हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में रेलवे की जमीन पर बीते कई सालों से कब्जा करके बैठे लोगों के खिलाफ मंगलवार 14 मार्च को प्रशासन ने कार्रवाई की. बड़ी संख्या में जीआरपी, आरपीएफ और स्थानीय पुलिस ने बुलडोजर से रेलवे की जमीन से अतिक्रमण ध्वस्त किया. पहले चरण में काफी पक्के निर्माणों को छोड़ दिया गया है, लेकिन जल्द ही इन्हें भी हटाने की कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल, हरिद्वार नगर कोतवाली क्षेत्र में बीते कई सालों से जंगल बाईपास रोड पर रेलवे की जमीन पर लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है. रेलवे की तरफ से अतिक्रमणकारियों को कई बार नोटिस भी जारी किया गया है, लेकिन किसी ने भी नोटिस पर अमल नहीं किया. आखिर में मंगलवार को रेलवे ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन की मदद से अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई की और अवैध निर्माण को बुलडोजर से ध्वस्त किया. रेलवे ने एक दर्जन से ज्यादा अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया है.
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रेलवे ने जिस जगह पर ये कार्रवाई की है, उस इलाके में एक हॉस्पिटल, मंदिर और धर्मशाला हैं. रेलवे के अधिकारी जब वहां कार्रवाई करने पहुंचे तो लोगों ने उनका विरोध किया. लोगों के विरोध के चलते मंगलवार को रेलवे के अधिकारियों ने वहां पर कोई कार्रवाई नहीं की.
वहीं, लोगों का कहना था कि उन्होंने इस जमीन की रजिस्ट्री कराई हुई है और उनका दाखिल खारिज भी हुआ है. लिहाजा यह जमीन पर किया गया निर्माण अवैध कैसे हो गया. यह निर्माण कोई दो-चार दिन में नहीं हुआ बल्कि बीते डेढ़ दशक से भी ज्यादा से यहां पर यह निर्माण चला रहा है, जिसके बाद रेलवे प्रशासन ने मंगलवार को अतिक्रमण हटाओ अभियान आधे में ही रोक दिया. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही बचे हुए अवैध निर्माणों को भी ध्वस्त किया जाएगा.
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क्या कहते हैं स्थानीय लोग: मिंटू पंजवानी का कहना है कि रेलवे ने अतिक्रमण हटाने की कोई भी सूचना उन्हें नहीं दी थी. उन्हें सिर्फ इतना पता है कि रेलवे का कोई मुकदमा स्थानीय कोर्ट में चल रहा है. एक नंबर से लेकर 18 नंबर तक उनके प्लॉट है. अधिकारी जो भी करें वह नियमानुसार करें. ऐसा न हो कि किसी भी गरीब आदमी के साथ अन्याय हो जाए. जिसका अवैध कब्जा है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए, वो अपना पूरा पक्ष रखने को तैयार है.
मिंटू पंजवानी का कहना है कि ये जमीन उनके पास 1990 से है, जिसकी रजिस्ट्री भी उनके पास है. वो लोग नगर निगम का हॉउस टैक्स से लेकर विद्युत कर भी चुकाते आए हैं, उनकी कॉलोनी वैध है. वहीं, शशि कुमार मिश्रा का कहना है कि जिस समय उन्होंने यह प्लॉट खरीदा था, उस समय यह कॉलोनी हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण से स्वीकृत थी. उस समय भी कागज देखकर यह प्लॉट खरीदा गया था. पिछले 32 साल से वे लोग यहां पर काबिज हैं. सभी सरकारी अभिलेखों में उनका नाम दर्ज है. सोमवार को यहां पर रेलवे के अधिकारी आए थे, जिनको हमने एक नंबर से लेकर 18 नंबर तक के प्लॉट की रजिस्ट्री दिखायी और रेलवे की एनओसी भी उनके पास है. कभी रेलवे वाले तो कभी सिडकुल वाले उन्हें घर तोड़ने की धमकी देते है.