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शुभ मुहूर्त के बाकी हैं केवल 9 दिन, इन तारीखों पर जोड़ सकते हैं 'पवित्र रिश्ता'

हिंदू धर्म में शादी शुभ मुहूर्त में की जाती है. वहीं, इस साल शादी के लिये सिर्फ 9 शुभ दिन ही बचे हैं.

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Published : Nov 28, 2019, 9:51 AM IST

Updated : Nov 28, 2019, 4:54 PM IST

हरिद्वार: हिंदू धर्म में विवाह को एक पवित्र रिश्ता कहा गया है. इस रिश्ते को जोड़ने के लिए हिंदू धर्म को मानने वाले लोग विशेष मुहूर्त में विवाह के बंधन में बंधते हैं. शास्त्रों में वर्णन है कि विशेष मुहूर्त में किये गए विवाह से न केवल इस जन्म में बल्कि सात जन्मों के लिए एक दूजे का साथ मिलता है. इस साल में अब यह शुभ मुहूर्त के सिर्फ 9 ही दिन बचे हैं. आखिर क्यों होता है इन मुहूर्त में विवाह? क्या है इन मुहूर्त में विवाह करने का महत्व ?

हरिद्वार के ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र के मुताबिक, विवाह के मुहूर्त के लिए शास्त्रों में कहा गया है कि जब भगवान विष्णु बृहस्पति और शुक्र में जागृत होते हैं तब विवाह के मुहूर्त शुरू हो जाते हैं. इस साल अब कुछ ही मुहूर्त शेष रह गए हैं. 11 दिसंबर से बृहस्पति वृद्धावस्था के लिए अग्रसर हो जाएंगे और 16 दिसंबर से अस्त हो जाएगे. 12 दिसंबर से पौष मास शुरू हो जाएगा. यह मास श्राद्ध पक्ष की तरह ही होता है. इस मास में विवाह नहीं होता.

जानिए विवाह का शुभ मुहूर्त

पढ़ें- सड़क हादसे में छह साल की बच्ची समेत तीन लोगों की मौत, तीन घायल

अब इस साल में जो विवाह के मुहूर्त हैं वह सिर्फ 9 मुहूर्त ही बचे हैं. जिसमें 28 नवंबर से लेकर 11 दिसंबर तक 9 मुहूर्त हैं. जिसके बाद अगले साल 10 जनवरी से विवाह के मुहूर्त प्रारंभ होंगे. जब गुरू उदय हो जाएंगे और पौष मास समाप्त हो जाएगा, उसके बाद विवाह के मुहूर्त दोबारा से शुरू हो जाएंगे. हिंदू धर्म को मानने वाले लोग शुभ मुहूर्त के अनुसार विवाह के बंधन में बंधते हैं. ज्योतिष के मुताबिक, मुहूर्त नहीं मानने वालों के वैवाहिक जीवन में तकलीफें आती रहती हैं.

हरिद्वार: हिंदू धर्म में विवाह को एक पवित्र रिश्ता कहा गया है. इस रिश्ते को जोड़ने के लिए हिंदू धर्म को मानने वाले लोग विशेष मुहूर्त में विवाह के बंधन में बंधते हैं. शास्त्रों में वर्णन है कि विशेष मुहूर्त में किये गए विवाह से न केवल इस जन्म में बल्कि सात जन्मों के लिए एक दूजे का साथ मिलता है. इस साल में अब यह शुभ मुहूर्त के सिर्फ 9 ही दिन बचे हैं. आखिर क्यों होता है इन मुहूर्त में विवाह? क्या है इन मुहूर्त में विवाह करने का महत्व ?

हरिद्वार के ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र के मुताबिक, विवाह के मुहूर्त के लिए शास्त्रों में कहा गया है कि जब भगवान विष्णु बृहस्पति और शुक्र में जागृत होते हैं तब विवाह के मुहूर्त शुरू हो जाते हैं. इस साल अब कुछ ही मुहूर्त शेष रह गए हैं. 11 दिसंबर से बृहस्पति वृद्धावस्था के लिए अग्रसर हो जाएंगे और 16 दिसंबर से अस्त हो जाएगे. 12 दिसंबर से पौष मास शुरू हो जाएगा. यह मास श्राद्ध पक्ष की तरह ही होता है. इस मास में विवाह नहीं होता.

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अब इस साल में जो विवाह के मुहूर्त हैं वह सिर्फ 9 मुहूर्त ही बचे हैं. जिसमें 28 नवंबर से लेकर 11 दिसंबर तक 9 मुहूर्त हैं. जिसके बाद अगले साल 10 जनवरी से विवाह के मुहूर्त प्रारंभ होंगे. जब गुरू उदय हो जाएंगे और पौष मास समाप्त हो जाएगा, उसके बाद विवाह के मुहूर्त दोबारा से शुरू हो जाएंगे. हिंदू धर्म को मानने वाले लोग शुभ मुहूर्त के अनुसार विवाह के बंधन में बंधते हैं. ज्योतिष के मुताबिक, मुहूर्त नहीं मानने वालों के वैवाहिक जीवन में तकलीफें आती रहती हैं.

