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हरिद्वार कुंभ में फर्जी टेस्टिंग की जांच डेढ़ महीने बाद भी जारी, कार्रवाई कब?

हरिद्वार कुंभ में कोरोना टेस्टिंग के नाम पर हुए फर्जीवाड़ा मामले में जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है. डेढ़ माह का वक्त बीत चुका है फिर भी एसआईटी की जांच जारी है.

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कुंभ कोरोना जांच फर्जीवाड़ा
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Published : Aug 8, 2021, 4:00 PM IST

देहरादून: कुंभ कोविड टेस्टिंग फर्जीवाड़ा मामले में जांच अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है. डेढ़ महीने से भी अधिक का समय बीत जाने के बाद पुलिस की एसआईटी टीम एक आरोपी को ही गिरफ्तार कर पाई है.

हालांकि, पुलिस लगातार आरोपियों के ठिकाने पर दबिश देकर उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है. पिछले 2 दिनों से मैक्स कॉरपोरेट के पार्टनर की गिरफ्तारी के लिए पुलिस उत्तराखंड, यूपी और दिल्ली के कई ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है.

एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस का कहना है कि एसआईटी की जांच का दायरा काफी बड़ा है. सभी पहलुओं पर विचार करके कार्रवाई की जा रही है. आरोपियों की गिरफ्तारी पर स्टे खत्म होने के बाद पुलिस गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही है.

फर्जी टेस्टिंग की जांच डेढ़ महीने बाद भी जारी.

ये भी पढ़ें: राज्य आंदोलनकारियों का CM आवास कूच, पुलिस से हुई धक्का-मुक्की

वहीं, दूसरी ओर जिलाधिकारी द्वारा बनाई गई टीम, जिसमें जांच अधिकारी हरिद्वार के सीडीओ सौरभ गंगवार को बनाया था. उस जांच की भी अभी तक रिपोर्ट सबमिट नहीं की गई है. काफी समय से हरिद्वार के पूर्व जिलाधिकारी सी रविशंकर का कहना था की जांच पूरी हो गई है और जल्द ही सबमिट कर दी जाएगी.

जिसके बाद सी रविशंकर का ट्रांसफर होने के बाद जांच रिपोर्ट अब तक सबमिट नहीं हुई है. वहीं इस मामले पर जांच अधिकारी सौरभ गंगवार का कहना है कि जांच का दायरा बड़ा होने के कारण उसे सबमिट करने में समय लग रहा है. जल्दी ही जांच जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी.

पंजाब के इस व्यक्ति ने किया था फर्जीवाड़े का खुलासा: बता दें कि हरिद्वार कुंभ में श्रद्धालुओं और साधु-संतों की जांच के लिए सरकार ने 11 लैबों को अधिकृत किया था. कुंभ के दौरान कुछ कोरोना जांच रिपोर्ट फर्जी पाई गई थी. इसका खुलासा भी पंजाब के एक व्यक्ति ने किया था.

दरअसल, पंजाब के एक व्यक्ति को फोन गया था कि उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है, जो उन्होंने हरिद्वार में कराई थी. लेकिन हैरानी की बात ये थी कि उक्त व्यक्ति कुंभ के दौरान हरिद्वार ही नहीं आया था और न ही उसने कोई टेस्ट कराया था. ऐसे में उसने मामले की पूरी जानकारी स्थानीय प्रशासन को दी, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.

एक किट से 700 से अधिक सैंपलिंग: जानकारी ये भी सामने आई थी कि एक ही एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी. इसके साथ ही टेस्टिंग लिस्ट में सैकड़ों व्यक्तियों के नाम पर एक ही फोन नंबर अंकित था. स्वास्थ्य विभाग की जांच में दूसरे लैब का भी यही हाल सामने आता है. जांच के दौरान लैब में लोगों के नाम-पते और मोबाइल नंबर फर्जी पाए गए हैं. इसके बाद यह मामला साफ हो गया कि कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया है.

करोड़ों रुपए का घोटाला: कुंभ के दौरान जो प्रदेश में दरें लागू थीं उसके अनुसार प्रदेश में एंटीजन टेस्ट के लिए निजी लैब को 300 रुपये दिए जाते थे, वहीं आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए तीन श्रेणियां बनाई गई थी. सरकारी सेटअप से लिए गए सैंपल सिर्फ जांच के लिए निजी लैब को देने पर प्रति सैंपल 400 रुपये का भुगतान करना होता है. निजी लैब खुद कोविड जांच के लिए नमूना लेती है तो उस सूरत में उसे 700 रुपये का भुगतान होता है. वहीं घर जाकर सैंपल लेने पर 900 रुपए का भुगतान होता है. इन दरों में समय-समय पर बदलाव किया जाता है. निजी लैब को 30 प्रतिशत भुगतान पहले ही किया जा चुका था.

