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त्रिवेंद्र सरकार के 2 साल के कार्यकाल में आखिर कितनी साफ हुई गंगा, देखिए ग्राउंड रिपोर्ट

पीएम नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे परियोजना जून 2014 में शुरू हुई. इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार 20,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था. इसके साथ ही साल 2020 से पहले गंगा को पूरी तरीके से निर्मल एवं अविरल करने का केंद्र सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया था. आखिर कितनी साफ हुई गंगा, देखिए स्पेशल रिपोर्ट

नमामि गंगे पर स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : Mar 11, 2019, 11:05 AM IST

Updated : Mar 11, 2019, 2:14 PM IST

हरिद्वार: लोकसभा चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए बीजेपी कोई भी कसर छोड़ना नहीं चाहती है. धर्मनगरी में त्रिवेंद्र सरकार के 2 साल के कार्यकाल में विभिन्न योजनाओं का शुभारंभ हुआ. जिसमें सबसे बड़ा प्रोजेक्ट नमामि गंगे परियोजना है, इस परियोजना के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में 20 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा था. अब त्रिवेंद्र सरकार के 2 साल पूरे होने पर ये योजना कितनी धरातल पर उतर पाई है. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट......

पीएम नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे परियोजना जून 2014 में शुरू हुई. इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार 20,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था. इसके साथ ही साल 2020 से पहले गंगा को पूरी तरीके से निर्मल एवं अविरल करने का केंद्र सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया था. केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार में नमामि गंगे परियोजना के उम्दा काम की तारीफ अक्सर कई मंचों पर सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत करते दिखते हैं.

नमामि गंगे पर स्पेशल रिपोर्ट.

नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत उत्तराखण्ड को वर्ष 2015 से अबतक 439.34 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं. सूबे में नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत विभिन्न घाटों का निर्माण, STP निर्माण, गंगा स्वच्छता ड्राइव जैसे कई कदम उठाए जा रहे हैं. STP की बात करें तो उत्तराखण्ड में गंगोत्री, देवप्रयाग, तपोवन, हरिद्वार, कीर्तिनगर में नए STP का निर्माण किया जा रहा है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने बताया कि सरकार नमामि गंगे को लेकर जितने भी दावे कर रही है, वह सभी खोखले हैं. नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत गंगा को बचाने के लिए जो काम किया जाना चाहिए, उस काम को न करके सारे पैसे घाटों के निर्माण और STP निर्माण में खर्च किए जा रहे हैं.

दूसरी तरफ हरिद्वार में गंगा के लिए काम करने वाली विंग भगीरथ संस्था के प्रमुख गंगा एक्टिविस्ट शिखर पालीवाल का कहना है कि नमामि गंगे के अंतर्गत जो भी काम किए जा रहे हैं, वो बहुत ही अच्छे तरीके से हो रहे हैं. साथ ही नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत लोगों में जागरूकता फैलाने का काम किया जा रहा है. जो जीव गंगा प्रदूषण के चलते खत्म हो रहे थे, वो एक बार फिर गंगा नदी में दिखने लगे हैं, जोकि एक सकारात्मक परिणाम को दर्शाता है.

गंगा पर काम करने गंगा एक्टिविस्ट रामेश्वर गौड़ ने बताया कि नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत जितनी क्षमता के STP बनाए जा रहे हैं. वो गंगा में पूरी तरह से दूषित जल जाने से रोकने में असमर्थ हैं. साथ ही नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत जो घाट बनाए जा रहे है उसका कोई अर्थ नहीं है.

इसके साथ ही जब ईटीवी भारत की टीम ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से उनके 2 सालों के कार्यकाल में नमामि गंगे परियोजना के कामों के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि नमामि गंगे के अंतर्गत राज्य में बहुत अच्छा काम हुआ है. राज्य में कई घाटों का निर्माण होने के साथ ही कई एसटीपी प्लांट बन रहे हैं. इसके साथ ही मोक्ष ग्रह बन रहे हैं. सीएम रावत ने बताया कि कुछ नालों की टैपिंग का कार्य अधूरा है जोकि आने वाले चार से पांच सालों में पूरा कर लिया जाएगा.

