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जिम्मेदार कौनः सचिव पंकज कुमार पांडेय से हुई बड़ी गलती, राजकीय शोक को बताया राष्ट्रीय शोक - लेटेस्ट न्यूज

राज्य सरकार ने स्वामी सत्यमित्रानंद शंकराचार्य के निधन पर 26 जून को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण शासनादेश में इसे राष्ट्रीय शोक लिखा गया है.

फाइल फोटो.
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Published : Jun 25, 2019, 11:35 PM IST

हरिद्वार: निवृत्त शंकराचार्य पद्मभूषण स्वामी सत्यमित्रानंद शंकराचार्य का निधन होने पर राज्य सरकार ने 26 जून को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. वहीं, इस राजकीय शोक की घोषणा ने सूचना विभाग पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. क्योंकि शासनादेश की घोषणा में राजकीय शोक की जगह दो बार राष्ट्रीय शोक लिख दिया गया है. इसके साथ ही विभाग ने सत्यमित्रानंद को जगद्गुरु शंकराचार्य के नाम से संबोधित किया है.

सत्यमित्रानंद मध्य प्रदेश की भानु पूरा पीठ के शंकराचार्य थे. जब उनको इंग्लैंड में ब्रिटिश राज परिवार की ओर से सम्मानित करने के लिए बुलाया गया था तो उस वक्त वह भानु पूरा पीठ के शंकराचार्य थे और शंकराचार्य सिर्फ भारत भ्रमण पर रहकर धर्म का प्रचार करते हैं. कोई भी शंकराचार्य समुद्र नहीं पार कर सकता है, जिस कारण भानु पूरा पीठ के शंकराचार्य को पद से इस्तीफा देना पड़ा.

ये भी पढ़ें: पेट्रोल पंप मालिक के बेटे को बदमाशों ने मारी गोली, कैश से भरा बैग लूटा

शासनादेश पर सूचना सचिव पंकज कुमार पांडेय ने हस्ताक्षर तो कर दिए, लेकिन बिना यह जाने कि शासनादेश में क्या लिखा है. सूचना सचिव ने भी बिना पढ़े ही राजकीय शोक का आदेश हस्ताक्षर कर जारी कर दिया. इस आदेश को सूचना विभाग के अधिकारियों ने बिना पढ़े ही राज्य भर में जारी कर दिया.

हरिद्वार: निवृत्त शंकराचार्य पद्मभूषण स्वामी सत्यमित्रानंद शंकराचार्य का निधन होने पर राज्य सरकार ने 26 जून को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. वहीं, इस राजकीय शोक की घोषणा ने सूचना विभाग पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. क्योंकि शासनादेश की घोषणा में राजकीय शोक की जगह दो बार राष्ट्रीय शोक लिख दिया गया है. इसके साथ ही विभाग ने सत्यमित्रानंद को जगद्गुरु शंकराचार्य के नाम से संबोधित किया है.

सत्यमित्रानंद मध्य प्रदेश की भानु पूरा पीठ के शंकराचार्य थे. जब उनको इंग्लैंड में ब्रिटिश राज परिवार की ओर से सम्मानित करने के लिए बुलाया गया था तो उस वक्त वह भानु पूरा पीठ के शंकराचार्य थे और शंकराचार्य सिर्फ भारत भ्रमण पर रहकर धर्म का प्रचार करते हैं. कोई भी शंकराचार्य समुद्र नहीं पार कर सकता है, जिस कारण भानु पूरा पीठ के शंकराचार्य को पद से इस्तीफा देना पड़ा.

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शासनादेश पर सूचना सचिव पंकज कुमार पांडेय ने हस्ताक्षर तो कर दिए, लेकिन बिना यह जाने कि शासनादेश में क्या लिखा है. सूचना सचिव ने भी बिना पढ़े ही राजकीय शोक का आदेश हस्ताक्षर कर जारी कर दिया. इस आदेश को सूचना विभाग के अधिकारियों ने बिना पढ़े ही राज्य भर में जारी कर दिया.

Intro:राजकीय शोक की घोषणा की कॉपी व्हाट्सएप ग्रुप पर

निवर्तमान शंकराचार्य पद्मा विभूषण स्वामी सत्यमित्रानंद शंकराचार्य के निधन पर राज्य सरकार ने 26 जून को 1 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है मगर इस राज्य राजकीय शोक की घोषणा ने सूचना विभाग पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं क्योंकि राजकीय शोक की इस घोषणा के शासनादेश में राजकीय शोक की जगह दो बार राष्ट्रीय शोक लिख दिया गया और इसके साथ ही एक और बड़ी गलती विभाग द्वारा की गई है जिसमें सत्यमित्रानंद को जगद्गुरु शंकराचार्य के नाम से संबोधित किया गया है सत्यमित्रानंद निवर्तमान शंकराचार्य है ना कि जगतगुरु शंकराचार्य


Body:सत्यमित्रानंद मध्य प्रदेश की भानु पूरा पीठ के शंकराचार्य थे मगर जब उनको इंग्लैंड में ब्रिटिश राज परिवार की ओर से सम्मानित करने के लिए बुलाया गया था तो उस वक्त वह भानु पूरा पीठ के शंकराचार्य थे और शंकराचार्य सिर्फ भारत भ्रमण पर रहते हैं और धर्म का प्रचार करते हैं और कोई भी समुद्र नहीं लांग कर जाते हैं इसी वजह से उन्होंने भानु पूरा पीठ के शंकराचार्य पद से इस्तीफा दे दिया था इस वक्त वह निवर्तमान शंकराचार्य थे मगर सत्यमित्रानंद के निधन पर राजकीय शोक की घोषणा पर उनको जगद्गुरु शंकराचार्य बताया गया

शासनादेश पर सूचना सचिव पंकज कुमार पांडे ने हस्ताक्षर तो कर दिए लेकिन बिना यह जाने कि शासनादेश में लिखा क्या है और सूचना सचिव ने भी बिना पढ़े ही राजकीय शोक का आदेश हस्ताक्षर कर जारी कर दिया यही नहीं इस आदेश को सूचना विभाग के अधिकारियों ने बिना पढ़े ही राज्य भर में जारी कर दिया सूचना विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से साफ है कि हर कोई बस खानापूर्ति करने में लगा हुआ है इस आदेश पर विभाग की बड़ी लापरवाही सामने देखने को मिल रही है


Conclusion:सत्यमित्रानंद के निधन पर जिस तरह से विभाग द्वारा चूक की गई उसने प्रशासनिक कार्य करने पर पलीता लगा दिया है क्योंकि जिस तरह से दो जगह राजकीय शोक की जगह दो बार राष्ट्रीय शोक लिख दिया और निवर्तमान शंकराचार्य की जगह जगद्गुरु शंकराचार्य लिख दिया इससे कहीं ना कहीं विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं अब देखना यह होगा कि जिसके द्वारा यह चूक की गई है क्या उस पर कोई कार्यवाही हो पाएगी यह देखने वाली बात होगी
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