हरिद्वारः धर्मनगरी हरिद्वार को चारधाम यात्रा का प्रवेश द्वार माना जाता है. यात्रा पर जाने वाले तमाम श्रद्धालु सबसे पहले हरिद्वार पहुंचते हैं. जाहिर है जहां लोगों का दबाव होता है, वहां पर सफाई से लेकर तमाम व्यवस्थाएं चमरा जाती हैं. कई तरह की तस्वीरें चारधाम से सामने आ चुकी हैं, जहां बुग्यालों में तक कूड़ा नजर आया. लिहाजा, ईटीवी भारत की टीम ने सफाई व्यवस्था को लेकर हरिद्वार का रियलिटी चेक किया. जिसमें कुछ हद तक हरिद्वार नगर निगम मुस्तैद नजर आया.
कहते हैं न 'फर्स्ट इंप्रेशन इज लास्ट इंप्रेशन'. ऐसी ही जगह है हरिद्वार. जहां से पहाड़ समेत चारधाम का प्रवेश द्वार शुरू होता है. यहां पर गंगा स्नान के लिए भी देश विदेश से लाखों लोग पहुंचते हैं. ऐसे में यहां की व्यवस्थाओं का संदेश भी देश और दुनिया तक जाता है. ऐसे में सरकार भी हरिद्वार की सफाई व्यवस्था को लेकर हमेशा से चिंतित रही है. साथ ही सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने का दावा भी करती है. हरिद्वार में चारधाम यात्रा से लेकर तमाम स्नान पर्वों पर लोगों का जमावड़ा लगता है. जिससे शहर में कूड़ा भी ज्यादा फैलता है. ऐसे में हरिद्वार नगर निगम पर ही पूरे क्षेत्र की सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी होती है. इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड जीरो का जायजा लिया.
नहीं सोता शहर: हरिद्वार उन शहरों में शुमार है, जो 24 घंटे और 365 दिन गुलजार रहता है. यहां यात्री चाहे दिन में आए या रात में. यहां के बाजारों में चहल कदमी बनी रहती है. खासकर हरकी पैड़ी व आसपास के क्षेत्र में आधी रात को भी यात्री घूमते नजर आते हैं. यही कारण है कि यहां की सफाई व्यवस्था से भी लोगों को बड़ी आस रहती है, लेकिन देखने में आता है कि रात को 2 बजे के बाद शहर में कई जगह कूड़े के अंबार लगे रहते हैं. जहां से गुजरने वाले यात्रियों व श्रद्धालुओं को दुर्गंध का सामना करना पड़ता है. सुबह के समय गंगा घाटों को जाने वाले स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं को भी सबसे पहले सड़कों पर जमा होने वाले इस कूड़े से ही दो-चार होना पड़ता है.
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ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में यह जानकारी सामने आई कि हरिद्वार में रोजाना तीन बार कूड़ा उठाने की व्यवस्था बनाई गई है, लेकिन भीड़ बढ़ने पर यह संख्या बढ़कर दिन में 4 बार भी पहुंच जाती है. सबसे पहले सुबह 6 बजे नगर निगम के कर्मचारी तमाम क्षेत्रों में घूम कर कूड़े को उठाते हैं. इसके बाद दोपहर 3 बजे और फिर रात को 1 बजे सड़कों पर बिखरे कूड़े को उठाने की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा शनिवार व रविवार को दिन में चार बार कूड़ा उठाया जाता है.
कूड़ेदान मुक्त शहर बनाने की कवायद: नगर निगम ये प्रयास कर रहा है कि हरिद्वार को पूरी तरह से डस्टबिन मुक्त शहर बनाया जाए. इसके लिए एक पहल शुरू की गई है. पहले सड़कों पर जगह-जगह कूड़ा डाला जाता था. गली मोहल्लों में कूड़े की भरमार रहती थी. जिससे लोगों का सांस लेना भी मुश्किल होता था, लेकिन अब शहर में चार ऐसे बड़े प्वाइंट बनाए गए हैं, जहां पर कई-कई वार्डों का कूड़ा एकत्र किया जाता है और रोजाना सुबह-शाम इस कूड़े को उठाकर डंपिंग यार्ड तक पहुंचाया जाता है.
