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15 साल बाद घर लौटी बुजुर्ग महिला, परिजनों का नहीं रहा खुशी का ठिकाना

15 साल पहले रुड़की के सुनहरा गांव स्थित नई बस्ती की रहने वाली बाला देवी संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गई थी. जो 15 साल बाद अपने घर पहुंची है.

roorkee
रुड़की में 15 साल बाद लौटी बुजुर्ग.
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Published : Oct 12, 2020, 2:07 PM IST

रुड़की: इंसान की जिंदगी में रिश्तों का खास महत्व होता है, जिसकी बानगी रुड़की में देखने को मिली. जहां 15 साल पहले सब रिश्ते को छोड़कर एक महिला परिवार से बिछड़ गई थी. लेकिन उसके लौटने से मानों परिवार में खुशियां लौट आई हो. बेटा, बेटी, बहु, नाते रिश्तेदार सबको पाकर फिर से एक रिश्ता ऐसा कायम हुआ जिसकी उम्मीद सब गवां चुके थे.

15 साल बाद घर लौटी बुजुर्ग महिला.

15 साल पहले रुड़की के सुनहरा गांव स्थित नई बस्ती की रहने वाली बाला देवी संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गई थी. जिसकी काफी तलाश करने के बावजूद भी कुछ पता नहीं चल पाया था, समय बीतता गया और परिवार सब्र करके बैठ गया. जैसे- जैसे साल बीते परिवार को लगा कि बाला देवी अब उनके बीच नहीं रही. लेकिन फिर अचानक बाला देवी का पता लगा और उन्हें चेन्नई से परिवार के बीच लाया गया. एक बार तो सब देखकर हैरान रह गए, मानों परिवार में खुशियां लौट आई हों, बाला देवी को परिवार मिला और कुछ परिवार के नए सदस्य भी.

पढ़ें- लीबिया में अगवा सात भारतीय रिहा, सितंबर में हुआ था अपहरण

काफी तलाश के बाद भी नहीं चला पता

बता दें कि साल 2008 में रुड़की के सुनहरा निवासी महिला बाला देवी जो दिमागी रूप से बीमार थी. सहारनपुर रेलवे स्टेशन से रुड़की के लिए आ रही थी तभी किसी और ट्रेन में बैठने के कारण वे कहीं और पहुंच गई. जब बाला देवी घर नहीं पहुंची तो परिवार वालों ने काफी तलाश किया, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चल पाया. समय बीतता गया और परिवार भी बाला देवी को भुला बैठे थे. फिर 15 साल बाद अचानक एक फोन कॉल ने सबको चौका दिया.

एनजीओ ने की मदद

दरअसल, बाला देवी किसी तरह चेन्नई पहुंच गई, और वहां उन्हें एक इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ जो कि एक सरकारी संस्थान है, उसमें भर्ती कराया गया. इस दौरान उनकी पहचान करने की काफी कोशिश भी की गई. लेकिन मानसिक रोगी होने के कारण उनकी पहचान नहीं हो सकी. जिसपर संस्थान ने इसी साल 28 मई को एस्पाइरिंग लाइस एनजीओ जोकि मानसिक रूप से अस्वस्थ लापता लोगों को उनके परिवार से मिलाने का कार्य करती है, उससे संपर्क किया ताकि बाला देवी को उनके परिवार से मिलाया जा सके.

पढ़ें- केदारनाथ पहुंचे केंद्रीय संस्कृति सचिव, विकास कार्यों का किया निरीक्षण

मेहनत लाई रंग

एस्पाइरिंग लाइव्स के मैनेजिंग मनीष कुमार ने अपने स्तर से उक्त महिला की छानबीन की और आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई. उन्होंने बाला देवी के परिवार को ढूंढ निकाला, जिसके बाद परिवार वालों से सम्पर्क किया गया. साथ ही उन्हें पूरा मांजरा बताते हुए उन्हें चेन्नई बुलाया गया, जिसके बाद परिवार के सदस्य चेन्नई पहुंचे और रुड़की नगर निगम के क्षेत्रीय पार्षद की लिखित लैटर पेड के बाद उन्हें बाला देवी को सुपुर्द किया गया.

