हरिद्वार: कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने भी चमोली में ग्लेशियर टूटने की घटना पर परमाणु विकिरण की वजह को लेकर शंका जाहिर की है. उनका कहना है कि चमोली से ऊपर के पहाड़ों पर चीन की गतिविधियों पर निगाह रखने के लिए जो प्लूटोनियम पैक वहां स्थापित किया गया था वो लंबे समय से गायब है. उन्होंने प्लूटोनियम पैक को भी इस हादसे की वजह की आशंका जताते हुए इस पैक का पता लगाए जाने की भी जरूरत बताई है.
सतपाल महाराज ने आशंका जताई है कि हादसे का कनेक्शन चमोली के ऊपरी पहाड़ों पर चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए रखे गए प्लूटोनियम पैक से हो सकता है. उन्होंने कहा कि वहां रखा गया प्लूटोनियम पैक लंबे समय से गायब है, जिसके बारे में उन्होंने सांसद रहते हुए लोकसभा में भी इस पैक के बारे में पता लगाने को लेकर सवाल पूछा था ? उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में इस तरह से ग्लेशियर का टूटना बेहद चिंता का विषय है. प्लूटोनियम पैक का गायब होना बहुत गंभीर मामला है और उस प्लूटोनियम पैक का पता लगाया जाना चाहिए.
सतपाल महाराज ने हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियरों पर निगाह रखने और परीक्षण करने के लिए उत्तराखंड सिंचाई विभाग में एक अलग विभाग बनाने का भी एलान किया है. उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग के तहत ही एक अलग विभाग काम करेगा, ताकि हिमालयी क्षेत्रों की क्लोज मॉनिटरिंग की जा सके, जिससे एवलॉन्च व ग्लेशियर टूटने जैसी घटनाओं के बारे में पूर्व में ही जानकारी मिल सके और इस तरह के हादसों को रोका जा सके.
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सतपाल महाराज ने उत्तराखंड में बन रही जल विद्युत परियोजनाओं को लेकर कहा कि इनके बारे में फिर से गंभीरता के साथ विचार करने की जरूरत है. जिस तरह से ग्लेशियर पिघल रहे हैं वह भविष्य के लिए भी बड़ी चिंता का विषय है. इसलिए सभी निर्माणाधीन और प्रस्तावित परियोजनाओं का पुनः परीक्षण किया जाना चाहिए.
बता दें, 7 फरवरी को चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद ऋषिगंगा में आये सैलाब ने भयंकर तबाही मचाई. रैणी गांव में बन रहा ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट तो तबाह हो ही गया बल्कि इस सैलाब ने सैकड़ों जिंदगियों को भी लील लिया. राहत बचाव कार्यों में जुटी एजेंसियों ने अब तक 56 शव बरामद किये हैं. वहीं, 148 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश लगातार जारी है.