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अतिक्रमण हटाए जाने के तीन साल बाद भी नहीं हुआ कोई विकास कार्य, प्रशासन की मंशा पर उठे सवाल

2018 में हाइकोर्ट के आदेश पर हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया गया था. लोग आज प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं कि आखिर प्रशासन ने उनके आशियानों तो तोड़ दिए , लेकिन विकास के नाम पर कुछ नहीं किया.

हरिद्वार अतिक्रमण समाचार , encroacment in haridwar news
अतिक्रमण अभियान .
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Published : Dec 7, 2019, 3:20 PM IST

हरिद्वार : साल 2018 में हाइकोर्ट के आदेश पर हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया गया था. अभियान के दौरान हरिद्वार में अतिक्रमण की चपेट में आये तमाम घरों और दुकानों पर जेसीबी चली थी.

गौरतलब है कि आज भी उन इलाकों में खासकर कृष्णानगर और जगजीतपुर क्षेत्र में नजारा वीरान दिखाई देता है. लोगों के मकान और दुकान आज भी ज्यों के त्यों टूटे हुए खंडहर नुमा दिखाई देते है. स्थानीय लोग जिनके मकान और दुकान तोड़े गए वे आज प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं कि प्रशासन ने उनके आशियानों को तो तोड़ दिया लेकिन विकास के नाम पर कुछ नहीं किया.

विकास नहीं होने से लोग नाराज.

यह भी पढ़ें-पुलिस ने किया गदरपुर लूट का खुलासा, एक आरोपी गिरफ्तार

लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने बिना किसी तैयारी के हाईकोर्ट का आदेश दिखाकर उनके मकान और दुकान तोड़ दिए. पहले तो प्रशासन ने 60 फीट के निशान पर तोड़फोड़ की फिर निशान को 66 फीट बताया. कई लोगों ने ये सोचकर स्वयं ही अपने घरों और दुकानों को 60 फीट के निशान के हिसाब से तोड़ दिया था कि जेसीबी चलेगी तो ज्यादा नुकसान होगा .

यह भी पढ़ें-कॉर्बेट पार्क भ्रमण पर पहुंचा स्वीडन का शाही जोड़ा, गुर्जरों संग दिल खोलकर की बात

बता दें कि कई लोग इस अभियान के दौरान घायल भी हुए थे. यहां तक की एक महिला का आरोप है कि इस अभियान के दौरान उनके पति की मृत्यु हो गयी थी . अभी तक उनकी दुकान के सामने कोई निर्माण या नाला प्रशासन ने नहीं बनवाया है.

यह भी पढ़ें-पूर्व मंत्री ने विधानसभा के बाहर दिया धरना, NCC एकेडमी को शिफ्ट करने पर जताया विरोध

वहीं लोग हाइकोर्ट के आदेश को तो स्वीकार कर रहे हैं लेकिन प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रहे हैं, कि आखिर कृष्णानगर और जगजीतपुर क्षेत्र को ही क्यों इस अभियान में शामिल किया गया. लोगों का कहना है कि हरिद्वार में ऐसे कई इलाके हैं जहां वास्तव में अतिक्रमण किया गया है. लोगों को इंतजार है कि आखिर कब तक अतिक्रमण हटाये गए स्थानों पर निर्माण किया जाएगा .

हरिद्वार : साल 2018 में हाइकोर्ट के आदेश पर हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया गया था. अभियान के दौरान हरिद्वार में अतिक्रमण की चपेट में आये तमाम घरों और दुकानों पर जेसीबी चली थी.

गौरतलब है कि आज भी उन इलाकों में खासकर कृष्णानगर और जगजीतपुर क्षेत्र में नजारा वीरान दिखाई देता है. लोगों के मकान और दुकान आज भी ज्यों के त्यों टूटे हुए खंडहर नुमा दिखाई देते है. स्थानीय लोग जिनके मकान और दुकान तोड़े गए वे आज प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं कि प्रशासन ने उनके आशियानों को तो तोड़ दिया लेकिन विकास के नाम पर कुछ नहीं किया.

विकास नहीं होने से लोग नाराज.

