हरिद्वार: कोरोना महामारी के चलते महाकुंभ 2021 की रौनक इस बार कम रही. राज्य सरकार द्वारा कोरोना महामारी को देखते हुए 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक ही कुंभ की अवधि तय की गई थी. आज जूना और अग्नि अखाड़ा द्वारा कुंभ मेले के लिए स्थापित की गई धर्म ध्वजा को उतारा गया. इसके साथ ही विधिवत रूप से जूना और अग्नि अखाड़े ने कुंभ का समापन किया.
धर्म ध्वजा की स्थापना अखाड़ों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होती है. इसी कारण धर्म ध्वजा को उतारने का भी एक अलग ही विधान होता है. कढ़ी पकौड़े के भोजन के साथ आज जूना और अग्नि ने कुंभ मेले का समापन किया. धर्म ध्वजा उतरने के साथ ही अखाड़ों के रमता पंच आज देश भ्रमण के लिए हरिद्वार से रवाना हो जायेंगे. अगले कुंभ में एक बार फिर से अखाड़ों की छावनी में निवास करेंगे.
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कुंभ मेले का शुभारंभ होने पर सभी अखाड़ों द्वारा धर्म ध्वजा की स्थापना की जाती है. धर्म ध्वजा के नीचे ही संन्यासियों को दीक्षा देने की परंपरा है. कुंभ मेला समाप्त होने के बाद धर्म ध्वजा को पूरे विधि विधान से उतारा जाता है. जूना अखाड़े के राष्ट्रीय प्रवक्ता नारायणगिरि का कहना है कि कुंभ मेले में धर्म ध्वजा की स्थापना के बाद अखाड़े के रमता पंच स्थापित हो जाते हैं. कुंभ मेले के समापन पर धर्म ध्वजा को उतारा जाता है. अब हमारे अखाड़े के रमता पंच बरेली में जाकर निवास करेंगे और धर्म के प्रचार के लिए पूरे देश का भ्रमण करेंगे. अब 2025 के प्रयागराज कुंभ मेले में पहुंचेंगे.
अग्नि अखाड़े के श्री महंत साधनानंद का कहना है कि आज से श्री पंच अग्नि अखाड़े के रमता पंच प्रयाग राज के लिए रवाना होंगे और वहां से देश भर का भ्रमण करते हुए नर्मदा के तट पर धर्म का प्रचार करते हुए अगले कुंभ मेले में पहुंचेंगे. कोरोना महामारी के कारण कुंभ का आखिरी शाही स्नान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद प्रतीकात्मक रूप से अखाड़ों द्वारा मनाया गया.
राज्य सरकार द्वारा कुंभ की अवधि 1 अप्रैल से 30 अप्रैल रखी गई थी, लेकिन ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कुंभ 14 मई को समाप्त हुआ. इसी कारण अखाड़ों द्वारा धर्म ध्वजा को विधिवत पूजन कर उतारा गया.