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शांतिकुंज में मनाया गया शैलदीदी का 68वां जन्मदिन, बच्चों ने की स्वस्थ जीवन की कामना

हरिद्वार के शांतिकुंज में अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी का 68वां जन्मदिन सादगी के साथ मनाया गया. इस दैरान शांतिकुंज के कार्यकर्ता और गायत्री विद्यापीठ के बच्चों ने उन्हें गुलदस्ता भेंटकर अच्छे स्वस्थ जीवन की मंगलकामना की.

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शैलदीदी का 68वां जन्मदिन.
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Published : Dec 8, 2019, 7:28 PM IST

हरिद्वार: शांतिकुंज में अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी का 68वां जन्मदिन मनाया गया. शैलदीदी का जन्म 1953 में गीता जयंती के दिन हुआ था. दीपयज्ञ के साथ जन्मोत्स्व का वैदिक कर्मकांड पूरा किया गया. जिसके बाद उन्होंने 1926 से प्रज्वलित सिद्ध अखंड दीपक का दर्शन कर ऋषियुग्म के चरण पादुकाओं से आशीष लिया. अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पंड्या, व्यवस्थापक शिवप्रसाद मिश्र सहित शांतिकुंज के कार्यकर्ता भाई-बहनों और गायत्री विद्यापीठ के बच्चों ने गुलदस्ता भेंटकर अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी के स्वस्थ जीवन की मंगलकामना की.

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शैलदीदी का 68वां जन्मदिन.

यह भी पढ़ें: खुशखबरी: जनवरी 2016 से मिलेगी रिटायर्ड कर्मचारियों की बढ़ी हुई पेंशन

श्रद्धेया शैल दीदी के जीवन पर एक नजर

बता दें कि श्रद्धेया शैलदीदी का प्रारंभिक जीवन मथुरा में बीता. देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय इंदौर से साइकोलॉजी में पीजी और शोध करने के बाद अपना जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया. अपनी विद्यार्थी जीवन में स्काउट गाइड के क्षेत्र में भी अनेक पुरस्कार प्राप्त किए. इस दौरान अपने शिक्षकों के प्रिय छात्राओं में से शैलदीदी एक रही हैं. शैलदीदी अपनी पढ़ाई के अलावा पिता गायत्री परिवार के संस्थापक व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के कार्यों में भी बढ़ चढ़कर भागीदारी करती रही हैं. साथ ही पतितों के उद्धार के साथ भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी पूरी तरह लगी रहीं.

यह भी पढ़ें: प्याज की माला पहनकर सड़क पर उतरे कांग्रेसी, सरकार का फूंका पुतला

जिस तरह गायत्री परिवार की संस्थापिका माता भगवती देवी स्नेह, करुणा, उदारता, समता और ममता की प्रतिमूर्ति थीं. उसी तरह शैलदीदी उदार हृदय के साथ समाज सेवा में तत्पर हैं. उनकी प्रेरणा और गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पंड्या के मार्गदर्शन से शांतिकुंज में आपदा प्रबंधन दल की टीम सदैव सेवा सहयोग के लिए तैयार रहती है. जिससे प्राकृतिक आपदा के समय पीड़ितों की सहायता की जा सके. निश्चय ही नारी जाति ही नहीं, सम्पूर्ण समाज के लिए शैलदीदी एक आदर्श स्वरूप व प्रेरणा स्रोत हैं.

हरिद्वार: शांतिकुंज में अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी का 68वां जन्मदिन मनाया गया. शैलदीदी का जन्म 1953 में गीता जयंती के दिन हुआ था. दीपयज्ञ के साथ जन्मोत्स्व का वैदिक कर्मकांड पूरा किया गया. जिसके बाद उन्होंने 1926 से प्रज्वलित सिद्ध अखंड दीपक का दर्शन कर ऋषियुग्म के चरण पादुकाओं से आशीष लिया. अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पंड्या, व्यवस्थापक शिवप्रसाद मिश्र सहित शांतिकुंज के कार्यकर्ता भाई-बहनों और गायत्री विद्यापीठ के बच्चों ने गुलदस्ता भेंटकर अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी के स्वस्थ जीवन की मंगलकामना की.

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शैलदीदी का 68वां जन्मदिन.

