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विवादों के बीच होगा निरंजनी अखाड़े का पट्टाभिषेक कार्यक्रम, पहुंच सकते हैं योगी और राजनाथ सिंह - Yogi Adityanath can come to Haridwar

दक्षिण काली मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा का आचार्य महामंडलेश्वर बनाया जा रहा है. 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन निरंजनी अखाड़े में उनका पट्टा अभिषेक किया जाएगा

Niranjani aakhara pattabhishek  program will on Makar Sankranti
विवादों के बीच मकर संक्राति को होगा निरंजनी अखाड़े का पट्टाभिषेक कार्यक्रम
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Published : Jan 7, 2021, 7:53 PM IST

हरिद्वार: 14 जनवरी को होने वाले मकर संक्रांति के स्नान पर यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हरिद्वार आ सकते हैं. हरिद्वार के निरंजनी अखाड़े में आयोजित पट्टाभिषेक कार्यक्रम में अखाड़े की तरफ से इन दोनों नेताओं के साथ ही देश की कई बड़ी हस्तियों को न्योता भेजा गया है.

दक्षिण काली मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा का आचार्य महामंडलेश्वर बनाया जा रहा है. 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन निरंजनी अखाड़े में उनका पट्टा अभिषेक किया जाएगा. जिसको लेकर अखाड़े में जोर शोर से तैयारियां चल रही हैं. अखाड़े के सचिव श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि सभी साधु संतों को निमंत्रण भेजे जा रहे हैं.

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देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई वीवीआईपी को निमंत्रण भेजा गया है. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों की व्यवस्था की जा रही है, जिसको लेकर अखाड़े में जोर शोर से तैयारी चल रही हैं.

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वहीं, इसी बीच निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद पर पहले से आसीन होने का दावा भी सामने आ रहा है. वृंदावन से संत प्रज्ञानंद ने अपने आप को निरंजनी अखाड़े का आचार्य बने चले आने का दावा किया है. उनकी मानें तो उनका इस पद पर पट्टाभिषेक 13 मार्च 2019 को काशी में हुआ था. जिसमे कई गणमान्य संत मौजूद थे. स्वामी प्रज्ञानंद ने अपने जारी किए बयान में बताया कि वे 2019 से निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर हैं.

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उनके अनुसार यह पद कोई वस्तु नहीं जिसे कुछ पैसे लेकर बेच दिया जाए. उन्होंने आरोप लगाया कि निरंजनी अखाड़े द्वारा जमीन खुर्द बुर्द करने वाले संत को इस पद पर बैठाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पद पर बैठाया तो तब जाए जब पद या गद्दी खाली है. उन्होंने कहा कि उनके विषय में कहा जा रहा है कि वे कभी अखाड़े नहीं आये तो अखाड़े द्वारा उन्हें कभी बुलाया भी नहीं गया.

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वहीं, दूसरी ओर निरंजनी अखाड़े द्वारा नए बनाये जा रहे आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी ने प्रज्ञानंद के विषय में कहा कि वे उनको नहीं जानते हैं. अगर उनमें कोई विशेषता होती तो उन्हें हटाकर नया आचार्य महामंडलेश्वर न बनाया जाता.

हरिद्वार: 14 जनवरी को होने वाले मकर संक्रांति के स्नान पर यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हरिद्वार आ सकते हैं. हरिद्वार के निरंजनी अखाड़े में आयोजित पट्टाभिषेक कार्यक्रम में अखाड़े की तरफ से इन दोनों नेताओं के साथ ही देश की कई बड़ी हस्तियों को न्योता भेजा गया है.

दक्षिण काली मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज को श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा का आचार्य महामंडलेश्वर बनाया जा रहा है. 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन निरंजनी अखाड़े में उनका पट्टा अभिषेक किया जाएगा. जिसको लेकर अखाड़े में जोर शोर से तैयारियां चल रही हैं. अखाड़े के सचिव श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि सभी साधु संतों को निमंत्रण भेजे जा रहे हैं.

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देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई वीवीआईपी को निमंत्रण भेजा गया है. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों की व्यवस्था की जा रही है, जिसको लेकर अखाड़े में जोर शोर से तैयारी चल रही हैं.

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वहीं, इसी बीच निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद पर पहले से आसीन होने का दावा भी सामने आ रहा है. वृंदावन से संत प्रज्ञानंद ने अपने आप को निरंजनी अखाड़े का आचार्य बने चले आने का दावा किया है. उनकी मानें तो उनका इस पद पर पट्टाभिषेक 13 मार्च 2019 को काशी में हुआ था. जिसमे कई गणमान्य संत मौजूद थे. स्वामी प्रज्ञानंद ने अपने जारी किए बयान में बताया कि वे 2019 से निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर हैं.

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उनके अनुसार यह पद कोई वस्तु नहीं जिसे कुछ पैसे लेकर बेच दिया जाए. उन्होंने आरोप लगाया कि निरंजनी अखाड़े द्वारा जमीन खुर्द बुर्द करने वाले संत को इस पद पर बैठाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पद पर बैठाया तो तब जाए जब पद या गद्दी खाली है. उन्होंने कहा कि उनके विषय में कहा जा रहा है कि वे कभी अखाड़े नहीं आये तो अखाड़े द्वारा उन्हें कभी बुलाया भी नहीं गया.

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वहीं, दूसरी ओर निरंजनी अखाड़े द्वारा नए बनाये जा रहे आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी ने प्रज्ञानंद के विषय में कहा कि वे उनको नहीं जानते हैं. अगर उनमें कोई विशेषता होती तो उन्हें हटाकर नया आचार्य महामंडलेश्वर न बनाया जाता.

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