हरिद्वार: इन दिनों नवरात्रि को बड़े ही धूमधाम से पूरे देश में मनाया जा रहा है. पूरे देश के मठ-मंदिरों में माता का विशेष श्रृंगार हो रहा है. हरिद्वार में एक ऐसा मंदिर है, जहां मां का आभूषणों से नहीं, बल्कि फूलों व फलों से श्रृंगार किया जाता है. ये श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र बनता है. हर नवरात्रि के दिन मां का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है, जिसको देखने के लिए श्रद्धालु लंबी कतार लगाते हैं.
मां का फूल और फलों से श्रृंगार: हरिद्वार की अधिष्ठात्री मां मायादेवी मंदिर में साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती की नाभि गिरी थी. इसलिए इसे संपूर्ण ब्रह्मांड का केंद्र भी माना जाता है. महामाया देवी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी भी कहलाती हैं. लेकिन नवरात्र पर महामाया देवी मंदिर में विशेष तरह का श्रृंगार किया जाता है. इस श्रृंगार को करने के लिए अलग-अलग तरह के फूल और अलग-अलग तरह के फलों की आवश्यकता पड़ती है. सुबह के समय माता को फूलों से सजाया जाता है तो वहीं शाम को मां महामाया देवी का श्रृंगार अलग-अलग फलों से किया जाता है.
श्रृंगार के लिए फलों और फूलों का चयन: अलग-अलग दिन के अनुसार अलग-अलग रंगों का चयन किया जाता है और अलग-अलग दिनों के अनुसार ही फल-फूलों का चयन भी मां के श्रृंगार के लिए किया जाता है.मां महामाया देवी के पुजारी पंडित श्री महंत सुरेशानंद सरस्वती बताते हैं कि महामाया देवी का नवरात्रि पर विशेष श्रृंगार किया जाता है. माता को नौ दिन अलग-अलग फूलों व अलग-अलग फलों से सजाया जाता है. इसका चयन प्रत्येक दिन के अनुसार किया जाता है. सुबह 9 से 10 बजे तक फूलों से मां का श्रृंगार किया जाता है. वहीं शाम 4 बजे तक फलों से मां का श्रृंगार किया जाता है. आरती के बाद श्रद्धालुओं को फल और फूल वितरित कर दिए जाते हैं. उन्होंने बताया कि मां का सोमवार को सफेद रंग के फलों से तो मंगलवार के दिन पीले रंग के फूलों से श्रृंगार किया जाता है.
वहीं बुधवार को माता का हरे रंग के फलों, वहीं वीरवार यानी गुरुवार को सफेद रंग के फलों, शुक्रवार को लाल रंग के फलों से और शनिवार को काले रंग के फलों से श्रृंगार किया जाता है. रविवार को लाल रंग के फलों से श्रृंगार होता है. वहीं मंदिर में दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं का कहना है कि हर दिन मां का एक अलग रूप देखने को मिलता है. सुबह फूलों से और शाम को फलों से मां को सजाया जाता है. फलों और फूलों के श्रृंगार से मां का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है. इसी के साथ श्रद्धालुओं ने मंदिर की विशेषता बताते हुए कहा कि यहां पर जो भी सच्चे मन से मां की आराधना करता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है.