हरिद्वार: हिंदू धर्म में विवाह को एक पवित्र रिश्ता कहा गया है. इस रिश्ते को जोड़ने के लिए हिंदू धर्म को मानने वाले लोग विशेष मुहूर्त में विवाह के बंधन में बंधते हैं. शास्त्रों में वर्णन है कि विशेष मुहूर्त में किये गए विवाह से न केवल इस जन्म में बल्कि सात जन्मों के लिए एक दूजे का साथ मिलता है. इस साल में अब यह शुभ मुहूर्त के सिर्फ 9 ही दिन बचे हैं. आखिर क्यों होता है इन मुहूर्त में विवाह? क्या है इन मुहूर्त में विवाह करने का महत्व ?
हरिद्वार के ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र के मुताबिक, विवाह के मुहूर्त के लिए शास्त्रों में कहा गया है कि जब भगवान विष्णु बृहस्पति और शुक्र में जागृत होते हैं तब विवाह के मुहूर्त शुरू हो जाते हैं. इस साल अब कुछ ही मुहूर्त शेष रह गए हैं. 11 दिसंबर से बृहस्पति वृद्धावस्था के लिए अग्रसर हो जाएंगे और 16 दिसंबर से अस्त हो जाएगे. 12 दिसंबर से पौष मास शुरू हो जाएगा. यह मास श्राद्ध पक्ष की तरह ही होता है. इस मास में विवाह नहीं होता.
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अब इस साल में जो विवाह के मुहूर्त हैं वह सिर्फ 9 मुहूर्त ही बचे हैं. जिसमें 28 नवंबर से लेकर 11 दिसंबर तक 9 मुहूर्त हैं. जिसके बाद अगले साल 10 जनवरी से विवाह के मुहूर्त प्रारंभ होंगे. जब गुरू उदय हो जाएंगे और पौष मास समाप्त हो जाएगा, उसके बाद विवाह के मुहूर्त दोबारा से शुरू हो जाएंगे. हिंदू धर्म को मानने वाले लोग शुभ मुहूर्त के अनुसार विवाह के बंधन में बंधते हैं. ज्योतिष के मुताबिक, मुहूर्त नहीं मानने वालों के वैवाहिक जीवन में तकलीफें आती रहती हैं.