हरिद्वार: गंगा की रक्षा के लिए 182 दिन से अनशनरत ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद की 27 अप्रैल से जल त्यागने की घोषणा के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है. आत्मबोधानंद को मनाने के लिए मंगलवार को हरिद्वार एसडीएम और सीओ मातृ सदन पहुंचे थे. लेकिन आत्मबोधानंद ने साफ कर दिया है कि जबतक उनकी मांगें नहीं मानी जाएगी वे अपना प्रण नहीं तोड़ेंगे.
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मातृ सदन में आत्मबोधानंद से मिलने के बाद एसडीएम कुसम चौहान ने कहा कि उनकी मांगों के बारे में शासन को जानकारी दी जाएगी. अंतिम निर्णय सरकार को ही लेना है. प्रशासन की कोशिश है कि आत्मबोधानंद का अनशन समाप्त करा दिया जाए.
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मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने कहा कि प्रोफेसर जीडी अग्रवाल (स्वामी सानंद) की मौत के बाद प्रशासन ने उनसे किसी तरह की कोई वार्ता करने की कोशिश नहीं की है. आज प्रशासन के अधिकारी क्यों आए हैं, वे नहीं जानते? इसका जवाब तो वही देंगे. स्वामी शिवानंद ने कहा कि यदि 25 अप्रैल तक आत्मबोधानंद की मांगें नहीं मानी जाती है तो 27 अप्रैल से मातृ सदन का एक और संत आमरण अनशन करेगा. जिसकी तमाम जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी. मातृ सदन पिछले कई सालों से गंगा में हो रहे अवैध खनन सहित कई मांगों को लेकर अनशन करते आए हैं. बावजूद मातृ सदन की मांगें कभी नहीं मानी गई हैं.