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पंचक लगने से पांच दिनों तक कांवड़ यात्रा पर लगा ब्रेक, ये है मान्यता

सावन मास की कांवड़ यात्रा पर पंचक के कारण अब ब्रेक लग गया है और इन 5 दिनों में कावड़ियों की भारी भीड़ हरिद्वार में जुटनी शुरू हो जाएगी. शास्त्रों के अनुसार जब भी घनिष्ठा, शतभिषा, पूभा, उभी और रेवती नक्षत्र एक साथ पड़ते हैं, तब बांस से बने सामान को खरीदना और स्पर्श करना अशुभ माना जाता है.

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Published : Jul 19, 2019, 4:25 PM IST

कांवड़ यात्रा.

हरिद्वार: सावन महीने में पंचक आज से शुरू हो गए है. धार्मिक मान्यता के अनुसार पंचक में किसी भी शुभ कार्य को नहीं करना चाहिए. वहीं इस वक्त देश की सबसे बड़ी धार्मिक कांवड़ यात्रा चल रही है. पंचक लग जाने से कांवड़िये 5 दिनों तक कांवड़ नहीं उठाएंगे. क्योंकि माना जाता है कि पंचक के दौरान बांस से बने सामान की खरीदारी और उसका स्पर्श करना अशुभ माना जाता है. जिससे पांच दिनों तक कांवड़ यात्रा पर ब्रेक लग गया है. पंचक समाप्त होने के बाद ही कांवड़ यात्रा शुरू करेंगे.

पंचक लगने से पांच दिनों तक कांवड़ यात्रा पर लगा ब्रेक.

सावन मास की कांवड़ यात्रा पर पंचक के कारण अब ब्रेक लग गया है और इन 5 दिनों में कावड़ियों की भारी भीड़ हरिद्वार में जुटनी शुरू हो जाएगी. शास्त्रों के अनुसार जब भी घनिष्ठा, शतभिषा, पूभा, उभी और रेवती नक्षत्र एक साथ पड़ते हैं, तब बांस से बने सामान को खरीदना और स्पर्श करना अशुभ माना जाता है. ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि पांच नक्षत्र ऐसे होते हैं, जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.

पढ़ें-ऋषिकेश: लक्ष्मणझूला पुल पूरी तरह से बंद, प्रशासन ने किया सील

इसलिए जब किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक काल में हो जाती है और जिस लकड़ी का प्रयोग उसकी चिता बनाने में होता है उसको एक बार खरीदे पर 5 बार खरीदनी पड़ेगी. पुराने समय में दरवाजे की चौखट और छत पर भी पैर नहीं लगाया करते थे, इसलिए अगर पंचक लगे हो तो बांस से बने किसी भी सामान को न खरीदें. कांवड़िये कांवड़ में जल भरकर न उठाएं, क्यों कि कांवड़िये पंचक में कांवड़ को उठा लेते हैं तो उनको 5 बार कांवड़ उठानी पड़ेगी.

प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि आज से शुरू हुआ पंचक बुधवार को समाप्त होगा. इसलिए कांवड़ियों को पंचक समाप्ति के बाद ही कांवड़ उठानी चाहिए, जिससे उनको 5 गुना फल की प्राप्ति होगी. हरिद्वार गंगाजल भरकर कांवड़ ले जाने वाले कांवड़ियों का कहना है कि पंचक के दौरान कांवड़ को नहीं उठाया जाता है.

क्योंकि पंचक काल को अशुभ माना जाता है और पंचक में कांवड़ उठाने पर कई दुर्घटनाएं भी घट सकती है. पंचक में कांवड़ उठाने से रास्ते में कई समस्या उत्पन्न हो सकती है, इसलिए पंचक लगने से पहले ही कांवड़ उठा लेते हैं. इसका शास्त्रों में भी वर्णन है कि पंचक में बांस से बनी किसी भी वस्तु को छूना भी अशुभ माना जाता है.

हरिद्वार: सावन महीने में पंचक आज से शुरू हो गए है. धार्मिक मान्यता के अनुसार पंचक में किसी भी शुभ कार्य को नहीं करना चाहिए. वहीं इस वक्त देश की सबसे बड़ी धार्मिक कांवड़ यात्रा चल रही है. पंचक लग जाने से कांवड़िये 5 दिनों तक कांवड़ नहीं उठाएंगे. क्योंकि माना जाता है कि पंचक के दौरान बांस से बने सामान की खरीदारी और उसका स्पर्श करना अशुभ माना जाता है. जिससे पांच दिनों तक कांवड़ यात्रा पर ब्रेक लग गया है. पंचक समाप्त होने के बाद ही कांवड़ यात्रा शुरू करेंगे.

पंचक लगने से पांच दिनों तक कांवड़ यात्रा पर लगा ब्रेक.

सावन मास की कांवड़ यात्रा पर पंचक के कारण अब ब्रेक लग गया है और इन 5 दिनों में कावड़ियों की भारी भीड़ हरिद्वार में जुटनी शुरू हो जाएगी. शास्त्रों के अनुसार जब भी घनिष्ठा, शतभिषा, पूभा, उभी और रेवती नक्षत्र एक साथ पड़ते हैं, तब बांस से बने सामान को खरीदना और स्पर्श करना अशुभ माना जाता है. ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि पांच नक्षत्र ऐसे होते हैं, जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.