हरिद्वार: लोकसभा चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए बीजेपी कोई भी कसर छोड़ना नहीं चाहती है. धर्मनगरी में त्रिवेंद्र सरकार के 2 साल के कार्यकाल में विभिन्न योजनाओं का शुभारंभ हुआ. जिसमें सबसे बड़ा प्रोजेक्ट नमामि गंगे परियोजना है, इस परियोजना के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में 20 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा था. अब त्रिवेंद्र सरकार के 2 साल पूरे होने पर ये योजना कितनी धरातल पर उतर पाई है. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट......

पीएम नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे परियोजना जून 2014 में शुरू हुई. इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार 20,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था. इसके साथ ही साल 2020 से पहले गंगा को पूरी तरीके से निर्मल एवं अविरल करने का केंद्र सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया था. केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार में नमामि गंगे परियोजना के उम्दा काम की तारीफ अक्सर कई मंचों पर सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत करते दिखते हैं.

नमामि गंगे पर स्पेशल रिपोर्ट.

नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत उत्तराखण्ड को वर्ष 2015 से अबतक 439.34 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं. सूबे में नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत विभिन्न घाटों का निर्माण, STP निर्माण, गंगा स्वच्छता ड्राइव जैसे कई कदम उठाए जा रहे हैं. STP की बात करें तो उत्तराखण्ड में गंगोत्री, देवप्रयाग, तपोवन, हरिद्वार, कीर्तिनगर में नए STP का निर्माण किया जा रहा है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने बताया कि सरकार नमामि गंगे को लेकर जितने भी दावे कर रही है, वह सभी खोखले हैं. नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत गंगा को बचाने के लिए जो काम किया जाना चाहिए, उस काम को न करके सारे पैसे घाटों के निर्माण और STP निर्माण में खर्च किए जा रहे हैं.

दूसरी तरफ हरिद्वार में गंगा के लिए काम करने वाली विंग भगीरथ संस्था के प्रमुख गंगा एक्टिविस्ट शिखर पालीवाल का कहना है कि नमामि गंगे के अंतर्गत जो भी काम किए जा रहे हैं, वो बहुत ही अच्छे तरीके से हो रहे हैं. साथ ही नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत लोगों में जागरूकता फैलाने का काम किया जा रहा है. जो जीव गंगा प्रदूषण के चलते खत्म हो रहे थे, वो एक बार फिर गंगा नदी में दिखने लगे हैं, जोकि एक सकारात्मक परिणाम को दर्शाता है.

गंगा पर काम करने गंगा एक्टिविस्ट रामेश्वर गौड़ ने बताया कि नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत जितनी क्षमता के STP बनाए जा रहे हैं. वो गंगा में पूरी तरह से दूषित जल जाने से रोकने में असमर्थ हैं. साथ ही नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत जो घाट बनाए जा रहे है उसका कोई अर्थ नहीं है.

इसके साथ ही जब ईटीवी भारत की टीम ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से उनके 2 सालों के कार्यकाल में नमामि गंगे परियोजना के कामों के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि नमामि गंगे के अंतर्गत राज्य में बहुत अच्छा काम हुआ है. राज्य में कई घाटों का निर्माण होने के साथ ही कई एसटीपी प्लांट बन रहे हैं. इसके साथ ही मोक्ष ग्रह बन रहे हैं. सीएम रावत ने बताया कि कुछ नालों की टैपिंग का कार्य अधूरा है जोकि आने वाले चार से पांच सालों में पूरा कर लिया जाएगा.

