रुड़की: तीर्थस्थल पिरान कलियर और शिक्षानगरी रुड़की में भीख मांगना एक बड़ा कारोबार बनता जा रहा है, जहां बाहर से आकर झोपड़ियों में रह रहे सैकड़ों परिवार अपने बच्चों से भीख मांगने पर मजबूर कर रहे है. वहीं, केंद्र और प्रदेश सरकार बच्चों के भविष्य को सुधारने के लिए कई योजनाएं बनाकर करोड़ों रूपये खर्च कर रही है, लेकिन भीख मांगने वाले बच्चे इन सब योजनाओं से बेखबर हैं. भीख मांगने के साथ-साथ ये बच्चे चोरी और नशा जैसी लत में पड़कर बर्बाद हो रहे हैं. इसे रोकने में जिला प्रशासन और संबधित विभाग पूरी तरह नाकाम साबित हो चुका है. प्रदेश में गठित बाल संरक्षण आयोग भी इस समस्या को अनदेखा कर रहा है.
इलाके के लोगों ने इसकी शिकायत कई बार जिला प्रशासन और श्रम विभाग के अधिकारियों से की है, लेकिन अधिकारी समस्याओं को अनदेखा कर देते हैं. वहीं, भिखारियों से नगर और आसपास के लोगों के साथ-साथ जायरीन और राहगीर भी काफी परेशान हैं. खानपान की दुकानों के बाहर भीख मांगने वाले बच्चों और महिलाओं की भीड़ लगी रहती है. इसके साथ ही बाल शोषण का ग्राफ बढ़ता जा रहा है.
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दरगाह साबिर पाक में 10 वर्षों से जिस तरह यहां आने वाले अकीदंतमंदों में भारी इजाफा हुआ है, उसी तरह भीख मांगने वालो की तादाद भी लगातार बढ़ती जा रही है. पिरान कलियर स्थित रुड़की रोड, धनौरी रोड, दरगाह अबदाल साहब रोड, सिंचाई विभाग और ग्राम पंचायत के इलाकों पर सैकड़ों परिवार झोपड़ी डालकर रह रहे हैं.
यह परिवार सुबह होते ही अपने बच्चों को भीख मांगने और बाल मजदूरी के लिए घर से भेज देते हैं. वहीं, शाम होने पर बच्चे भीख में मांगे पैसे लेकर घर पहुंचते हैं तो परिजनों द्वारा बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाता है. वहीं यदि कोई बच्चा पैसे लेकर नहीं जाता तो उसे प्रताड़ित किया जाता है. शिक्षानगरी रुड़की में भी लगातार भिखारियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. छोटे मासूम बच्चों से लेकर बड़े बूढ़े सड़कों पर भीख मांगते हुए नजर आते हैं. भीख मांगने वाले छोटे बच्चें दुकानों और होटलों के बाहर जमावड़ा लगाकर भीख मांगते हैं.