हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में रोज हजारों की संख्या में तीर्थयात्री गंगा के स्नान करने के लिए आते हैं. इन तीर्थयात्रियों को हरिद्वार में प्रशासन और नगर निगम की तरफ से कितनी मूलभूत सुविधाएं मिल रही है. ईटीवी भारत ने इसकी पड़ताल की. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने शहर में प्याऊ और शौचालय के साथ गंगा घाटों पर सफाई व्यवस्था का हाल जाने का प्रयास किया.
हरिद्वार में अधिकाश तीर्थयात्री ट्रेन और बसों से ही आते है. हरिद्वार में रेलवे स्टेशन और बस स्टैण्ड भी आमने-सामने ही है. लेकिन आपकों जानकर ताज्जुब होगा कि यहां पर प्याऊ और शौचालय बदहाल स्थिति में है. अधिकाश प्याऊ पर टूटियां नदारद थी. स्थानीय लोगों ने भी इस बात की तस्दीक की है कि यहां प्याऊ दिखावे मात्र के लिए रखे गए हैं, इनमें पानी कभी आता ही नहीं है.
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इसके ईटीवी भारत की टीम हरकी पैड़ी पर गई, जहां रोज हजारों की संख्या में तीर्थयात्री मां गंगा में स्नान करने आते हैं. बता दें कि स्नान पर्व और त्योहार पर तो यहां श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में पहुंच जाती है. उम्मीद थी कि यहां पर तो प्याऊ और शौचालय की व्यवस्था अच्छी होगी, लेकिन यहां भी प्याऊ और शौचालय के हाल रेलवे स्टेशन और बस स्टैण्ड के जैसे ही थे. हरकी पैड़ी के आसपास जितनी भी मार्केट है वहां किसी भी शौचलाय में सफाई की कोई व्यवस्था नहीं थी. शौचालय तो छोड़ दीजिए गंगा घाटों पर भी गंदगी का अंबार लगा हुआ था.
जब इस बारे में हरिद्वार की मेयर अनीता शर्मा ने बात कि गई तो उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि तीर्थयात्रियों को किसी तरह के परेशानी हो उसका ध्यान रखा जा रहा है. हालांकि, उन्होंने इस बात पर सहमति जरूर जताई है कि शहर में प्याऊ और शौचालय स्थिति अच्छी नहीं है, लेकिन बाद में उन्होंने जल्द से जल्द समाधान के आश्वासन की घुट्टी पिला दी.
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शहर में फैली इन अव्यवस्थाओं जब मुख्य नगर आयुक्त उदय सिंह राणा से सवाल किया गया तो वे भी सवालों से बचते हुए नजर आए. उन्होंने सिर्फ यही कहा कि नगर निगम ने शौचालयों की जिम्मेदारी एजेंसियों और एनजीओ को दे रखी है. वो इन सुविधाओं के बदले शुल्क लेते है और इन्हें चलाते हैं.
शहर में फैली अव्यवस्थाओं को देखकर यही लग रहा है कि आगामी 2021 में होने वाले हरिद्वार महाकुंभ को लेकर तैयारियां सिर्फ कागजों पर चल रही हैं. क्योंकि जो शहर अभी हजारों तीर्थयात्रियों को मुलभूत सुविधाएं नहीं दे पा रहा वो आने महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं का बोझ कैसे उठाएगा?