हरिद्वार: ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के बादशाहपुर नसीरपुर कलां में बना पशु चिकित्सालय सालों से चिकित्सकों के इंतजार में है. साल 2010 में बना राजकीय पशु सेवा केंद्र में अबतक महज एक-दो बार ही पशु चिकित्सक आये हैं. खंडहर में तब्दील हो रहे इस पशु चिकित्सालय में डॉक्टर न होने की वजह से ग्रामीणों को अपने पशु के इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं.
स्थानीय निवासियों का कहना है कि पशु चिकित्सालय को बने 9 साल हो गए हैं. बावजूद इसके करोड़ों की लागत से बने इस अस्पताल में लोगों किसी तरह की सुविधा नहीं मिल रही है. ऐसे में इलाज के अभाव में कई पशुओं की मौत हो जाती है. ग्रामीण मुकेश सिंह ने बताया कि अस्पताल में स्टाफ न होने के वजह से पूरी बिल्डिंग में घास उग आए हैं. लेकिन, सरकार की ओर से अस्पताल में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
पूर्व प्रधान श्यामलाल राठौर का कहना है कि जब से अस्पताल बना है यहां डॉक्टर सिर्फ दो-तीन बार ही आये हैं. पशु के बीमार होने पर ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है. उन्होंने बताया कि वो सीडीओ को कई बार इसको लेकर शिकायत कर चुके हैं. लेकिन शिकायत होने पर एक राउंड डॉक्टर आकर लौट जाते हैं. श्यामलाल ने कहा कि अगर अभी भी पशु चिकित्सक अस्पताल में तैनात नहीं होते तो धरना प्रदर्शन किया जाएगा.
वहीं, पूरे मामले में पशु चिकित्सा अधिकारी विपुल जैन ने बताया कि जो डॉक्टर वहां तैनात है वो देहरादून अटैच है. इसलिए फेरूपुर के पशु सेवा केंद्र में तैनात डॉक्टर को अतिरिक्त चार्ज दिया गया है. क्षेत्र बड़ा होने की वजह से ये दिक्कत हो रही है. लेकिन वो समय-समय पर नसीरपुर के चिकित्सालय भी जाते रहते हैं. उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की कमी के लिए कई बार पत्राचार भी किया गया है. लेकिन जिले में ही चिकित्सकों की कमी है और डॉक्टरों के पास क्षेत्र काफी बड़ा हैं.
पशु चिकित्सा अधिकारी भले ही कह रहे हैं कि समय-समय पर चिकित्सक हॉस्पिटल पहुंचते हैं, लेकिन अस्पताल में लटके ताले, परिसर में उगी घास और घूल फांकती दवा बता रही है कि अस्पताल में सालों से डॉक्टर नहीं आया है.