हरिद्वार: निवृत्त शंकराचार्य पद्मभूषण स्वामी सत्यमित्रानंद शंकराचार्य का निधन होने पर राज्य सरकार ने 26 जून को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. वहीं, इस राजकीय शोक की घोषणा ने सूचना विभाग पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. क्योंकि शासनादेश की घोषणा में राजकीय शोक की जगह दो बार राष्ट्रीय शोक लिख दिया गया है. इसके साथ ही विभाग ने सत्यमित्रानंद को जगद्गुरु शंकराचार्य के नाम से संबोधित किया है.
सत्यमित्रानंद मध्य प्रदेश की भानु पूरा पीठ के शंकराचार्य थे. जब उनको इंग्लैंड में ब्रिटिश राज परिवार की ओर से सम्मानित करने के लिए बुलाया गया था तो उस वक्त वह भानु पूरा पीठ के शंकराचार्य थे और शंकराचार्य सिर्फ भारत भ्रमण पर रहकर धर्म का प्रचार करते हैं. कोई भी शंकराचार्य समुद्र नहीं पार कर सकता है, जिस कारण भानु पूरा पीठ के शंकराचार्य को पद से इस्तीफा देना पड़ा.
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शासनादेश पर सूचना सचिव पंकज कुमार पांडेय ने हस्ताक्षर तो कर दिए, लेकिन बिना यह जाने कि शासनादेश में क्या लिखा है. सूचना सचिव ने भी बिना पढ़े ही राजकीय शोक का आदेश हस्ताक्षर कर जारी कर दिया. इस आदेश को सूचना विभाग के अधिकारियों ने बिना पढ़े ही राज्य भर में जारी कर दिया.