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दीपावली पर सामाजिक संदेश देती फिल्म 'राजू की दिवाली' रिलीज - हरिद्वार

पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी की याद में नेहरू यूथ सेंटर में राजू की दिवाली फिल्म रिलीज की गई. इस फिल्म के जरिए लोगों को मिट्टी के दीये खरीदने के पीछे का संदेश दिया गया है.

'राजू की दिवाली' फिल्म रिलीज
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Published : Oct 23, 2019, 11:07 PM IST

हरिद्वार: यूपी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी की याद में हरिद्वार के आरके स्टूडियो ने एक शॉर्ट फिल्म बनाई है. 'राजू की दिवाली' नाम की इस फिल्म में हरिद्वार के कई समाजसेवियों ने अभिनय किया है. स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी द्वारा स्थापित नेहरू यूथ सेंटर में फिल्म को रिलीज किया गया. इस फिल्म की कहानी गांव के एक गरीब लड़के राजू पर आधारित है. स्क्रीन पर दर्शाया गया है कि किस तरह से शहर जाकर राजू अपने बीमार दादा के बनाए मिट्टी के दिये बेचकर अपनी दिवाली को यादगार बना देता है.

'राजू की दिवाली' फिल्म रिलीज

फिल्म गांव के एक गरीब लड़के राजू पर आधारित है, जिसके परिवार में उसके दादा और उसकी मां ही हैं. राजू दिवाली की छुट्टियों में अपने दादा के बनाए गए दीयों को बेचने के लिए शहर जाता है. इस फिल्म में दादा का किरदार निभाया है- हरिद्वार के एसएम जेएन कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुनील बत्रा ने. राजू के दादा बीमार रहते हुए भी मिट्टी के दीये बनाते हैं. उन्हें बेचने के लिए राजू को शहर भेज देते हैं.

पढ़ेंः दिवाली को लेकर बढ़ी रौनक, पर व्यापारियों को सता रहा इस बात का डर


राजू के पास शहर जाने तक के पैसे नहीं होते हैं. किसी तरह राजू शहर पहुंच जाता है और अपनी मेहनत के दम पर उनको बेच देता है. दीये बेचने के बाद वह अपनी और अपने परिवार की दिवाली को बड़े ही धूमधाम से मनाता है. इस फिल्म के माध्यम से निर्देशक ने एक सामाजिक संदेश देने का काम किया है. फिल्म संदेश देती है कि आज चकाचौंध की दुनिया में लोग पारंपरिक मिट्टी के दीपक को भूलकर चाइनीज लड़ियों और लाइटों को बढ़ावा दे रहे हैं.

हरिद्वार: यूपी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी की याद में हरिद्वार के आरके स्टूडियो ने एक शॉर्ट फिल्म बनाई है. 'राजू की दिवाली' नाम की इस फिल्म में हरिद्वार के कई समाजसेवियों ने अभिनय किया है. स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी द्वारा स्थापित नेहरू यूथ सेंटर में फिल्म को रिलीज किया गया. इस फिल्म की कहानी गांव के एक गरीब लड़के राजू पर आधारित है. स्क्रीन पर दर्शाया गया है कि किस तरह से शहर जाकर राजू अपने बीमार दादा के बनाए मिट्टी के दिये बेचकर अपनी दिवाली को यादगार बना देता है.

'राजू की दिवाली' फिल्म रिलीज

फिल्म गांव के एक गरीब लड़के राजू पर आधारित है, जिसके परिवार में उसके दादा और उसकी मां ही हैं. राजू दिवाली की छुट्टियों में अपने दादा के बनाए गए दीयों को बेचने के लिए शहर जाता है. इस फिल्म में दादा का किरदार निभाया है- हरिद्वार के एसएम जेएन कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुनील बत्रा ने. राजू के दादा बीमार रहते हुए भी मिट्टी के दीये बनाते हैं. उन्हें बेचने के लिए राजू को शहर भेज देते हैं.

पढ़ेंः दिवाली को लेकर बढ़ी रौनक, पर व्यापारियों को सता रहा इस बात का डर


राजू के पास शहर जाने तक के पैसे नहीं होते हैं. किसी तरह राजू शहर पहुंच जाता है और अपनी मेहनत के दम पर उनको बेच देता है. दीये बेचने के बाद वह अपनी और अपने परिवार की दिवाली को बड़े ही धूमधाम से मनाता है. इस फिल्म के माध्यम से निर्देशक ने एक सामाजिक संदेश देने का काम किया है. फिल्म संदेश देती है कि आज चकाचौंध की दुनिया में लोग पारंपरिक मिट्टी के दीपक को भूलकर चाइनीज लड़ियों और लाइटों को बढ़ावा दे रहे हैं.

Intro:एंकर:- यूपी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी की याद में हरिद्वार के आर के स्टूडियो ने एक शॉर्ट फिल्म बनाई है। 'राजू की दिवाली' नाम की इस फिल्म में हरिद्वार के कई समाजसेवियो ने अभिनय किया है। स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी द्वारा स्थापित नेहरू यूथ सेंटर में फ़िल्म को रिलीज किया गया। इस फ़िल्म की कहानी गाँव के एक गरीब लड़के राजू पर आधारित है। स्क्रीन पर दर्शाया गया है कि किस तरह से शहर जाकर राजू अपने बीमार दादा के बनाये मिट्टी के दिये बेच अपनी दीवाली मनाता है। 

Body:Vo 1 :-इस फिल्म में गांव का है गरीब लड़का राजू  है जिसके परिवार में उसके दादा और उसकी मां ही है। राजू दिवाली की छुट्टियों में अपने दादा के बनाए गए दियो को बेचने के लिए शहर जाता है। इस फिल्म में दादा का किरदार है हरिद्वार के एसएम जेएन कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुनील बत्रा ने निभाया है। राजू के दादा बीमार रहते हुए भी मिट्टी के दीए बनाते हैं और उन्हें बेचने के लिए राजू को शहर भेज देते हैं। राजू के पास शहर जाने तक के पैसे नहीं होते किसी तरह करके राजू शहर पहुंच जाता है और अपनी मेहनत के दम पर उनको बेचता है और अपनी और अपने परिवार की दीवाली मनाता है। यह फिल्म एक सामाजिक रूप से विशेष रूप का संदेश देने वाली फिल्म है। जो संदेश देती है कि आज चकाचौंध की दुनिया में लोग पारंपरिक मिट्टी के दीपक को को भूलकर चीनी लड़ियों और लाइटों को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं।


Conclusion:बाइट:- डॉ विशाल गर्ग, समाजसेवी हरिद्वार

बाइट:- डॉ सुनील बत्रा, प्राचार्य, जमजेएन कॉलेज, हरिद्वार

बाइट:- राजू, फ़िल्म कलाकर
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