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श्रद्धेया शैल दीदी के जीवन पर एक नजर

बता दें कि श्रद्धेया शैलदीदी का प्रारंभिक जीवन मथुरा में बीता. देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय इंदौर से साइकोलॉजी में पीजी और शोध करने के बाद अपना जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया. अपनी विद्यार्थी जीवन में स्काउट गाइड के क्षेत्र में भी अनेक पुरस्कार प्राप्त किए. इस दौरान अपने शिक्षकों के प्रिय छात्राओं में से शैलदीदी एक रही हैं. शैलदीदी अपनी पढ़ाई के अलावा पिता गायत्री परिवार के संस्थापक व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के कार्यों में भी बढ़ चढ़कर भागीदारी करती रही हैं. साथ ही पतितों के उद्धार के साथ भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी पूरी तरह लगी रहीं.

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जिस तरह गायत्री परिवार की संस्थापिका माता भगवती देवी स्नेह, करुणा, उदारता, समता और ममता की प्रतिमूर्ति थीं. उसी तरह शैलदीदी उदार हृदय के साथ समाज सेवा में तत्पर हैं. उनकी प्रेरणा और गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पंड्या के मार्गदर्शन से शांतिकुंज में आपदा प्रबंधन दल की टीम सदैव सेवा सहयोग के लिए तैयार रहती है. जिससे प्राकृतिक आपदा के समय पीड़ितों की सहायता की जा सके. निश्चय ही नारी जाति ही नहीं, सम्पूर्ण समाज के लिए शैलदीदी एक आदर्श स्वरूप व प्रेरणा स्रोत हैं.

Intro:एंकर:-हरिद्वार शांतिकुंज में आज  अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी का 68वाँ जन्मदिन सादगी के साथ मनाया गया। उनका जन्म 1953 में गीता जयंती के दिन हुआ था। दीपयज्ञ के साथ जन्मदिवसोत्सव का वैदिक कर्मकाण्ड पूरा किया गया। तत्पश्चात वे 1926 से प्रज्वलित सिद्ध अखण्ड दीपक का दर्शन कर ऋषियुग्म के चरण पादुकाओं से आशीष लिया। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या, व्यवस्थापक श्री शिवप्रसाद मिश्र सहित शांतिकुंज के कार्यकर्ता भाई-बहिनों एवं गायत्री विद्यापीठ के बच्चों ने गुलदस्ता भेंटकर अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी  के  स्वस्थ जीवन की मंगलकामना की।Body:vo  1 :-श्रद्धेया शैल दीदी का प्रारंभिक जीवन भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में बीता। देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय इंदौर से साइकोलॉजी में पीजी एवं शोध करने के बाद अपना जीवन समाजोत्थान हेतु समर्पित कर दिया। अपनी विद्यार्थी जीवन में स्काउट गाइड के क्षेत्र में भी अनेक पुरस्कार प्राप्त की। इस दौरान अपने शिक्षकों के प्रिय छात्राओं में से एक रहीं। शैलदीदी अपनी पढ़ाई से अलावा अपने पूज्य पिता गायत्री परिवार के संस्थापक व महान् स्वतंत्रता संग्राम सेनानी युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के कार्यों में भी बढ़ चढ़कर भागीदारी करती रही। समाज व राष्ट्र के हित में सदैव कार्य करने वाली शैलदीदी कालेज के पढ़ाई के दौरान ही अपना जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया था।उन्होंने ऋषियुग्म पूज्य आचार्यश्री एवं वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा जी के बताये सूत्रों पर चलते हुए विभिन्न रचनात्मक अभियान, नारी जागरण, बाल संस्कार, युवाओं को दिशा देने व पीड़ित मानवता की सेवा करने जैसे सेवापरक कार्यों में पूर्णतः समर्पित कर दिया है। साथ ही पतितों के उद्धार के साथ भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी पूर्ण रूप से संलग्न रहीं। जिस तरह गायत्री परिवार की संस्थापिका माता भगवती देवी स्नेह, करुणा, उदारता, समता और ममता की प्रतिमूर्ति थीं, उसी तरह शैलदीदी उदार हृदय के साथ समाज सेवा में तत्पर हैं। उनकी प्रेरणा तथा गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी के मार्गदर्शन से शांतिकुंज में आपदा प्रबन्धन दल की टीम सदैव सेवा सहयोग के लिए तैयार रहती है, ताकि प्राकृतिक या दैवीय आपदा के समय यथाशीघ्र पहुँचकर पीड़ित मानवता की सहायता की जा सके। निश्चय ही नारी जाति ही नहीं, सम्पूर्ण समाज के लिए शैल दीदी एक आदर्श स्वरूप व प्रेरणा स्रोत हैं।  Conclusion:
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