Intro:एंकर - गंगा के जीर्णोध्दार के लिए शुरू की गयी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है नमामी गंगे परियोजना। जून 2014 शुरू हुई इस परियोजना के लिए 20,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था और लक्ष्य रखा गया था 2020 से पहले गंगा को पूरी तरीके से निर्मल एवं अविरल करने का। केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार में नमामी गंगे परियोजना के उम्दा काम की तारीफ अक्सर कई मंचों मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत करते दिखते हैं, ऐसे में सूबे में त्रिवेन्द्र सरकार के 2 साल पूरे होने पर ईटीवी भारत द्वारा उत्तराखण्ड में नमामी गंगे परियोजना को लेकर गहराई से अध्ययन एवं समीक्षा की है, देखिए रिपोर्ट


Body:VO - नमामी गंगे परियोजना के अंतर्गत उत्तराखण्ड को वर्ष 2015 से अबतक 439.34 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। उत्तराखंड में नमामी गंगे परियोजना के अंतर्गत विभिन्न घाटों का निर्माण, STP निर्माण, गंगा स्वच्छता ड्राइव जैसे कई कदम उठाए जा रहे हैं। STP की बात करें तो उत्तराखण्ड में गंगोत्री, देवप्रयाग, तपोवन, हरिद्वार, किर्तिनगर में नए STP का निर्माण किया जा रहा है। ईटीवी भारत ने जब नमामी गंगे परियोजना को लेकर गंगा पर काम कर रहे लोगों से बात की तो क्या निकलकर आया देखिए। ईटीवी भारत से बात करते हुए गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रही संस्था मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद का कहना है कि सरकार नमामि गंगे को लेकर जितने भी दावे कर रही है वह सभी खोखले है, नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत गंगा को बचाने के लिए जो काम किया जाना चाहिए वह नहीं किया जा रहा बल्कि सारे पैसे घाटों के निर्माण और STP निर्माण में खर्च किया जा रहे हैं, बल्कि गंगा के जीर्णोद्धार के लिए तो गंगा की जीवनी शक्तियों को बचाने की आवश्यकता है जोकि डेम्स बनने के कारण गंगा की अविरल धारा रुकने से खत्म हो रही है। वहीं दूसरी तरफ हरिद्वार में एक्टिव रूप से गंगा के लिए काम करने वाली बिंग भगीरथ संस्था के प्रमुख गंगा एक्टिविस्ट शिखर पालीवाल का कहना है कि नमामि गंगे के अंतर्गत जो भी काम किए जा रहे हैं वह बहुत ही अच्छे हैं, नमामी गंगे परियोजना के अंतर्गत लोगों में गंगा के प्रति जागरूक लाने का प्रयास, गंगा को निर्मल बनाने के लिए किए जा रहे तमाम कार्य बहुत ही प्रभावी साबित हो रहे हैं जिसका असर अब दिखने भी लगा है जिससे गंगा में रहने वाले जीव जो जल प्रदूषित होने की वहज खत्म होने की कगार पर पहुंच गए थे वह फिरसे गंगा में दिखने लगे हैं जोकी अपने आप में एक सकारात्मक असर है। वहीं गंगा पर काम करने गंगा एक्टिविस्ट रामेश्वर गौड़ का कहना है नमामी गंगे परियोजना के अंतर्गत जितनी क्षमता के STP बनाए जा रहे हैं वह गंगा में पूरी तरह से दूषित जल जाने से रोकने में असमर्थ है, साथ ही नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत जो घाट बनाए जा रहे है उसका कोई अर्थ नहीं है, नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत हुआ कार्य नहीं किया जा रहा है जिसकी सच में आवश्यकता है।


Conclusion:VO2- ईटीवी भारत ने जब मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से उनके 2 सालों के कार्यकाल में नमामि गंगे परियोजना के राज्य में हुए कामों के बारे में पूछा तो मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि नमामि गंगे के अंतर्गत राज्य में बहुत अच्छा काम हुआ है, राज्य में कई घाटों का निर्माण हुआ हैज़ कई एसटीपी प्लांट बन रहे हैं, मोक्षा ग्रह बन रहे हैं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि कुछ नालों की टैपिंग का कार्य अधूरा है जो कि आने वाले चार पांच बहनों में पूरा कर लिया जाएगा।


बाइट- स्वामी शिवानंद, परमाध्यक्ष, मातृ सदन

बाइट- शिखर पालीवाल, गंगा एक्टिविस्ट

बाइट- रामेश्वर गौड़, गंगा एक्टिविस्ट

बाइट- त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड

PTC


नोट- इस स्टोरी में कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत की बाइट देहरादून से होनी है ।
Last Updated : Mar 11, 2019, 2:14 PM IST
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