Intro:फीड लाइव व्यू से भेजी गई है

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इस साल अब 9 दिन ही बजेगी शहनाई@क्यों किए जाते हैं शुभ मुहूर्त में विवाह देखें एक खास रिपोर्ट

विवाह एक अटूट बंधन माना गया है और इस बंधन में बंधकर लड़का और लड़की एक दूजे के लिए पूरा जीवन समर्पित कर देते हैं हिंदू शास्त्रों में विभाग को एक पवित्र रिश्ता कहा गया है इस रिश्ते को जोड़ने के लिए हिंदू धर्म को मानने वाले लोग विशेष मुहूर्त में विवाह के बंधन में बनते हैं शास्त्रों में वर्णन है कि विशेष मुहूर्त में किये गए विवाह से ना केवल इस जन्म में बल्कि सात जन्मों के लिए एक दूजे का साथ मिलता है इस साल में अब यह शुभ मुहूर्त के सिर्फ 9 ही दिन बचे हैं और अब 9 दिन ही हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के घर में शहनाई बजेगी आखिर क्यों होता है इन मुहूर्त मैं विवाह क्या है इन मुहूर्त में विवाह करने का महत्व देकर हमारी एक खास रिपोर्ट


Body:हिंदू धर्म को मानने वाले लोग पंचांग से निकाले गए शुभ मुहूर्त के हिसाब से ही विवाह करते हैं और माना जाता है इन मुहूर्त में विवाह करने से किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र पुरी का कहना है कि विवाह के मुहूर्त के लिए शास्त्रों में कहा गया है कि जब भगवान विष्णु बृहस्पति और शुक्र जागृत होते हैं तब विवाह के मुहूर्त शुरू हो जाते हैं इस साल अब कुछ ही मुहूर्त शेष रह गए हैं 11 दिसंबर से बृहस्पति वृद्धावस्था के लिए अग्रसर हो जाएगे और 16 दिसंबर से अस्त हो जाएगे 12 दिसंबर से पोष मास शुरू हो जाएगा यह मास श्राद्ध पक्ष की तरह ही होता है और इस मास में विवाह नहीं होता अब इस साल में जो विवाह के मुहूर्त है वह सिर्फ 9 मुहूर्त ही बचे हैं इसके बाद अगले साल 10 जनवरी से विवाह के मुहूर्त प्रारंभ होंगे जब गुरु उदय हो जाएंगे और पौष मास समाप्त हो जाएगा उसके बाद विवाह के मुहूर्त दोबारा से शुरु हो जाएंगे

बाइट-- प्रतीक मिश्र पुरी---ज्योतिषाचार्य

ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र पुरी का कहना है कि राशि का भी विवाह में काफी महत्व होता है गुरु बल लड़की की राशि में अच्छा होना चाहिए यही उसके पति का कारक होता है और शुक्र बल लड़के की कुंडली में पत्नी का कारक होता है बृहस्पति और शुक्र जागृत अवस्था में हो तब किया गया विवाह अच्छा फलदाई होता है इसे विवाह में विच्छेद नहीं होता और ना ही तलाक होता है और पति-पत्नी का विवाहित जीवन मधुर रहता है इसलिए विवाह का मुहूर्त निकाला जाता है मगर इससे अलग भी जब विवाह का मुहूर्त नहीं निकलता है तो तुलसी विवाह जिसको हरी प्रबोधन एकादशी बोलते हैं मगर इस साल यह मुहूर्त निकल चुका है इस एकादशी में जन्मकुंडली तो मिलाई जाती है मगर कोई मुहूर्त नहीं निकाला जाता इसमें बिना मुहूर्त के ही विवाह किया जाता है इस दिन विवाह करने से जीवन सुखमय होता है मगर उत्तर भारतीय लोग बसंत पंचमी के मुहूर्त में विवाह करते हैं इस मुहूर्त में पंचांग देखने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती अगर इस दिन अच्छे समय के अंदर विवाह किया जाए तो सात जन्मों के के लिए विवाह के बंधन में बंध जाते हैं और संपन्नता की ओर अग्रसर हो जाते हैं

बाइट-- प्रतीक मिश्र पुरी---ज्योतिषाचार्य

ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र पुरी का कहना है कि हिंदू धर्म को मानने वाले लोग शुभ मुहूर्त के अनुसार विवाह के बंधन में बनते हैं मगर कई और धर्म के लोग इन मुहूर्त पर विश्वास नहीं करते हैं इसलिए उनका वैवाहिक जीवन काफी कष्टदायक होता है प्रतीक मिश्र पूरी का कहना है कि सबसे ज्यादा विवाह करने के बाद जो तलाक हो रहे हैं वह मुस्लिम और ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों में हो रहे हैं क्योंकि इन धर्म को मानने वाले लोग शुभ मुहूर्त ना देख कर सिर्फ अपनी व्यवस्था के अनुसार विवाह करते हैं उनके द्वारा ना बृहस्पति का बल देखा जाता है और ना ही शुक्र का बल इसलिए उनका विवाह के बाद तलाक हो जाता है इसके साथ ही पति पत्नी के बीच कोई ऐसा संबंध नहीं बन पाता जो हमको सात जन्मों के बंधन में बांधे मगर हिंदू धर्म में विवाह का मुहूर्त सात जन्मों के लिए निकाला जाता है जब बृहस्पति और शुक्र का बल होता है और इसी वक्त विवाह करना अनिवार्य होता है

बाइट-- प्रतीक मिश्र पुरी---ज्योतिषाचार्य



Conclusion:इस साल अब विवाह के लिए सिर्फ 9 ही शुभ मुहूर्त बचे हैं और इन शुभ मुहूर्त में हिंदू रीति रिवाज से शादी करने वालों के घर शहनाई बजेगी इसके बाद अगले साल 10 जनवरी से ही शुभ मुहूर्त की शुरुआत होगी इसलिए इन 9 दिनों में हिंदू धर्म को मानने वाले कई लोग विवाह के पवित्र बंधन में बंध कर सात जन्मों के लिए एक हो जाएंगे और अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय तरीके से व्यतीत करेंगे
Last Updated : Nov 28, 2019, 4:54 PM IST
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