लक्सर: तहसील के आधा दर्जन गांवों के किसान आज भी 60 के दशक का जीवन जीने को मजबूर हैं. सरकारें आई और चली गईं, लेकिन किसी भी सरकार या जनप्रतिनिधियों ने इनकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया. लक्सर विधानसभा क्षेत्र के रामपुर, रायघाटी, जसपुर और रंजीतपुर सहित आधा दर्जन गांवों के किसान अपनी जान जोखिम में डालकर नीलधारा गंगा के दूसरी ओर खेती करने के लिये मजबूर हैं.
नीलधारा गंगा पर पुल बनाने की मांग: लक्सर तहसील की हजारों बीघा जमीन नीलधारा गंगा के दूसरी ओर है. जिसमें किसान खेती करके अपने बच्चों का पालन पोषण करते हैं. लेकिन नीलधारा गंगा पर पुल न होने के कारण किसानों को अपार जलधारा के बीच से होकर अपनी जान जोखिम में डालकर नदी को पार करना पड़ता है. किसानों ने बताया कि जनप्रतिनिधियों ने यहां पुल बनवाने के कई बार वादे किये, लेकिन आज तक वादे पूरे नहीं किये.
जान जोखिम में डालकर खेती करने जाते हैं किसान: ग्रामीणों का कहना है कि लोगों ने कई बार इसकी मांग उठाई, लेकिन आज तक उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं हो पाया. चुनाव के समय भी नेता लोग उन्हें पुल बनने का सपना दिखाते है, लेकिन चुनाव समाप्त होते ही उनके वादे फिर पांच साल बाद सुनाई देते हैं. आज किसान मजबूर हैं और अपने वाहनों और अपने परिवार के साथ लकड़ी से बनी नाव के सहारे नीलधारा गंगा को पार कर रहे हैं. कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है.
जनप्रतिनिधियों ने पूरे नहीं किए वादे: मजबूर किसानों के सामने समस्याएं अपार हैं. समाधान कोई नहीं करता है. ग्रामीणों का आरोप है कि अगर जनप्रतिनिधियों की बात करें बीजेपी से 10 वर्षों तक लगातार विधायक रहे संजय गुप्ता ने पुल बनवाने का वादा किया था. लेकिन उन्होंने वादा पूरा नहीं किया. वर्तमान बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद ने भी इन किसानों से पुल बनवाने का वादा किया था. वो भी अपना वादा भूल चुके हैं. किसान समस्याओं से जूझ रहे हैं. नीलधारा गंगा किसी भी समय रौद्र रूप ले लेती है. कई बार हादसे भी हुए. किसानों की जान भी गई. कई बार सरकारी तंत्र ने नीलधारा गंगा में फंसे किसानों को बाहर भी निकाला, लेकिन आज तक कोई स्थाई समाधान नहीं हो सका.
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