हरिद्वार: कनखल स्थित सती घाट अस्थि विसर्जन करने का सबसे पुराना स्थान है, लेकिन इन दिनों यहां पर आने वाले परिजन और तीर्थ पुरोहित परेशान हैं. परेशानी का कारण यह है कि यहां पर अस्थियां विसर्जित करने के लिए गंगा में जल ही नहीं है. पानी ना होने के कारण गंदगी ने यहां पर लोगों का खड़ा होना भी मुश्किल कर दिया है.
बता दें कि कनखल स्थित सती घाट पर रोजाना देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग अपने परिजनों की अस्थियां गंगा में विसर्जित करने आते हैं, लेकिन यूपी सिंचाई विभाग की लापरवाही के चलते आज कल यहां आने वाले परिजन और अस्थि विसर्जन कराने वाले तीर्थ पुरोहित भी काफी परेशान हैं. परेशानी का सबसे बड़ा कारण यहां गंगा में जल का बहाव का ना होना है.
खबर है कि यूपी सिंचाई विभाग ने सती घाट से पहले एक आश्रम का घाट बनवाने के लिए गंगा के प्रवाह को रोक दिया है. जिस कारण अब सती घाट में गंगा का प्रवाह नहीं है. जो पानी यहां पर जमा है, उसमें अब दुर्गंध आ रही है. इस बारे में सिंचाई विभाग के एसडीओ एसके कौशिक से जब बात करनी चाही तो, उन्होंने फोन तक नहीं उठाया.
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क्या कहते हैं तीर्थ पुरोहित: तीर्थ पुरोहित जितेंद्र शास्त्री ने कहा कि बीते 1 सप्ताह से सती घाट पर गंगा में जल ही नहीं है. जिसका कारण देश-विदेश से आने वाले हजारों यात्री परेशान हैं. उनके परिजनों की अस्थियां गंगा में विसर्जित नहीं हो पा रही है. जिससे उनकी भावनाएं न आहत हो रही है. साथ ही तीर्थ पुरोहितों को भी नुकसान हो रहा है. यहां आने वाला यात्री अपने परिजनों की अस्थियां लेकर न जाने कौन-कौन से घाटों पर प्रवाहित कर रहे हैं.
क्या कहते हैं यात्री: दिल्ली से परिजन की अस्थियां लेकर सती घाट पहुंची निधि ने बताया कि यहां पर गंगाजल ना होने के कारण बहुत बुरा हाल है. यहां गंगा में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. ऐसे में हमारी भावनाएं आहत हो रही है. यहां गंगा में कैसे अपने परिजनों की अस्थियां विसर्जित करें, अब यही सोच रहे हैं. यहां का हाल यह है कि गंगा में जानवर चल रहे हैं. यह सब पानी ना होने के कारण ही हो रहा है. वहीं उल्हास नगर महाराष्ट्र से आए यात्री ने कहा कि यहां पर सफाई की कोई व्यवस्था ही नहीं है, जिसे देखकर बहुत दुख हो रहा है. छोटी नदी या नाला हो तो उसमें गंदगी होना मान भी ले, लेकिन यह गंगा है और इसका यह हाल हमें दुखी कर रहा है.