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गंगा आरती के आधुनिकिकरण से नहीं एतराज, पौराणिक महत्ता में नहीं होगा बदलाव: गंगा सभा

पिछले 103 सालों से महामना भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा बनाई गई संस्था श्री गंगा सभा के प्रतिदिन बिना किसी गतिरोध के हरकी पैड़ी के ब्रह्मा कुंड पर दो बार गंगा आरती का आयोजन करती है. जिसका हिन्दू स्वाबिलंबियों के लिए खास महत्व है.

हरिद्वार गंगा आरती का नजारा.
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Published : May 27, 2019, 3:54 PM IST

Updated : May 27, 2019, 7:15 PM IST

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा आरती का अपना अलग ही महत्व है. जिसे देखने देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु यहां आते हैं. हरिद्वार में गंगा आरती अतीत से ही होती चली आ रही है. श्री गंगा सभा द्वारा गंगा आरती को भव्यता से ज्यादा पौराणिक विधि-विधान पर दिया जाता है. वहीं श्री गंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा ने कहा कि बताया कि आरती को आधुनिकिकरण के लिए सरकार यदि सहयोग करती है तो स्वागत है, बशर्ते गंगा आरती की पौराणिक महत्ता के साथ कोई बदलाव न किया जाए.

हरिद्वार में अतीत से होती है गंगा आरती.

पौराणिक मान्यता के अनुसार हरिद्वार में सबसे पहले साक्षात भगवान ब्रह्मा ने मां गंगा की आरती की थी. जिसके बाद गंगा आरती सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और अब कलयुग में भी जारी है. धर्मनगरी हरिद्वार में होने वाली गंगा आरती इतनी प्राचीन होने के बावजूद भव्य रूप नहीं ले सकी, जितनी वाराणसी एवं दूसरे शहरों में होती है. पिछले 103 सालों से महामना भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा बनाई गई संस्था श्री गंगा सभा के प्रतिदिन बिना किसी गतिरोध के हरकी पैड़ी के ब्रह्मा कुंड पर दो बार गंगा आरती का आयोजन करती है, जिसका हिन्दू स्वाबिलंबियों के लिए खास महत्व है.

ईटीवी भारत संवाददाता ने इस विषय में श्रीगंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा से बात की तो उन्होंने बताया कि धर्मनगरी हरिद्वार में होने वाली गंगा आरती देश के बाकी जगहों में होने वाली गंगा आरती से सबसे प्राचीन है, श्री गंगा सभा हर की पौड़ी पर गंगा आरती को आयोजित करते समय इसकी भव्यता से ज्यादा ध्यान इसके प्राचीन स्वरूप एवं इसके अध्यात्मिक विधि-विधान पर देती है. हरकी पैड़ी पर होने वाली गंगा आरती को पूर्ण विधि-विधान के साथ संपन्न कराया जाता है, जिसमें वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां गंगा का भव्य अभिषेक किया जाता है, जिसके बाद आरती में सम्मिलित होने वाले श्रद्धालुओं को गंगा स्वच्छता की कसम दिलाई जाती है.

इस प्रक्रिया के बाद ब्राह्मणों का एक दल पूर्ण पारंपरिक परिधान में मां गंगा की पारंपरिक तौर तरीकों से आरती करता है. पहले केवल चार ही ब्राह्मण मां गंगा की आरती किया करते थे, लेकिन अब श्री गंगा सभा द्वारा ब्राह्मणों की संख्या बढ़ाकर 11 कर दी गई है. श्री गंगा सभा अध्यक्ष प्रदीप झा ने बताया कि आरती को आधुनिकिकरण के लिए सरकार यदि सहयोग करती है स्वागत है, बशर्ते गंगा आरती की पौराणिक महत्ता के साथ कोई बदलाव न किया जाए.

युवा तीर्थ पुरोहित उज्ज्वल पंडित बताते है कि हरिद्वार के विश्व प्रसिद्ध हरकी पैड़ी पर होने वाली गंगा आरती शास्त्रों के अनुरूप ही की जाती है. यहां पौराणिक विधि विधान के साथ मां गंगा की पूजा एवं आरती संपन्न होती है. मां गंगा को दूध, दही चढ़ाकर अभिषेक किया जाता है. साथ ही मां गंगा का दिव्य श्रृंगार गुलाल रंग से सम्पन्न किया जाता है, जिसको देखने लाखों श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं.

