हरिद्वार: गंगोत्री के कपाट बंद होने के बाद नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए जल कलश लेकर जाया जाता है. गंगोत्री धाम के रावल शिव प्रकाश महाराज कलश को लेकर हरिद्वार के निरंजनी अखाड़े पहुंचे. यहां मौजूद साधु-संतों ने उनका भव्य स्वागत किया. निरंजनी अखाड़े में मां मनसा देवी की चरण पादुका पर कलश का विधिवत पूजन किया गया. आज रावल मुरादाबाद से होते हुए 30 तारीख को पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान शिव का गंगोत्री के जल से अभिषेक करेंगे.
अनादि काल से चली आ रही है परंपरा
आदि-अनादि काल से परंपरा चली आ रही है कि गंगोत्री के कपाट बंद होने के बाद वहां से कलश में जल भरकर नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है. गंगोत्री धाम के रावल शिव प्रकाश महाराज का कहना है कि यह अनादि काल से परंपरा चली आ रही है. प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी गंगोत्री से मां गंगा का जल लेकर हरिद्वार पहुंचा हूं. जब गंगोत्री के कपाट खोले जाते हैं तब भी निरंजनी अखाड़े में स्वागत होता था. बीच में किसी कारण वश यह परंपरा रोकी गई. मगर रविंद्रपुरी महाराज द्वारा एक बार फिर से इस परंपरा की शुरुआत की गई. हम मां भगवती और मां गंगा से कामना करते हैं कि यह परंपरा निरंतर जारी रहे.
30 नवंबर को होगा पशुपतिनाथ का गंगाजल से अभिषेक
आज गंगा कलश लेकर हमारे द्वारा यहां से प्रस्थान किया जाएगा. रात्रि विश्राम मुरादाबाद में होगा. 29 तारीख को हम नेपाल के काठमांडू पहुंचेंगे. 30 तारीख को काफी शुभ मुहूर्त है. उस दिन इस जल को भगवान शंकर को अर्पित किया जाएगा. हमारा उद्देश्य है कि धर्म की रक्षा हो. धर्म का पालन हो और हम सनातन परंपरा को बचाकर रखें.
हरिद्वार में हुआ रावल का भव्य स्वागत
गंगोत्री धाम से गंगाजल लेकर हरिद्वार पहुंचे गंगोत्री धाम के रावल का अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि और साधु-संतों ने भव्य स्वागत किया. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि का कहना है कि यह हमारी सनातन परंपरा है. हर वर्ष गंगोत्री धाम से मां गंगा का जल लेकर पंचायती अखाड़ा निरंजनी में आते हैं. यहां पर मा मनसा देवी की चरण पादुका पर पूजन किया जाता है. उसके बाद नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में 30 तारीख को भगवान शिव पर गंगाजल चढ़ाया जाता है. यह हमारी पुरानी परंपरा है. उसी का पालन किया जा रहा है. इसकी अध्यक्षता मां मनसा देवी मंदिर के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी द्वारा की गई.
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सनातन धर्म को एक करने वाली यह परंपरा दोबारा से निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी के प्रयासों से एक साल पहले शुरू की गई थी. आज दूसरे साल भी इस परंपरा को निभाने के लिए गंगोत्री के रावल गंगाजल लेकर निरंजनी अखाड़े पहुंचे. इसको लेकर तमाम साधु संतों में भी हर्षोल्लास का माहौल देखने को मिला.