रुड़की: भारत में कोरोना वैक्सीन का इंतजार खत्म हो गया है. 16 जनवरी से कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण शुरू हो जाएगा, लेकिन इसी बीच कोरोना वैक्सीन हराम या हलाल है, इस पर भी बहस शुरू हो गई है. सोशल मीडिया समेत अन्य माध्यमों से इस तरह ही अफवाह फैलाई जा रही है कि कोरोना वैक्सीन हराम और मुस्लिम समुदाय के लोग इसे न लगवाए. लोगों की इन्हीं शंकाओं को दूर करने के लिए ईटीवी भारत ने मुस्लिम धर्म गुरुओं से बात की तो उन्होंने इस तरह की बातों से सिरे का खारिज किया.
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मुस्लिम धर्मगुरु मुफ़्ती मासूम कासमी ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद से कोरोना वैक्सीन को लेकर कोई फतवा जारी नहीं हुआ है. ऐसी अफवाह फैलाकर केवल लोगों को भ्रमित किया जा रहा है. अभी तक वैक्सीन को लेकर ऐसे बात सामने नहीं आई है कि उसमें किसी हराम जानवर की चर्बी का इस्तेमाल किया गया है. यह अफवाह फैला केवल मुस्लिम समाज को बदनाम करने की साजिश है.
मुस्लिम धर्मगुरु मुफ्ती अब्दुल कादिर ने कहा कि कोरोना वैक्सीन को हराम बताने वाला कोई भी बयान या फतवा जारी नहीं किया गया है. देवबंद के उलेमाओं ने इस वैक्सीन को लेकर अपना कोई भी बयान नहीं दिया है. जिस मुस्लिम व्यक्ति की जान का जोखिम हो और उस वैक्सीन के इस्तेमाल से जान बचाई जा सकती है तो वैक्सीन प्रयोग कर सकता है.