हरिद्वार : साल 2018 में हाइकोर्ट के आदेश पर हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया गया था. अभियान के दौरान हरिद्वार में अतिक्रमण की चपेट में आये तमाम घरों और दुकानों पर जेसीबी चली थी.
गौरतलब है कि आज भी उन इलाकों में खासकर कृष्णानगर और जगजीतपुर क्षेत्र में नजारा वीरान दिखाई देता है. लोगों के मकान और दुकान आज भी ज्यों के त्यों टूटे हुए खंडहर नुमा दिखाई देते है. स्थानीय लोग जिनके मकान और दुकान तोड़े गए वे आज प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं कि प्रशासन ने उनके आशियानों को तो तोड़ दिया लेकिन विकास के नाम पर कुछ नहीं किया.
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लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने बिना किसी तैयारी के हाईकोर्ट का आदेश दिखाकर उनके मकान और दुकान तोड़ दिए. पहले तो प्रशासन ने 60 फीट के निशान पर तोड़फोड़ की फिर निशान को 66 फीट बताया. कई लोगों ने ये सोचकर स्वयं ही अपने घरों और दुकानों को 60 फीट के निशान के हिसाब से तोड़ दिया था कि जेसीबी चलेगी तो ज्यादा नुकसान होगा .
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बता दें कि कई लोग इस अभियान के दौरान घायल भी हुए थे. यहां तक की एक महिला का आरोप है कि इस अभियान के दौरान उनके पति की मृत्यु हो गयी थी . अभी तक उनकी दुकान के सामने कोई निर्माण या नाला प्रशासन ने नहीं बनवाया है.
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वहीं लोग हाइकोर्ट के आदेश को तो स्वीकार कर रहे हैं लेकिन प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रहे हैं, कि आखिर कृष्णानगर और जगजीतपुर क्षेत्र को ही क्यों इस अभियान में शामिल किया गया. लोगों का कहना है कि हरिद्वार में ऐसे कई इलाके हैं जहां वास्तव में अतिक्रमण किया गया है. लोगों को इंतजार है कि आखिर कब तक अतिक्रमण हटाये गए स्थानों पर निर्माण किया जाएगा .