रुड़की: अंग्रेजी शासन काल में बने पुरानी गंगनहर के पुल बड़े हादसों को न्यौता दे रहे हैं. सभी पुल जर्जर हो चुके हैं. सम्बन्धित विभाग ने सभी पुराने पुलों पर चेतावनी बोर्ड लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है. वहीं राहगीर इन क्षतिग्रस्त पुलों से गुजरने को मजबूर हैं. कलियर, धनौरी, मेहवड़ सहित रुड़की में अपनी मियाद पूरी कर चुके पुराने पुल मौत का रास्ता बन चुके हैं और शासन प्रशासन कुम्भकर्णी नींद सोया हुआ है.
ऐसे में पुलों से गुजरने वाले राहगीरों को जान हथेली पर लेकर पुल पार करना पड़ रहा है. बता दें कि रुड़की क्षेत्र के करीब आधा दर्जन पुलों की हालत क्षतिग्रस्त है, वहीं सबसे ज्यादा आवाजाही वाले केंद्र भी कुछ समय पूर्व कलियर में बना पुरानी गंगनहर का पुल लगभग 1 फीट अपनी जगह से खिसक गया था, जिसके चलते पुल में बड़ी-बड़ी दरारें भी आ गयीं थीं.
अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों ने पुल का मुआयना कर मरम्मत कराने की बातें कही थी. साथ ही लगभग एक माह पूर्व धनौरी के पुल में भी बड़ी बड़ी दरारें आ गयीं. दोनों पुलों पर भारी वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया, जिससे क्षेत्र में जाम की समस्या उतपन्न हो गई.
दूसरी ओर विभाग ने पुलों पर चेतावनी बोर्ड लगाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली और अब ये पुल किसी बड़े हादसे को दावत दे रहे हैं. वहीं दर्जनों गांवों को जोड़ने वाला पिरान कलियर और धनौरी पुरानी गंगनहर का पुल मौत का रास्ता बन चुका है.
फिलहाल इन पुलों पर भारी वाहनों के आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है. हालांकि मोटरसाइकिल और पैदल चलने वाली राहगीर इन्ही पुलों से गुजर रहे हैं, जो बेहद खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि सम्बंधित विभाग ने चेतावनी बोर्ड में साफ- साफ लिखा है कि ये पुल अपनी मियाद पूरी कर चुके हैं, लेकिन कोई और विकल्प ना होने के चलते लोग मजबूरी में इन्ही पुलों से होकर गुजर रहे हैं.
पिरान कलियर में आने वाले जायरीनों को अन्य तीन दरगाहों पर जाने के लिए क्षतिग्रस्त पुल से गुजरना पड़ रहा है, जिसके चलते पुल पर भारी भीड़ लगी रहती है. वहीं 166 साल पुराना पिरान कलियर गंगनहर का पुल अकीदतमंदों के लिए भी परेशानी का सबब बना हुआ है.
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दूरदराज से आने वाले जायरीनों को पिरान कलियर पहुंचने के बाद भी कई किलोमीटर का सफर तय करने के बाद कलियर क्षेत्र में प्रवेश करने को मजबूर हैं. पुल क्षतिग्रस्त होने के कारण अधिकांश दिनों में भी जाम की स्थिति पैदा होती है.
साथ ही मेला व प्रति गुरुवार को पुल पर जाम लगना तय है. कई घंटे राहगीर जाम में फंसे रहने को मजबूर हैं, जिनकी कोई सुध नही लेता. वहीं लगभग आधा दर्जन पुल अपनी मियाद पूरी कर चुके हैं, लेकिन विकल्प न होने से राहगीर इन्हीं पुलों से गुजरने को मजबूर हो रहे हैं, जबकि अधिक भार इन पुलों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है, लेकिन विभाग ने तो अपनी जिम्मेदारी चेतावनी बोर्ड लगाकर पूरी कर ली और अब यदि कोई हादसा होता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा, ये कुछ नही कहा जा सकता.