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पशु चिकित्सालय बना शोपीस, 9 सालों में सिर्फ दो बार हॉस्पिटल पहुंचे चिकित्सक

हरिद्वार पशु सेवा केंद्र में एक भी डॉक्टर तैनात नहीं है. बादशाहपुर नसीरपुर कलां के ग्रामीणों को पशु चिकित्सक न होने की वजह से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

बदहाल पशु सेवा केंद्र.
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Published : Apr 28, 2019, 2:16 PM IST

Updated : Apr 28, 2019, 2:42 PM IST

हरिद्वार: ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के बादशाहपुर नसीरपुर कलां में बना पशु चिकित्सालय सालों से चिकित्सकों के इंतजार में है. साल 2010 में बना राजकीय पशु सेवा केंद्र में अबतक महज एक-दो बार ही पशु चिकित्सक आये हैं. खंडहर में तब्दील हो रहे इस पशु चिकित्सालय में डॉक्टर न होने की वजह से ग्रामीणों को अपने पशु के इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं.

स्थानीय निवासियों का कहना है कि पशु चिकित्सालय को बने 9 साल हो गए हैं. बावजूद इसके करोड़ों की लागत से बने इस अस्पताल में लोगों किसी तरह की सुविधा नहीं मिल रही है. ऐसे में इलाज के अभाव में कई पशुओं की मौत हो जाती है. ग्रामीण मुकेश सिंह ने बताया कि अस्पताल में स्टाफ न होने के वजह से पूरी बिल्डिंग में घास उग आए हैं. लेकिन, सरकार की ओर से अस्पताल में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

बदहाल पशु चिकित्सालय

पूर्व प्रधान श्यामलाल राठौर का कहना है कि जब से अस्पताल बना है यहां डॉक्टर सिर्फ दो-तीन बार ही आये हैं. पशु के बीमार होने पर ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है. उन्होंने बताया कि वो सीडीओ को कई बार इसको लेकर शिकायत कर चुके हैं. लेकिन शिकायत होने पर एक राउंड डॉक्टर आकर लौट जाते हैं. श्यामलाल ने कहा कि अगर अभी भी पशु चिकित्सक अस्पताल में तैनात नहीं होते तो धरना प्रदर्शन किया जाएगा.

वहीं, पूरे मामले में पशु चिकित्सा अधिकारी विपुल जैन ने बताया कि जो डॉक्टर वहां तैनात है वो देहरादून अटैच है. इसलिए फेरूपुर के पशु सेवा केंद्र में तैनात डॉक्टर को अतिरिक्त चार्ज दिया गया है. क्षेत्र बड़ा होने की वजह से ये दिक्कत हो रही है. लेकिन वो समय-समय पर नसीरपुर के चिकित्सालय भी जाते रहते हैं. उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की कमी के लिए कई बार पत्राचार भी किया गया है. लेकिन जिले में ही चिकित्सकों की कमी है और डॉक्टरों के पास क्षेत्र काफी बड़ा हैं.

पशु चिकित्सा अधिकारी भले ही कह रहे हैं कि समय-समय पर चिकित्सक हॉस्पिटल पहुंचते हैं, लेकिन अस्पताल में लटके ताले, परिसर में उगी घास और घूल फांकती दवा बता रही है कि अस्पताल में सालों से डॉक्टर नहीं आया है.

हरिद्वार: ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के बादशाहपुर नसीरपुर कलां में बना पशु चिकित्सालय सालों से चिकित्सकों के इंतजार में है. साल 2010 में बना राजकीय पशु सेवा केंद्र में अबतक महज एक-दो बार ही पशु चिकित्सक आये हैं. खंडहर में तब्दील हो रहे इस पशु चिकित्सालय में डॉक्टर न होने की वजह से ग्रामीणों को अपने पशु के इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं.

स्थानीय निवासियों का कहना है कि पशु चिकित्सालय को बने 9 साल हो गए हैं. बावजूद इसके करोड़ों की लागत से बने इस अस्पताल में लोगों किसी तरह की सुविधा नहीं मिल रही है. ऐसे में इलाज के अभाव में कई पशुओं की मौत हो जाती है. ग्रामीण मुकेश सिंह ने बताया कि अस्पताल में स्टाफ न होने के वजह से पूरी बिल्डिंग में घास उग आए हैं. लेकिन, सरकार की ओर से अस्पताल में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

बदहाल पशु चिकित्सालय

पूर्व प्रधान श्यामलाल राठौर का कहना है कि जब से अस्पताल बना है यहां डॉक्टर सिर्फ दो-तीन बार ही आये हैं. पशु के बीमार होने पर ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है. उन्होंने बताया कि वो सीडीओ को कई बार इसको लेकर शिकायत कर चुके हैं. लेकिन शिकायत होने पर एक राउंड डॉक्टर आकर लौट जाते हैं. श्यामलाल ने कहा कि अगर अभी भी पशु चिकित्सक अस्पताल में तैनात नहीं होते तो धरना प्रदर्शन किया जाएगा.

वहीं, पूरे मामले में पशु चिकित्सा अधिकारी विपुल जैन ने बताया कि जो डॉक्टर वहां तैनात है वो देहरादून अटैच है. इसलिए फेरूपुर के पशु सेवा केंद्र में तैनात डॉक्टर को अतिरिक्त चार्ज दिया गया है. क्षेत्र बड़ा होने की वजह से ये दिक्कत हो रही है. लेकिन वो समय-समय पर नसीरपुर के चिकित्सालय भी जाते रहते हैं. उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की कमी के लिए कई बार पत्राचार भी किया गया है. लेकिन जिले में ही चिकित्सकों की कमी है और डॉक्टरों के पास क्षेत्र काफी बड़ा हैं.