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा आरती का अपना अलग ही महत्व है. जिसे देखने देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु यहां आते हैं. हरिद्वार में गंगा आरती अतीत से ही होती चली आ रही है. श्री गंगा सभा द्वारा गंगा आरती को भव्यता से ज्यादा पौराणिक विधि-विधान पर दिया जाता है. वहीं श्री गंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा ने कहा कि बताया कि आरती को आधुनिकिकरण के लिए सरकार यदि सहयोग करती है तो स्वागत है, बशर्ते गंगा आरती की पौराणिक महत्ता के साथ कोई बदलाव न किया जाए.

हरिद्वार में अतीत से होती है गंगा आरती.

पौराणिक मान्यता के अनुसार हरिद्वार में सबसे पहले साक्षात भगवान ब्रह्मा ने मां गंगा की आरती की थी. जिसके बाद गंगा आरती सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और अब कलयुग में भी जारी है. धर्मनगरी हरिद्वार में होने वाली गंगा आरती इतनी प्राचीन होने के बावजूद भव्य रूप नहीं ले सकी, जितनी वाराणसी एवं दूसरे शहरों में होती है. पिछले 103 सालों से महामना भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा बनाई गई संस्था श्री गंगा सभा के प्रतिदिन बिना किसी गतिरोध के हरकी पैड़ी के ब्रह्मा कुंड पर दो बार गंगा आरती का आयोजन करती है, जिसका हिन्दू स्वाबिलंबियों के लिए खास महत्व है.

ईटीवी भारत संवाददाता ने इस विषय में श्रीगंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा से बात की तो उन्होंने बताया कि धर्मनगरी हरिद्वार में होने वाली गंगा आरती देश के बाकी जगहों में होने वाली गंगा आरती से सबसे प्राचीन है, श्री गंगा सभा हर की पौड़ी पर गंगा आरती को आयोजित करते समय इसकी भव्यता से ज्यादा ध्यान इसके प्राचीन स्वरूप एवं इसके अध्यात्मिक विधि-विधान पर देती है. हरकी पैड़ी पर होने वाली गंगा आरती को पूर्ण विधि-विधान के साथ संपन्न कराया जाता है, जिसमें वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां गंगा का भव्य अभिषेक किया जाता है, जिसके बाद आरती में सम्मिलित होने वाले श्रद्धालुओं को गंगा स्वच्छता की कसम दिलाई जाती है.

इस प्रक्रिया के बाद ब्राह्मणों का एक दल पूर्ण पारंपरिक परिधान में मां गंगा की पारंपरिक तौर तरीकों से आरती करता है. पहले केवल चार ही ब्राह्मण मां गंगा की आरती किया करते थे, लेकिन अब श्री गंगा सभा द्वारा ब्राह्मणों की संख्या बढ़ाकर 11 कर दी गई है. श्री गंगा सभा अध्यक्ष प्रदीप झा ने बताया कि आरती को आधुनिकिकरण के लिए सरकार यदि सहयोग करती है स्वागत है, बशर्ते गंगा आरती की पौराणिक महत्ता के साथ कोई बदलाव न किया जाए.

युवा तीर्थ पुरोहित उज्ज्वल पंडित बताते है कि हरिद्वार के विश्व प्रसिद्ध हरकी पैड़ी पर होने वाली गंगा आरती शास्त्रों के अनुरूप ही की जाती है. यहां पौराणिक विधि विधान के साथ मां गंगा की पूजा एवं आरती संपन्न होती है. मां गंगा को दूध, दही चढ़ाकर अभिषेक किया जाता है. साथ ही मां गंगा का दिव्य श्रृंगार गुलाल रंग से सम्पन्न किया जाता है, जिसको देखने लाखों श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं.

