हरिद्वार: ब्रह्मलीन स्वामी मुक्तानंद महाराज की स्मृति में पतंजलि विश्वविद्यालय सभागार में आज श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. जिसमें सनातन संस्कृति से जुड़े देश के शीर्ष संतगणों ने अपनी भावांजलि, सुमनांजलि, कुसुमांजलि भेंट की.
इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा स्वामी मुक्तानंद महाराज एक निष्काम भाव, सच्चे संत व पतंजलि की ऊर्जा के केन्द्र थे. वे एक जीवनमुक्त महापुरुष, प्रबल प्रकृति प्रेमी, वैयाकरण विद्वान्, योगी महात्मा संन्यासी थे. उनके प्रति कृतज्ञता, उपकारों का पुण्य स्मरण करते हुए उनकी सप्तदशी का यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है. उन्होंने कहा उनके महाप्रयाण पर पतंजलि योगपीठ परिवार के साथ-साथ पूरा संत समाज शोक संतप्त है.
इस अवसर पर बाबा रामदेव ने बड़ा ऐलान किया. उन्होंने कहा कि हमने तय किया है कि पतंजलि का उत्तराधिकारी 'परिवारिक' या सांसारिक व्यक्ति (संसारी) नहीं होगा, बल्कि संत होंगे. गौरतलब है कि बाबा रामदेव ने विवाह नहीं किया. आचार्य बालकृष्ण भी गृहस्थ आश्रम से दूर हैं. स्वामी मुक्तानंद भी सांसारिक व्यक्ति नहीं थे. इन तीनों ने योग और आयुर्वेद को अपना जीवन समर्पित किया है.
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इस अवसर उन्होंने कहा मुक्तानंद चाहते थे कि पतंजलि योगपीठ आध्यात्मिक दृष्टि से, आंतरिक दृष्टि से सुदृढ़ हो, पतंजलि के संन्यासी अत्यंत यशस्वी हों, संस्था की राष्ट्र और विश्वव्यापी योजनाओं का नेतृत्व हमारे संन्यासी करें. आने वाले 5-10 वर्षों में हमारे संन्यासी इतने समर्थ हो जाएंगे कि एक स्वामी मुक्तानंद नहीं यहां सैकड़ों स्वामी मुक्तानंद उसी संकल्प से अनुप्राणित होकर योगधर्म, ऋषिधर्म को निभाएंगे, ऐसा मेरा विश्वास है.
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इस अवसर पर जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद महाराज ने कहा स्वामी मुक्तानंद महाराज परमार्थ का दूसरा नाम हैं. जिस प्रकार पेड़-पौधे-फूल अपना सब कुछ दूसरों को अर्पण कर देते हैं, उसी प्रकार उन्होंने भी दूसरों के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया.