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रिटायर्ड पुलिसकर्मी ने मीडिया को सुनाया अपना दर्द, मदद की मांग - Retired policeman Sachchidanand

यूपी के बलिया से भर्ती और रुड़की से रिटायर हुए दरोगा सच्चिदानंद का दर्द पुलिस विभाग पर बड़े सवाल भी खड़े करता है. सच्चिदानन्द खुद बताते हैं कि अपनी नौकरी के दौरान वे कभी किसी के आगे नहीं झुके लेकिन पिछड़ी जाति से आने के कारण उन्हें विभाग में कभी सम्मान नहीं मिला.

roorkee
रुड़की
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Published : Oct 26, 2020, 6:53 PM IST

Updated : Oct 26, 2020, 7:06 PM IST

रुड़की: यूपी के बलिया से भर्ती और रुड़की से रिटायर हुए दरोगा सच्चिदानंद का दर्द पुलिस विभाग पर बड़े सवाल भी खड़े करता है और उनकी कहानी लोगों की आंखें नम कर देती है. अपने दर्द को बयां करते हुए सच्चिदानन्द खुद बताते हैं कि अपनी नौकरी के दौरान वे कभी किसी के आगे नहीं झुके लेकिन पिछड़ी जाति से आने के कारण उन्हें विभाग में कभी सम्मान नहीं मिला. न ही तय वक्त पर प्रमोशन पा पाए. सच्चिदानंद कई बार राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु तक की गुहार लगा चुके हैं.

रिटायर्ड पुलिसकर्मी ने मीडिया को सुनाया अपना दर्द.

पढ़ें: आर्थिक तंगी से जूझ रहे खिलाड़ियों की प्रतिभा को लगेंगे पंख, इस एकेडमी ने की नायाब पहल

सच्चिदानंद का कहना है कि उन्होंने अपने जीवनकाल में कभी किसी तरह का कोई घोटालानहीं किया और रिश्वत नहीं ली है. उनका आरोप है कि सबसे बड़ा खामियाजा उन्हें दलित परिवार से होने के कारण भी भुगतना पड़ रहा है. जिसको लेकर अधिकारियों की नजर उनपर पड़ती रहती है. उन्हें अनेकों बार प्रताड़ित भी किया जा चुका है. अगर उन्होंने अपने अधिकारियों की शिकायत उच्च अधिकारियों से की तो बलिया में उनका पुश्तैनी मकान गिरा दिया गया था. उत्तराखंड के अधिकारियों से शिकायत की तो उनकी फाइल पर लाल निशान लगा दिए गए. अब रिटायर होने के बाद भी उनको विभाग द्वारा परेशान किया जा रहा है. ब्लड कैंसर से जूझती उनकी पत्नी और वो खुद दिल के मरीज हैं. पेंशन से लाखों रुपये काटकर सजा उन्हें दी जा रही है. अब से पहले भी वो राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग कर चुके हैं. अब उन्होंने मीडिया के समक्ष अपनी पीड़ा सुनाई है.

रुड़की: यूपी के बलिया से भर्ती और रुड़की से रिटायर हुए दरोगा सच्चिदानंद का दर्द पुलिस विभाग पर बड़े सवाल भी खड़े करता है और उनकी कहानी लोगों की आंखें नम कर देती है. अपने दर्द को बयां करते हुए सच्चिदानन्द खुद बताते हैं कि अपनी नौकरी के दौरान वे कभी किसी के आगे नहीं झुके लेकिन पिछड़ी जाति से आने के कारण उन्हें विभाग में कभी सम्मान नहीं मिला. न ही तय वक्त पर प्रमोशन पा पाए. सच्चिदानंद कई बार राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु तक की गुहार लगा चुके हैं.

रिटायर्ड पुलिसकर्मी ने मीडिया को सुनाया अपना दर्द.

पढ़ें: आर्थिक तंगी से जूझ रहे खिलाड़ियों की प्रतिभा को लगेंगे पंख, इस एकेडमी ने की नायाब पहल

सच्चिदानंद का कहना है कि उन्होंने अपने जीवनकाल में कभी किसी तरह का कोई घोटालानहीं किया और रिश्वत नहीं ली है. उनका आरोप है कि सबसे बड़ा खामियाजा उन्हें दलित परिवार से होने के कारण भी भुगतना पड़ रहा है. जिसको लेकर अधिकारियों की नजर उनपर पड़ती रहती है. उन्हें अनेकों बार प्रताड़ित भी किया जा चुका है. अगर उन्होंने अपने अधिकारियों की शिकायत उच्च अधिकारियों से की तो बलिया में उनका पुश्तैनी मकान गिरा दिया गया था. उत्तराखंड के अधिकारियों से शिकायत की तो उनकी फाइल पर लाल निशान लगा दिए गए. अब रिटायर होने के बाद भी उनको विभाग द्वारा परेशान किया जा रहा है. ब्लड कैंसर से जूझती उनकी पत्नी और वो खुद दिल के मरीज हैं. पेंशन से लाखों रुपये काटकर सजा उन्हें दी जा रही है. अब से पहले भी वो राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग कर चुके हैं. अब उन्होंने मीडिया के समक्ष अपनी पीड़ा सुनाई है.

Last Updated : Oct 26, 2020, 7:06 PM IST
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