हरिद्वार: सावन महीने में पंचक आज से शुरू हो गए है. धार्मिक मान्यता के अनुसार पंचक में किसी भी शुभ कार्य को नहीं करना चाहिए. वहीं इस वक्त देश की सबसे बड़ी धार्मिक कांवड़ यात्रा चल रही है. पंचक लग जाने से कांवड़िये 5 दिनों तक कांवड़ नहीं उठाएंगे. क्योंकि माना जाता है कि पंचक के दौरान बांस से बने सामान की खरीदारी और उसका स्पर्श करना अशुभ माना जाता है. जिससे पांच दिनों तक कांवड़ यात्रा पर ब्रेक लग गया है. पंचक समाप्त होने के बाद ही कांवड़ यात्रा शुरू करेंगे.
सावन मास की कांवड़ यात्रा पर पंचक के कारण अब ब्रेक लग गया है और इन 5 दिनों में कावड़ियों की भारी भीड़ हरिद्वार में जुटनी शुरू हो जाएगी. शास्त्रों के अनुसार जब भी घनिष्ठा, शतभिषा, पूभा, उभी और रेवती नक्षत्र एक साथ पड़ते हैं, तब बांस से बने सामान को खरीदना और स्पर्श करना अशुभ माना जाता है. ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि पांच नक्षत्र ऐसे होते हैं, जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
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इसलिए जब किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक काल में हो जाती है और जिस लकड़ी का प्रयोग उसकी चिता बनाने में होता है उसको एक बार खरीदे पर 5 बार खरीदनी पड़ेगी. पुराने समय में दरवाजे की चौखट और छत पर भी पैर नहीं लगाया करते थे, इसलिए अगर पंचक लगे हो तो बांस से बने किसी भी सामान को न खरीदें. कांवड़िये कांवड़ में जल भरकर न उठाएं, क्यों कि कांवड़िये पंचक में कांवड़ को उठा लेते हैं तो उनको 5 बार कांवड़ उठानी पड़ेगी.
प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि आज से शुरू हुआ पंचक बुधवार को समाप्त होगा. इसलिए कांवड़ियों को पंचक समाप्ति के बाद ही कांवड़ उठानी चाहिए, जिससे उनको 5 गुना फल की प्राप्ति होगी. हरिद्वार गंगाजल भरकर कांवड़ ले जाने वाले कांवड़ियों का कहना है कि पंचक के दौरान कांवड़ को नहीं उठाया जाता है.
क्योंकि पंचक काल को अशुभ माना जाता है और पंचक में कांवड़ उठाने पर कई दुर्घटनाएं भी घट सकती है. पंचक में कांवड़ उठाने से रास्ते में कई समस्या उत्पन्न हो सकती है, इसलिए पंचक लगने से पहले ही कांवड़ उठा लेते हैं. इसका शास्त्रों में भी वर्णन है कि पंचक में बांस से बनी किसी भी वस्तु को छूना भी अशुभ माना जाता है.