देहरादून: कुंभ कोविड टेस्टिंग फर्जीवाड़ा मामले में जांच अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है. डेढ़ महीने से भी अधिक का समय बीत जाने के बाद पुलिस की एसआईटी टीम एक आरोपी को ही गिरफ्तार कर पाई है.

हालांकि, पुलिस लगातार आरोपियों के ठिकाने पर दबिश देकर उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है. पिछले 2 दिनों से मैक्स कॉरपोरेट के पार्टनर की गिरफ्तारी के लिए पुलिस उत्तराखंड, यूपी और दिल्ली के कई ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है.

एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस का कहना है कि एसआईटी की जांच का दायरा काफी बड़ा है. सभी पहलुओं पर विचार करके कार्रवाई की जा रही है. आरोपियों की गिरफ्तारी पर स्टे खत्म होने के बाद पुलिस गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही है.

फर्जी टेस्टिंग की जांच डेढ़ महीने बाद भी जारी.

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वहीं, दूसरी ओर जिलाधिकारी द्वारा बनाई गई टीम, जिसमें जांच अधिकारी हरिद्वार के सीडीओ सौरभ गंगवार को बनाया था. उस जांच की भी अभी तक रिपोर्ट सबमिट नहीं की गई है. काफी समय से हरिद्वार के पूर्व जिलाधिकारी सी रविशंकर का कहना था की जांच पूरी हो गई है और जल्द ही सबमिट कर दी जाएगी.

जिसके बाद सी रविशंकर का ट्रांसफर होने के बाद जांच रिपोर्ट अब तक सबमिट नहीं हुई है. वहीं इस मामले पर जांच अधिकारी सौरभ गंगवार का कहना है कि जांच का दायरा बड़ा होने के कारण उसे सबमिट करने में समय लग रहा है. जल्दी ही जांच जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी.

पंजाब के इस व्यक्ति ने किया था फर्जीवाड़े का खुलासा: बता दें कि हरिद्वार कुंभ में श्रद्धालुओं और साधु-संतों की जांच के लिए सरकार ने 11 लैबों को अधिकृत किया था. कुंभ के दौरान कुछ कोरोना जांच रिपोर्ट फर्जी पाई गई थी. इसका खुलासा भी पंजाब के एक व्यक्ति ने किया था.

दरअसल, पंजाब के एक व्यक्ति को फोन गया था कि उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है, जो उन्होंने हरिद्वार में कराई थी. लेकिन हैरानी की बात ये थी कि उक्त व्यक्ति कुंभ के दौरान हरिद्वार ही नहीं आया था और न ही उसने कोई टेस्ट कराया था. ऐसे में उसने मामले की पूरी जानकारी स्थानीय प्रशासन को दी, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.

एक किट से 700 से अधिक सैंपलिंग: जानकारी ये भी सामने आई थी कि एक ही एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी. इसके साथ ही टेस्टिंग लिस्ट में सैकड़ों व्यक्तियों के नाम पर एक ही फोन नंबर अंकित था. स्वास्थ्य विभाग की जांच में दूसरे लैब का भी यही हाल सामने आता है. जांच के दौरान लैब में लोगों के नाम-पते और मोबाइल नंबर फर्जी पाए गए हैं. इसके बाद यह मामला साफ हो गया कि कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया है.

करोड़ों रुपए का घोटाला: कुंभ के दौरान जो प्रदेश में दरें लागू थीं उसके अनुसार प्रदेश में एंटीजन टेस्ट के लिए निजी लैब को 300 रुपये दिए जाते थे, वहीं आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए तीन श्रेणियां बनाई गई थी. सरकारी सेटअप से लिए गए सैंपल सिर्फ जांच के लिए निजी लैब को देने पर प्रति सैंपल 400 रुपये का भुगतान करना होता है. निजी लैब खुद कोविड जांच के लिए नमूना लेती है तो उस सूरत में उसे 700 रुपये का भुगतान होता है. वहीं घर जाकर सैंपल लेने पर 900 रुपए का भुगतान होता है. इन दरों में समय-समय पर बदलाव किया जाता है. निजी लैब को 30 प्रतिशत भुगतान पहले ही किया जा चुका था.

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