खुशियों ने दी दस्तक

जब बाला देवी घर पहुंची तो परिवार के लोग उनसे मिलने के लिए इकठ्ठा हो गए, जिसको भी बाला देवी के बारे जानकारी लगी वह अपने आपको रोक नहीं पाया. इस दौरान बाला देवी की घर के नए सदस्यों से भी मुलाकात कराई गई, बाला देवी जब लापता थी तब उनके बेटे की शादी हुई थी. फिलहाल परिवार में बाला देवी के लौटने से खुशी का माहौल है.

रुड़की: इंसान की जिंदगी में रिश्तों का खास महत्व होता है, जिसकी बानगी रुड़की में देखने को मिली. जहां 15 साल पहले सब रिश्ते को छोड़कर एक महिला परिवार से बिछड़ गई थी. लेकिन उसके लौटने से मानों परिवार में खुशियां लौट आई हो. बेटा, बेटी, बहु, नाते रिश्तेदार सबको पाकर फिर से एक रिश्ता ऐसा कायम हुआ जिसकी उम्मीद सब गवां चुके थे.

15 साल बाद घर लौटी बुजुर्ग महिला.

15 साल पहले रुड़की के सुनहरा गांव स्थित नई बस्ती की रहने वाली बाला देवी संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गई थी. जिसकी काफी तलाश करने के बावजूद भी कुछ पता नहीं चल पाया था, समय बीतता गया और परिवार सब्र करके बैठ गया. जैसे- जैसे साल बीते परिवार को लगा कि बाला देवी अब उनके बीच नहीं रही. लेकिन फिर अचानक बाला देवी का पता लगा और उन्हें चेन्नई से परिवार के बीच लाया गया. एक बार तो सब देखकर हैरान रह गए, मानों परिवार में खुशियां लौट आई हों, बाला देवी को परिवार मिला और कुछ परिवार के नए सदस्य भी.

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काफी तलाश के बाद भी नहीं चला पता

बता दें कि साल 2008 में रुड़की के सुनहरा निवासी महिला बाला देवी जो दिमागी रूप से बीमार थी. सहारनपुर रेलवे स्टेशन से रुड़की के लिए आ रही थी तभी किसी और ट्रेन में बैठने के कारण वे कहीं और पहुंच गई. जब बाला देवी घर नहीं पहुंची तो परिवार वालों ने काफी तलाश किया, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चल पाया. समय बीतता गया और परिवार भी बाला देवी को भुला बैठे थे. फिर 15 साल बाद अचानक एक फोन कॉल ने सबको चौका दिया.

एनजीओ ने की मदद

दरअसल, बाला देवी किसी तरह चेन्नई पहुंच गई, और वहां उन्हें एक इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ जो कि एक सरकारी संस्थान है, उसमें भर्ती कराया गया. इस दौरान उनकी पहचान करने की काफी कोशिश भी की गई. लेकिन मानसिक रोगी होने के कारण उनकी पहचान नहीं हो सकी. जिसपर संस्थान ने इसी साल 28 मई को एस्पाइरिंग लाइस एनजीओ जोकि मानसिक रूप से अस्वस्थ लापता लोगों को उनके परिवार से मिलाने का कार्य करती है, उससे संपर्क किया ताकि बाला देवी को उनके परिवार से मिलाया जा सके.

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मेहनत लाई रंग

एस्पाइरिंग लाइव्स के मैनेजिंग मनीष कुमार ने अपने स्तर से उक्त महिला की छानबीन की और आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई. उन्होंने बाला देवी के परिवार को ढूंढ निकाला, जिसके बाद परिवार वालों से सम्पर्क किया गया. साथ ही उन्हें पूरा मांजरा बताते हुए उन्हें चेन्नई बुलाया गया, जिसके बाद परिवार के सदस्य चेन्नई पहुंचे और रुड़की नगर निगम के क्षेत्रीय पार्षद की लिखित लैटर पेड के बाद उन्हें बाला देवी को सुपुर्द किया गया.

खुशियों ने दी दस्तक

जब बाला देवी घर पहुंची तो परिवार के लोग उनसे मिलने के लिए इकठ्ठा हो गए, जिसको भी बाला देवी के बारे जानकारी लगी वह अपने आपको रोक नहीं पाया. इस दौरान बाला देवी की घर के नए सदस्यों से भी मुलाकात कराई गई, बाला देवी जब लापता थी तब उनके बेटे की शादी हुई थी. फिलहाल परिवार में बाला देवी के लौटने से खुशी का माहौल है.

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