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लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने बिना किसी तैयारी के हाईकोर्ट का आदेश दिखाकर उनके मकान और दुकान तोड़ दिए. पहले तो प्रशासन ने 60 फीट के निशान पर तोड़फोड़ की फिर निशान को 66 फीट बताया. कई लोगों ने ये सोचकर स्वयं ही अपने घरों और दुकानों को 60 फीट के निशान के हिसाब से तोड़ दिया था कि जेसीबी चलेगी तो ज्यादा नुकसान होगा .

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बता दें कि कई लोग इस अभियान के दौरान घायल भी हुए थे. यहां तक की एक महिला का आरोप है कि इस अभियान के दौरान उनके पति की मृत्यु हो गयी थी . अभी तक उनकी दुकान के सामने कोई निर्माण या नाला प्रशासन ने नहीं बनवाया है.

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वहीं लोग हाइकोर्ट के आदेश को तो स्वीकार कर रहे हैं लेकिन प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रहे हैं, कि आखिर कृष्णानगर और जगजीतपुर क्षेत्र को ही क्यों इस अभियान में शामिल किया गया. लोगों का कहना है कि हरिद्वार में ऐसे कई इलाके हैं जहां वास्तव में अतिक्रमण किया गया है. लोगों को इंतजार है कि आखिर कब तक अतिक्रमण हटाये गए स्थानों पर निर्माण किया जाएगा .

Intro:एंकर:- साल 2018 में हाइकोर्ट के आदेश पर हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया गया। जिसमें हरिद्वार में अतिक्रमण की चपेट  में आये तमाम घरो दुकानों पर जमकर जेसीबी बरसी। आज भी उन इलाके में खासकर कृष्णानगर और जगजीतपुर क्षेत्र में नजारा वीरान दिखाई देता है लोगों के मकान दुकाने आज भी ज्यों के त्यों टूटे खंडहर नुमा दिखाई देते है। स्थानीय लोग जिनके मकान दुकाने तोड़े गए वो आज प्रशासन पर सवाल उठा रहे है कि प्रशासन ने उनके आशियानों को तोड़ दिया लेकिन विकास के नाम पर कुछ नही किया।Body:वीओ:- लोगो का आरोप है कि बिना किसी तैयारी के प्रशासन ने हाई कोर्ट का आदेश दिखाकर उनके मकान दुकान तो तोड़ दिए लेकिन आज तक वहाँ ऐसा कोई विकास कार्य नही हुआ जी जनहित में हो। लोग ये भी कह भी रहे है कि बिना किसी तैयारी सूचना या नोटिस ने प्रशासन ने तानाशाह जैसा रवैया अपनाया और उनके घरों को तोड़ दिया गया। पहले तो प्रशासन ने 60 फ़ीट के निशान पर तोड़फोड़ की फिर 66 सड़क दिखाया और जमकर जेसीबी गरजयी। अभी तक वहाँ कोई निर्माण नही हुआ, न तो कोई नाला बना और न ही कोई विधुत पोल हटाय। कई लोगो इस अतिक्रमण के दौरान घायल हुए, यहाँ तक कि एक अभियान में एक महिला का ये भी आरोप है कि उनके पति की मृत्यु तक हो गई लेकिन प्रशासन नही माना। अभी तक उनकी दुकान के सामने कोई निर्माण या नाला प्रशासन ने नही बनाया। महिला का आरोप है कि बेवजह प्रशासन ने उनके आशियानों को तोड़ दिया जबकि उसका कुछ हासिल उसे नही हुआ। अब लोग इसी इंतजार में है कि आखिर कब तक उन जगहों पर वो निर्माण कार्य होंगे जिन जगहों पर ये अभियान चलाया गया। आखिर प्रशासन ने ऐसा कदम क्यो उठाया। लोग हाइकोर्ट के आदेश को स्वीकार तो कर रहे है लेकिन प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रहे है कि आखिर कृष्णानगर और जगजीतपुर क्षेत्र को ही क्यों इस अभियान में शामिल किया गया जबकि हरिद्वार के कई इलाके ऐसे है जहँ वास्तव में अतिक्रमण किया गया है। लोगो को इंतजार है कि आखिर कब तक अतिक्रमण हटाये गए स्थानों पर निर्माण होंगे और कब पूरे हरिद्वार को अतिक्रमण मुक्त किया जाएगा।Conclusion:बाइट-अशोक शर्मा (पीड़ित)
बाइट- नेहा मालिक (पीड़िता )
बाइट- आर्यन (पीड़ित)
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