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आत्मबोधानंद के जल त्यागने की सूचना पर प्रशासनिक अमला पहुंचा मातृ सदन, उल्टे पांव लौटा - गंगा रक्षा

मातृ सदन में आत्मबोधानंद से मिलने के बाद एसडीएम कुसम चौहान ने कहा कि उनकी मांगों के बारे में शासन को जानकारी दी जाएगी.

haridwar
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Published : Apr 23, 2019, 10:25 PM IST

हरिद्वार: गंगा की रक्षा के लिए 182 दिन से अनशनरत ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद की 27 अप्रैल से जल त्यागने की घोषणा के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है. आत्मबोधानंद को मनाने के लिए मंगलवार को हरिद्वार एसडीएम और सीओ मातृ सदन पहुंचे थे. लेकिन आत्मबोधानंद ने साफ कर दिया है कि जबतक उनकी मांगें नहीं मानी जाएगी वे अपना प्रण नहीं तोड़ेंगे.

आत्मबोधानंद से मिला प्रशासन

पढ़ें- भारतीय सेना की शान है उत्तराखंडी खुखरी, अमेरिकी सेना ने अपनाई गोरखा रेजिमेंट की ये शान

मातृ सदन में आत्मबोधानंद से मिलने के बाद एसडीएम कुसम चौहान ने कहा कि उनकी मांगों के बारे में शासन को जानकारी दी जाएगी. अंतिम निर्णय सरकार को ही लेना है. प्रशासन की कोशिश है कि आत्मबोधानंद का अनशन समाप्त करा दिया जाए.

पढ़ें- स्वामी शिवानंद बोले- आत्मबोधानंद को कुछ होता है तो इसके लिए 6 लोग होंगे जिम्मेदार

मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने कहा कि प्रोफेसर जीडी अग्रवाल (स्वामी सानंद) की मौत के बाद प्रशासन ने उनसे किसी तरह की कोई वार्ता करने की कोशिश नहीं की है. आज प्रशासन के अधिकारी क्यों आए हैं, वे नहीं जानते? इसका जवाब तो वही देंगे. स्वामी शिवानंद ने कहा कि यदि 25 अप्रैल तक आत्मबोधानंद की मांगें नहीं मानी जाती है तो 27 अप्रैल से मातृ सदन का एक और संत आमरण अनशन करेगा. जिसकी तमाम जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी. मातृ सदन पिछले कई सालों से गंगा में हो रहे अवैध खनन सहित कई मांगों को लेकर अनशन करते आए हैं. बावजूद मातृ सदन की मांगें कभी नहीं मानी गई हैं.

हरिद्वार: गंगा की रक्षा के लिए 182 दिन से अनशनरत ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद की 27 अप्रैल से जल त्यागने की घोषणा के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है. आत्मबोधानंद को मनाने के लिए मंगलवार को हरिद्वार एसडीएम और सीओ मातृ सदन पहुंचे थे. लेकिन आत्मबोधानंद ने साफ कर दिया है कि जबतक उनकी मांगें नहीं मानी जाएगी वे अपना प्रण नहीं तोड़ेंगे.

आत्मबोधानंद से मिला प्रशासन

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मातृ सदन में आत्मबोधानंद से मिलने के बाद एसडीएम कुसम चौहान ने कहा कि उनकी मांगों के बारे में शासन को जानकारी दी जाएगी. अंतिम निर्णय सरकार को ही लेना है. प्रशासन की कोशिश है कि आत्मबोधानंद का अनशन समाप्त करा दिया जाए.

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मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने कहा कि प्रोफेसर जीडी अग्रवाल (स्वामी सानंद) की मौत के बाद प्रशासन ने उनसे किसी तरह की कोई वार्ता करने की कोशिश नहीं की है. आज प्रशासन के अधिकारी क्यों आए हैं, वे नहीं जानते? इसका जवाब तो वही देंगे. स्वामी शिवानंद ने कहा कि यदि 25 अप्रैल तक आत्मबोधानंद की मांगें नहीं मानी जाती है तो 27 अप्रैल से मातृ सदन का एक और संत आमरण अनशन करेगा. जिसकी तमाम जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी. मातृ सदन पिछले कई सालों से गंगा में हो रहे अवैध खनन सहित कई मांगों को लेकर अनशन करते आए हैं. बावजूद मातृ सदन की मांगें कभी नहीं मानी गई हैं.

Intro:मातृ सदन के अनशन रत संत स्वामी आत्म बोध आनंद के 27 अप्रैल से जल त्याग ने की घोषणा से प्रशासन में हड़कंप मच गया है हमारी खबर दिखाए जाने के बाद आज एसडीएम और सीओ ने संत को मनाने का प्रयास किया लेकिन अपनी मांगे पूरी होने तक उन्होंने अनशन समाप्त ना करने की घोषणा कर दी है संत ने एक वीडियो वायरल कर देश के प्रधानमंत्री से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री और डीएम हरिद्वार को उनकी मौत होने की सूरत में जिम्मेदार ठहराया है वही वार्ता करने पहुंची एसडीएम ने कहा कि स्वामी की मांगों से शासन को प्रेषित किया जाएगा अंतिम निर्णय सरकार को ही लेना है उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश है कि वह अनशन रत संत का अनशन समाप्त करा दे


Body:मातृ सदन पिछले कई वर्षों से गंगा में हो रहे अवैध खनन सहित कई मांगों को लेकर अनशन करता आया है मातृ सदन के दो संत इस अनशन की राह में अपनी जिंदगी भी कुर्बान कर चुके हैं लेकिन बावजूद इसके मातृ सदन की मांगे आज तक नहीं मानी गई है मातृ सदन के परम अध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती का कहना है कि प्रोफेसर जी डी अग्रवाल स्वामी सानंद की मौत के बाद प्रशासन ने उनसे किसी तरह की कोई वार्ता करने की कोशिश नहीं की है आज प्रशासन के अधिकारी क्यों आए हैं नहीं जानते इसका जवाब तो वही देंगे वही शिवानंद ने घोषणा करते हुए कहा कि यदि 25 अप्रैल तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती है तो 27 अप्रैल से मातृ सदन का एक और संत आमरण अनशन करेगा जिसकी तमाम जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी

बाइट-- स्वामी शिवानंद--परमाध्यक्ष मातृ सदन

प्रशासन चाहे कितने दावे करें लेकिन उसे शायद अनशन रत संत की ज़िंदगी से कोई सरोकार नहीं है इस बात का दावा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 182 दिन से चल रहे अनशन के बीच किसी अधिकारी ने यहां आने की जरूरत नहीं समझी अब जब संत ने जल त्याग देने की घोषणा कर दी है तो अधिकारी मातृ सदन पहुंच गए हैं एसडीएम कुसम चौहान का कहना है कि अनशन समाप्त करने के लिए मातृ सदन के साथ वार्ता की गई है उन्हें साफ कहा गया है कि जो भी उनकी मांगे है वह बता दे और उनकी मांगों को शासन को प्रेषित कर दिया जाएगा

बाइट--कुसम चौहान--एसडीएम हरिद्वार


Conclusion:गंगा को लेकर मातृ सदन द्वारा चलाए जा रहे अभियान का असर शासन प्रशासन पर होता नजर नहीं आ रहा है दो संतों की मौत के बावजूद आज तक मातृ सदन की मांगे जस की तस बनी हुई है अब देखना यह होगा कि एक बार फिर एक संत मौत की राह पर चलने को तैयार है लेकिन क्या सरकार इस बार उनकी मांगे मानती है या पहले की तरह ही एक और संत को बलिदान की भेंट पर चढ़ाती है
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