हरिद्वार: ब्रह्मलीन जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के स्थान पर नवनियुक्त शंकराचार्यों का अभिनंदन समारोह 17 अक्टूबर को जोशीमठ में होने जा रहा है. कार्यक्रम के निमंत्रण लेकर ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शिष्य स्वामी मयंक शेखर आज हरिद्वार पहुंचे. उन्होंने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी समेत अनेक महंतों को कार्यक्रम में आने का निमंत्रण पत्र वितरित किया है.
बता दें, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ज्योतिष पीठ पर अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति किये जाने का विरोध कर रहे हैं. इस गद्दी पर किसी गिरि नामा संत की नियुक्ति किए जाने की वकालत कर रहे हैं. अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य नहीं मानने की घोषणा कर चुके हैं. स्वामी मयंक शेखर ने निमंत्रण पत्र अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी और महामंत्री महंत हरी गिरि महाराज को भी दिया है. सभी से अभिनंदन समारोह में आने का अनुरोध किया है. मगर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत अपनी बात पर अडिग हैं और वे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य मानने के लिए तैयार नही हैं.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bharatiya Akhara Parishad) के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज (Ravidra Puri Maharaj) का कहना है कि शंकराचार्य का विषय वाद विवाद का नहीं है. महाराज से उनके बहुत अच्छे संबंध हैं, लेकिन बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना जैसी स्थिति है. यह कार्य संन्यासियों का है किसी और का नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारे 7 अखाड़े संन्यासी अखाड़े हैं. उसके बावजूद भी आपने उनको बुलाया तक नहीं. उन्होंने कहा कि जब आपने हमें नहीं बुलाया तो हम आपको शंकराचार्य नहीं मानते हैं.
हमारे यहां संन्यासियों में षोडशी होती है. लेकिन उन्होंने तेहरवीं की है, इसीलिए यह सारा विवाद हुआ है. बाकी हम उनको शंकराचार्य बिल्कुल नहीं मानते हैं. हम वह हमारे गुरु भाई हैं और संन्यासी भी हैं. लेकिन जहां शंकराचार्य की बात है. हम उनको शंकराचार्य बिल्कुल नहीं मानते. निमंत्रण तो हमें पूरे हिंदुस्तान से आते हैं. रही जाने की बात तो दूर जब हम उनको शंकराचार्य ही नहीं मानते तब हम वहां जाकर क्या करेंगे?
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अभिनंदन समारोह के निमंत्रण देने के लिए पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शिष्य मयंक शेखर का कहना है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने करीब ढाई हजार वर्ष पूर्ण चार शंकराचार्य पीठों की स्थापना की थी. इसमें उत्तर का ज्योतिष मठ, पश्चिम का द्वारका शारदा पीठ, दोनों पर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज पर आसीन थे.
उनके ब्रह्मलीन होने के बाद उन्होंने अपने दो उत्तराधिकारी बनाए हैं और उन दोनों का आचार्यों ने पट्टभिषेक किया. अभिनंदन समारोह 14 तारीख को शारदा पीठ में होना है. 17 तारीख को ज्योतिष पीठ जोशीमठ में होना है, जो सभी अखाड़ों के प्रतिनिधि हैं. सभी जगह आमंत्रण कार्ड लेकर के हम आए हैं.