हरिद्वार: शांतिकुंज में अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी का 68वां जन्मदिन मनाया गया. शैलदीदी का जन्म 1953 में गीता जयंती के दिन हुआ था. दीपयज्ञ के साथ जन्मोत्स्व का वैदिक कर्मकांड पूरा किया गया. जिसके बाद उन्होंने 1926 से प्रज्वलित सिद्ध अखंड दीपक का दर्शन कर ऋषियुग्म के चरण पादुकाओं से आशीष लिया. अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पंड्या, व्यवस्थापक शिवप्रसाद मिश्र सहित शांतिकुंज के कार्यकर्ता भाई-बहनों और गायत्री विद्यापीठ के बच्चों ने गुलदस्ता भेंटकर अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी के स्वस्थ जीवन की मंगलकामना की.
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श्रद्धेया शैल दीदी के जीवन पर एक नजर
बता दें कि श्रद्धेया शैलदीदी का प्रारंभिक जीवन मथुरा में बीता. देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय इंदौर से साइकोलॉजी में पीजी और शोध करने के बाद अपना जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया. अपनी विद्यार्थी जीवन में स्काउट गाइड के क्षेत्र में भी अनेक पुरस्कार प्राप्त किए. इस दौरान अपने शिक्षकों के प्रिय छात्राओं में से शैलदीदी एक रही हैं. शैलदीदी अपनी पढ़ाई के अलावा पिता गायत्री परिवार के संस्थापक व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के कार्यों में भी बढ़ चढ़कर भागीदारी करती रही हैं. साथ ही पतितों के उद्धार के साथ भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी पूरी तरह लगी रहीं.
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जिस तरह गायत्री परिवार की संस्थापिका माता भगवती देवी स्नेह, करुणा, उदारता, समता और ममता की प्रतिमूर्ति थीं. उसी तरह शैलदीदी उदार हृदय के साथ समाज सेवा में तत्पर हैं. उनकी प्रेरणा और गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पंड्या के मार्गदर्शन से शांतिकुंज में आपदा प्रबंधन दल की टीम सदैव सेवा सहयोग के लिए तैयार रहती है. जिससे प्राकृतिक आपदा के समय पीड़ितों की सहायता की जा सके. निश्चय ही नारी जाति ही नहीं, सम्पूर्ण समाज के लिए शैलदीदी एक आदर्श स्वरूप व प्रेरणा स्रोत हैं.