हरिद्वारः गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के स्थापना के 50 साल पूरे हो गए हैं. स्वर्ण जयंती और जन्माष्टमी पर्व को राष्ट्रीय तरुपुत्र रोपण महायज्ञ के रूप में मनाया गया. जिसमें देशभर से गायत्री परिवार के अनुयायियों ने ऑनलाइन जुड़कर शांतिकुंज में पौधारोपण किया. साथ ही देश के 108 स्थानों पर सामूहिक तरुपुत्र रोपण भी किया गया.
गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के स्वर्ण जयंती के मौके पर गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या, दीदी शैलबाला पंड्या और डॉ. चिन्मय पंड्या ने अनुयायियों के साथ पौधरोपण किया. इस दौरान 50 शांतिकुंज स्वर्ण जयंती वनों की स्थापना की गई. साथ ही 1008 घरों में माता भगवती की बाड़ी और गमलों में स्वास्थ्य/शाक वाटिका की स्थापना भी की गई. इसके अलावा पूर्व में रोपित श्रीराम स्मृति वन-उपवनों में तरु मिलन, पूजन और तरु सिंचन का कार्य किया गया.
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गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या ने बताया कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी को वृक्षारोपण के साथ भी जोड़ते हैं. क्योंकि, वृक्षारोपण गुरुदेव का व्रत था और गुरुदेव प्रज्ञा अवतार थे. इसे उनके 10वें अवतार के रूप में जानते हैं. उन्होंने कहा कि शांतिकुंज ने देशभर में स्मृति उपवन बनाए हैं. सभी को पौधारोपण करने की आवश्यकता है. पौधारोपण का आंदोलन चलेगा तो पर्यावरण सरंक्षित रहेगा.
उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार स्मृति उपवन देशभर में जगह-जगह स्थापित कर रहा है. उनका प्रयास है कि उपवन में गौशाला के साथ जड़ी बूटियां भी हों, ताकि यह उपवन वन सके. फिलहाल, देशभर में 50 उपवन बनाने का संकल्प लिया गया है. इनकी संख्या को आगे और बढ़ाया जाएगा. पौधरोपण भगवान श्री कृष्ण को भी प्रिय था. ऐसे में सभी को इसे अपने जीवन में उतारना चाहिए.
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देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या का कहना है कि शांतिकुंज के स्वर्ण जयंती दिवस पर एक महत्वपूर्ण अभियान शुरू किया गया है. जिसमें गायत्री परिवार के लोग लाखों स्थानों पर पौधारोपण कर रहे हैं. साथ ही इस भावना को भी जागृत कर रहे हैं कि न केवल पर्यावरण को शुद्ध करने की आवश्यकता नहीं है. बल्कि वातावरण के परिशोधन की भी आवश्यकता है.
वहीं, चिकित्सा सचिव और हरिद्वार के पूर्व जिलाधिकारी सी. रविशंकर का कहना है कि शांतिकुंज की स्थापना के स्वर्ण जयंती पर महावृक्षारोपण के अभियान में उन्होंने भी भागीदारी की है. यह अभियान प्रेरणादायक है. सभी को पेड़ लगातार पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देना चाहिए.