Intro:एंकर- ऐसा माना जाता है कि हिंदुओं के सात पवित्र स्थलों में अपनी विशेष महत्ता रखने वाली धर्मनगरी हरिद्वार में आदिकाल से ही गंगा आरती चली आ रही है, मान्यताओं के अनुसार यहाँ सबसे पहले साक्षात भगवान ब्रह्मा ने मां गंगा की आरती की थी। जिसके बाद गंगा आरती सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और अब कलयुग में भी जारी है। धर्मनगरी हरीद्वार में होने वाली गंगा आरती इतनी प्राचीन होने के बावजूद इतनी भव्य रूप नहीं इख्तियार कर सकी है जितनी वाराणसी एवं दूसरे शहरों में होती है। ईटीवी भारत द्वारा जब इसके पीछे के कारण को जानने का प्रयास किया तो बड़ी ही दिलचस्प बात निकल कर सामने आयी।


Body:VO1 - पिछले 103 सालों से महामना भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा बना बनाई गई संस्था श्री गंगा सभा महा मना के आदेशानुसार प्रतिदिन बिना किसी गतिरोध के हर की पौड़ी के ब्रह्मा कुंड पर गंगा आरती का आयोजन प्रतिदिन दो बार करती है। जब ईटीवी भारत ने इस विषय में श्रीगंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा से बात की तो उन्होंने बताया कि धर्मनगरी हरिद्वार में होने वाली गंगा आरती देश के बाकी जगहों में होने वाली गंगा आरती से सबसे प्राचीन है, श्री गंगा सभा हर की पौड़ी पर गंगा आरती को आयोजित करते समय इसकी भव्यता से ज्यादा ध्यान इसके प्राचीन स्वरूप एवं इसके आध्यात्मिक विधि-विधान पर देती है। हरकी पौड़ी पर होने वाली गंगा आरती को पूर्ण विधि-विधान के साथ संपन्न कराया जाता है, जिसमें पहले पूर्ण विधान एवं मंत्रोच्चार के साथ माँ गंगा का भव्य अभिषेक किया जाता है, जिसके बाद आरती में सम्मिलित होने हरकी पौड़ी पहुंचे सभी गंगा भक्तों को गंगा स्वच्छता की कसम खिलाई जाती है, जिसके बाद ब्राह्मणों का एक दल पूर्ण पारंपरिक परिधान में मां गंगा की पारंपरिक तौर तरीकों से आरती करता है। पहले केवल चार ही ब्राह्मण मां गंगा की आरती किया करते थे लेकिन अब श्री गंगा सभा द्वारा ब्राह्मणों की संख्या बढ़ाकर 11 कर दी गई है। श्री गंगा सभा अध्यक्ष प्रदीप झा ने बताया कि आज के आधुनिक समय को देखते हैं गंगा आरती को और भव्यता देने के लिए सरकार कोई कदम उठाना चाहे जैसे गंगा आरती का लाइव प्रसारण आदि तो श्री गंगा सभा इसके लिए तैयार है बशर्ते गंगा आरती की पौराणिक महत्ता के साथ कोई बदलाव न किया जाए।


VO2- युवा तीर्थ पुरोहित उज्ज्वल पंडित बताते है कि हरिद्वार के विश्व प्रसिद्ध हरकी पौड़ी पर होने वाली गंगा आरती में शास्त्रों के अनुरूप की जाती है, यहाँ पौराणिक विधि विधान के साथ मां गंगा की पूजा एवं आरती संपन्न होती है जिसमें माँ गंगा को दूध, दही चढ़ा कर अभिषेक किया जाता है, साथ ही माँ गंगा का दिव्य सृंगार गुलाल, रंग आदि से सम्पन्न होता है जिससे देखने प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचते हैं। हरिद्वार की देखा देखी अब कई अन्य जगहों पर भी गंगा आरती की जाने लगी है लेकिन वहां शास्त्रों में वर्णित विधि-विधान से अलग केवल दिखावे पर प्रमुख फोकस रहता है, लेकिन हरिद्वार में आज भी इससे अलग गंगा आरती पूर्ण पौराणिक रूप में होती है।


Conclusion:बाइट- प्रदीप झा, अध्यक्ष, श्री गंगा सभा

बाइट- उज्ज्वल पंडित, युवा तीर्थ पुरोहित, हरिद्वार

पीटीसी

विसुअल
Last Updated : May 27, 2019, 7:15 PM IST
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