पढ़ें-ऋषिकेश: लक्ष्मणझूला पुल पूरी तरह से बंद, प्रशासन ने किया सील

इसलिए जब किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक काल में हो जाती है और जिस लकड़ी का प्रयोग उसकी चिता बनाने में होता है उसको एक बार खरीदे पर 5 बार खरीदनी पड़ेगी. पुराने समय में दरवाजे की चौखट और छत पर भी पैर नहीं लगाया करते थे, इसलिए अगर पंचक लगे हो तो बांस से बने किसी भी सामान को न खरीदें. कांवड़िये कांवड़ में जल भरकर न उठाएं, क्यों कि कांवड़िये पंचक में कांवड़ को उठा लेते हैं तो उनको 5 बार कांवड़ उठानी पड़ेगी.

प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि आज से शुरू हुआ पंचक बुधवार को समाप्त होगा. इसलिए कांवड़ियों को पंचक समाप्ति के बाद ही कांवड़ उठानी चाहिए, जिससे उनको 5 गुना फल की प्राप्ति होगी. हरिद्वार गंगाजल भरकर कांवड़ ले जाने वाले कांवड़ियों का कहना है कि पंचक के दौरान कांवड़ को नहीं उठाया जाता है.

क्योंकि पंचक काल को अशुभ माना जाता है और पंचक में कांवड़ उठाने पर कई दुर्घटनाएं भी घट सकती है. पंचक में कांवड़ उठाने से रास्ते में कई समस्या उत्पन्न हो सकती है, इसलिए पंचक लगने से पहले ही कांवड़ उठा लेते हैं. इसका शास्त्रों में भी वर्णन है कि पंचक में बांस से बनी किसी भी वस्तु को छूना भी अशुभ माना जाता है.

Intro:आज से शुरू हो गया है पंचक और शास्त्रों के अनुसार पंचक लगने पर कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं इस वक्त देश की सबसे बड़ी धार्मिक कावड़ यात्रा चल रही है इस कावड़ यात्रा में पंचक लग जाने से कावड़ियों द्वारा अपने कांधे पर 5 दिनों तक कावड़ नहीं उठाई जाएगी क्योंकि कहा जाता है कि पंचक के दौरान बांस से बने सामान की खरीदारी और उसका स्पर्श वंचित माना जाता है कावड़ बांस से बनाई जाती है इसलिए अब कावड़िया 5 दिनों तक कावड़ यात्रा नहीं कर सकेंगे इस कावड़ यात्रा में कांवड़िए लगातार अब हरिद्वार में जुटना शुरू हो जाएगे और पंचक समाप्त होने के बाद कांधे पर कांवर उठा कर अपने गंतव्य की और शिव का अभिषेक करने रवाना होना शुरू हो जाएगे


Body:श्रावण मास की कावड़ यात्रा पर पंचक के कारण अब ब्रेक लग गया है और इस 5 दिनों में कावड़ियों की भारी भीड़ हरिद्वार में जुटना शुरू हो जाएगी शास्त्रों के अनुसार जब भी घनिष्ठा शतभिषा पूभा उभी और रेवती नक्षत्र एक साथ पड़ते हैं तब बांस से बने सामान को खरीदना और स्पर्श करना वंचित होता है ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि पांच नक्षत्र ऐसे होते हैं जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है इसलिए जब किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक काल में हो जाती है और जिस लकड़ी का प्रयोग उसकी चिता बनाने में होता है उसको आप एक बार खरीदोगे तो आपको 5 बार खरीदनी पड़ेगी पुराने समय में दरवाजे की चौखट और छत पर भी पैर नहीं लगाया करते थे इसलिए अगर पंचक लगे हो तो बांस से बने किसी भी सामान को ना खरीदें कावड़िए कावड़ में जल भरकर ना उठाएं कावड़ बांस की लकड़ी से बनी होती है और कावड़िये पंचक में कावड़ को उठा लेते हैं तो उनको 5 बार कावड़ उठानी पड़ेगी प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि आज से शुरू हुआ पंचक बुधवार को समाप्त होगा इसलिए कावड़ियों को पंचक समाप्ति के बाद ही कावड़ उठानी चाहिए जिससे उनको 5 गुना फल की प्राप्ति होगी

बाइट--प्रतीक मिश्रपुरी--ज्योतिषाचार्य

हरिद्वार गंगाजल भरकर कावड़ ले जाने वाले कांवरियों का कहना है कि पंचक के दौरान कावड़ को नहीं उठाया जाता है क्योंकि पंचक काल को अशुभ माना जाता है और पंचक में कावड़ उठाने पर कई दुर्घटनाएं भी घट सकती है पंचक में कावड़ उठाने से रास्ते में कई समस्या उत्पन्न हो सकती है इसलिए हम पंचक लगने से पहले ही कावड़ उठा लेते हैं इसका शास्त्रों में भी वर्णन है कि पंचक में बांस से बनी किसी भी वस्तु को छूना भी वंचित माना जाता है

बाइट--कावड़िये


Conclusion:पंचक लगने से अब 5 दिन तक हरिद्वार कावड़ यात्रा में कांवरिया कावड़ नहीं उठाएंगे पंचक काल को कावड़िया अशुभ मानते हैं इसलिए कावड़िए पंचक लगने से पहले ही गंगाजल भरकर कावड़ को उठा लेते हैं और पंचक काल से पहले ही हरिद्वार से अपने गंतव्य की ओर रवाना हो जाते हैं मगर कई ऐसे भी कावड़ी होते हैं जो पंचक काल को नहीं मानते हैं और पंचक में कावड़ को उठा लेते हैं मगर ऐसे लोगों की संख्या बहुत ही कम होती है
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