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इससे शहर में सड़कों पर दिखने वाला कूड़ा अब काफी हद तक समाप्त हो गया है. अब कूड़े को घर-घर जाकर एकत्र किया जाता है. हालांकि, अभी यह शत प्रतिशत संभव नहीं हो पाया है, लेकिन प्रयास है कि इसे सौ फीसदी संभव किया जाए. हालांकि, सहायक नगर आयुक्त ने माना कि कुछ कमियां भी रह जाती हैं, लेकिन प्रयास है कि यात्री बाहुल्य क्षेत्रों में विशेष रूप से कहीं कूड़ा नजर ना आए. इसके लिए दिन में तीन बार कूड़ा उठाने की व्यवस्था की गई है. शनिवार और रविवार को भीड़ बढ़ने के चलते चार बार कूड़ा उठाया जाता है.
व्यवस्था में दिख रहा सुधार: हरिद्वार नगर निगम के वार्ड संख्या 53 के पार्षद हितेश ने बताया कि पिछले कुछ समय से हरिद्वार में सफाई व्यवस्था को लेकर सुधार आया है. पहले जिस तरह गली मोहल्लों में कूड़ा डाला जाता था, अब ऐसा नहीं होता. अब डोर टू डोर कलेक्शन के माध्यम से पूरे को एकत्र कर एक जगह डाला जाता है, जहां से इसे डंपिंग यार्ड पहुंचाया जाता है. निगम क्षेत्र में जो बड़े कूड़ा प्वाइंट बनाए गए हैं, उससे क्षेत्र के लोगों के साथ बाहर से आने वाले यात्रियों को भी बड़ी राहत मिली है.
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रोजाना डेढ़ सौ मीट्रिक टन उठ रहा कूड़ा: सहायक नगर आयुक्त एमएल शाह ने बताया कि नगर निगम क्षेत्र हरिद्वार में कूड़ा उठाने के लिए दो कंपनियां हायर की गई हैं, जो पूरी सफाई व्यवस्था को देखती हैं. यह काफी संतोषजनक काम कर रही हैं. पूरे शहर से रोजाना करीब डेढ़ सौ मीट्रिक टन कूड़ा उठाया जा रहा है. श्रद्धालुओं और पर्यटकों को साफ सफाई की बेहतर व्यवस्था मिले, इसके लिए अतिरिक्त स्टाफ को व्यवस्था में तैनात किया गया है. यात्रा सीजन को देखते हुए हरिद्वार में 425 लोगों को फिलहाल सफाई कार्य में लगाया गया है. इसके अलावा नालियों व नालों की सफाई आदि के लिए अतिरिक्त स्टाफ के निविदा आमंत्रित करने की बात भी कही.
वहीं, पार्षदों और स्थानीय लोगों की मानें तो यात्री बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण जिस स्तर पर हरिद्वार के बाजारों में सफाई व्यवस्था होनी चाहिए, वैसी नजर नहीं आती है. जिस तरह से वहां पर समय समय पर कूड़ा उठाया जाना चाहिए, उतना काम अभी नहीं हो पा रहा है. यदि इस ओर ध्यान दिया जाए तो हरिद्वार नगर निगम का संदेश पूरे देश में अच्छा जाएगा. यूं कहें कि कूछ हद तक शहर में कूड़ा उठाने की व्यवस्था दुरुस्त है. हालांकि, कई लोग मानते हैं कि कूड़ा निस्तारण से लेकर सफाई व्यवस्था बनाने को लेकर बड़े स्तर पर कार्य करने की जरूरत है.