पशु चिकित्सा अधिकारी भले ही कह रहे हैं कि समय-समय पर चिकित्सक हॉस्पिटल पहुंचते हैं, लेकिन अस्पताल में लटके ताले, परिसर में उगी घास और घूल फांकती दवा बता रही है कि अस्पताल में सालों से डॉक्टर नहीं आया है.

Intro:फीड लाइव व्यू से भेजी है

UK_HARIDWAR_27_APRIL_2019_BADHAL_PASHU_ASPATAL_HD

सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर लाख दावे करती है मगर धरातल पर सरकार के दावों की हवा निकल जाती है उत्तराखंड में वैसे तो स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है इंसानी अस्पतालों में जहां सही तरीके से इलाज ना मिलने से इंसान परेशान रहते हैं तो वही पशु के लिए बनाए गए अस्पताल आज जर्जर हालत में हो रहे हैं लाखों रुपए की लागत से साल 2010 में हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के बादशाहपुर नसीरपुर कला में बना पशु चिकित्सालय सेवा केंद्र वर्षों से चिकित्सकों के इंतजार में खंडहर होने की कगार पर है पशु चिकित्सा सेवा केंद्र के क्षेत्र में खुलने से ग्रामीणों में खुशी की लहर थी तो वहीं आज कई वर्ष बीत जाने के बाद भी यहां चिकित्सक नहीं पहुंचते हैं ऐसे में ग्रामीण भी सरकार की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर रहे हैं




Body:2010 में बने पशु चिकित्सा सेवा केंद्र में आज तक सिर्फ एक बार चिकित्सक पहुंचे जो कुछ दिनों तक ही अपनी सेवाएं क्षेत्र में दे पाए थे लेकिन उसके बाद से वर्षों से बना पशु चिकित्सालय चिकित्सकों के इंतजार में है स्थानीय लोगों की माने तो आज वर्षों बीत जाने के बाद भी यहां अस्पताल में चिकित्सक नहीं है यदि यहां डॉक्टर हो तो हमारे पशुओं के इलाज में हमें सुलियत मिलेगी फिलहाल हालात ऐसे है कि चिकित्सालय तो है लेकिन डॉक्टरों के ना होने से काफी परेशानी उठानी पड़ रही है और बाहर से डॉक्टर आते हैं तो पैसे भी ज्यादा रखते हैं कई सालों से अस्पताल बंद होने की वजह से यहां पर घास उग गई है और बिल्डिंग खंडहर हो रही है

बाइक--धूम सिंह--स्थानीय निवासी
बाइट--मुकेश--स्थानीय निवासी

पूर्व प्रधान श्यामलाल राठौर का कहना है कि जब से यह अस्पताल बना है यहां डॉक्टर सिर्फ दो-तीन बार ही आये है और जब पशु को कोई बीमारी होती है तो ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है लाखों की लागत से बनाया यह सरकारी अस्पताल खंडहर होने की स्थिति में हो गया है मेरे द्वारा ही यहां पर सफाई व्यवस्था कराई गई थी मेरे द्वारा सीडीओ को शिकायत करने के बाद एक दो बार यहां पर डॉक्टर आए मगर उसके बाद आज तक यहां डॉक्टर नहीं आए हैं हम चाहते हैं कि यहां पर डॉक्टर आए और लोगों को परेशानी का सामना ना करना पड़े अगर यहां पर व्यवस्था सही नहीं की जाती है तो हमारे द्वारा धरना प्रदर्शन किया जाएगा

बाइट--श्यामलाल राठौर-- पूर्व प्रधान

वही पूरे मामले पर पशु चिकित्सा अधिकारी विपुल जैन का कहना है कि डॉक्टर वहां जो तैनात है वह देहरादून अटैच है इसलिए फेरूपुर के पशु सेवा केंद्र में तैनात डॉक्टर के पास अतिरिक्त चार्ज है क्षेत्र बड़ा होने से उनके सामने भी दिक्कत है लेकिन वह लगातार समय-समय पर जाते रहते हैं डॉक्टरों की कमी के लिए कई बार पत्राचार भी किया गया है लेकिन पूरे जनपद में ही चिकित्सकों की कमी है और डॉक्टरों के पास क्षेत्र बड़े हैं

बाइट-- विपुल जैन--मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी




Conclusion:पशु चिकित्सा अधिकारी भले ही समय-समय पर डॉक्टरों के क्षेत्र में जाने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हो लेकिन तस्वीरें कभी झूठ नहीं बोलती साहब पशु सेवा केंद्र बादशाहपुर नसीरपुर कला की जो स्थिति है वह अपने आपसे बताने के लिए काफी है कि यहां शायद ही कभी कोई डॉक्टर आकर बैठता होगा पशु सेवा केंद्र के अंदर खड़े घास लगे जाले और जर जर हो रहे भावना से यह स्पष्ट है कि यहां के लोग अभी भी चिकित्सकों के इंतजार में हैं जिससे वह अपने पशुओं का सही तरीके से इलाज करा सके
Last Updated : Apr 28, 2019, 2:42 PM IST
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