हरिद्वार: लोकसभा चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए बीजेपी कोई भी कसर छोड़ना नहीं चाहती है. धर्मनगरी में त्रिवेंद्र सरकार के 2 साल के कार्यकाल में विभिन्न योजनाओं का शुभारंभ हुआ. जिसमें सबसे बड़ा प्रोजेक्ट नमामि गंगे परियोजना है, इस परियोजना के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में 20 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा था. अब त्रिवेंद्र सरकार के 2 साल पूरे होने पर ये योजना कितनी धरातल पर उतर पाई है. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट......
पीएम नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे परियोजना जून 2014 में शुरू हुई. इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार 20,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था. इसके साथ ही साल 2020 से पहले गंगा को पूरी तरीके से निर्मल एवं अविरल करने का केंद्र सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया था. केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार में नमामि गंगे परियोजना के उम्दा काम की तारीफ अक्सर कई मंचों पर सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत करते दिखते हैं.
नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत उत्तराखण्ड को वर्ष 2015 से अबतक 439.34 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं. सूबे में नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत विभिन्न घाटों का निर्माण, STP निर्माण, गंगा स्वच्छता ड्राइव जैसे कई कदम उठाए जा रहे हैं. STP की बात करें तो उत्तराखण्ड में गंगोत्री, देवप्रयाग, तपोवन, हरिद्वार, कीर्तिनगर में नए STP का निर्माण किया जा रहा है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने बताया कि सरकार नमामि गंगे को लेकर जितने भी दावे कर रही है, वह सभी खोखले हैं. नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत गंगा को बचाने के लिए जो काम किया जाना चाहिए, उस काम को न करके सारे पैसे घाटों के निर्माण और STP निर्माण में खर्च किए जा रहे हैं.
दूसरी तरफ हरिद्वार में गंगा के लिए काम करने वाली विंग भगीरथ संस्था के प्रमुख गंगा एक्टिविस्ट शिखर पालीवाल का कहना है कि नमामि गंगे के अंतर्गत जो भी काम किए जा रहे हैं, वो बहुत ही अच्छे तरीके से हो रहे हैं. साथ ही नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत लोगों में जागरूकता फैलाने का काम किया जा रहा है. जो जीव गंगा प्रदूषण के चलते खत्म हो रहे थे, वो एक बार फिर गंगा नदी में दिखने लगे हैं, जोकि एक सकारात्मक परिणाम को दर्शाता है.
गंगा पर काम करने गंगा एक्टिविस्ट रामेश्वर गौड़ ने बताया कि नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत जितनी क्षमता के STP बनाए जा रहे हैं. वो गंगा में पूरी तरह से दूषित जल जाने से रोकने में असमर्थ हैं. साथ ही नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत जो घाट बनाए जा रहे है उसका कोई अर्थ नहीं है.
इसके साथ ही जब ईटीवी भारत की टीम ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से उनके 2 सालों के कार्यकाल में नमामि गंगे परियोजना के कामों के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि नमामि गंगे के अंतर्गत राज्य में बहुत अच्छा काम हुआ है. राज्य में कई घाटों का निर्माण होने के साथ ही कई एसटीपी प्लांट बन रहे हैं. इसके साथ ही मोक्ष ग्रह बन रहे हैं. सीएम रावत ने बताया कि कुछ नालों की टैपिंग का कार्य अधूरा है जोकि आने वाले चार से पांच सालों में पूरा कर लिया जाएगा.