरा पालन किया जा रहा है. कक्षाओं में केवल एक तिहाई छात्र-छात्राओं को ही बैठाया जा रहा है, लेकिन एक तिहाई छात्रा में क्लॉस में नहीं आ रहे हैं. ज्यादातर प्रैक्टिकल सब्जेक्ट वाले विद्यार्थी ही कॉलेज में आ रहे हैं. फिलहाल, कॉलेज के अटेंडेंस पहले के मुकाबले लगभग 45 परसेंट के करीब ही है.

हरिद्वार: राज्य सरकार के आदेश पर 15 दिसंबर को करीब नौ महीने बाद उत्तराखंड के सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटी खोल दी गई थी. कॉलेज खुलने के 11 दिन बाद भी छात्र कॉलेज नहीं पहुंच रहे हैं. हरिद्वार के उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय और एसएमजेएन पीजी कॉलेज में छात्रों की उपस्थिति काफी कम देखी जा रही है. 30 परसेंट के करीबी छात्र ही कॉलेज आ रहे हैं. वहीं, जो छात्र कॉलेज पहुंच रहे हैं, उनमें ज्यादातर प्रैक्टिकल सब्जेक्ट वाले छात्र हैं.

कॉलेजों में नहींं पहुंच रहे छात्र.

दरअसल, कोरोना संक्रमण ने उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्रों की राह रोक दी है. करीब नौ महीने बाद प्रदेश में उच्च शिक्षा संस्थान 15 दिसंबर के खुले थे, लेकिन इस दौरान कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद अभिभावकों अपने बच्चों को कॉलेज भेजने से बच रहे हैं. यही कारण है कि हरिद्वार के उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय और एसएमजेएन पीजी कॉलेज में न के बराबर ही छात्र आ रहे हैं.

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छात्रों का कहना है कि कोरोना के डर के कारण वह कॉलेज नहीं जा रहे हैं. ज्यादातर छात्र-छात्राएं ऑनलाइन माध्यम से ही क्लास अटेंड कर रहे हैं. उत्तराखंड संस्कृत यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि छात्रों के ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है. प्रैक्टिकल क्लास के लिए भी कोरोना से बचाव के लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं. कोरोना से सतर्कता बरतते हुए छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षण संस्थानों का रुख कम कर रहे हैं. फिलहाल, कॉलेज की अटेंडेंस सिर्फ 30 परसेंट के करीब है.

कमोबेश यही हाल हरिद्वार के सबसे बड़े एसएमजेएन पीजी कॉलेज का भी है. यहां के प्राचार्य डॉक्टर सुनील बत्रा ने बताया कि कॉलेज को खोलने के लिए सरकार ने जो दिशा-निर्देश जारी किए थे. उनका पूरा पालन किया जा रहा है. कक्षाओं में केवल एक तिहाई छात्र-छात्राओं को ही बैठाया जा रहा है, लेकिन एक तिहाई छात्रा में क्लॉस में नहीं आ रहे हैं. ज्यादातर प्रैक्टिकल सब्जेक्ट वाले विद्यार्थी ही कॉलेज में आ रहे हैं. फिलहाल, कॉलेज के अटेंडेंस पहले के मुकाबले लगभग 45 परसेंट के करीब ही है.

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