हरिद्वारः पर्यावरण को संरक्षित रखने के साथ ही स्वच्छ वातावरण बना रहे, इसके लिए पेड़ पौधे लगाए जाते हैं. लेकिन इन दिनों धर्मनगरी हरिद्वार में सड़क किनारे लगे सैकड़ों पेड़ प्रचार प्रसार का माध्यम बन गए हैं. जी हां, हरिद्वार के दुकानदारों से लेकर फर्म ने पेड़ों पर बड़े बड़े फ्लैक्स बोर्ड टांग दिए हैं. ऐसे में पेड़ों पर कीले ठोकने और लोहे के तार बांधने से पेड़ सूखने लगे हैं. बावजूद इसके वन महकमा और नगर निगम मूकदर्शक बने हुए हैं.
वैसे तो हर साल पर्यावरण दिवस पर हर किसी को पेड़ों के संरक्षण की याद आती है. इस मौके पर पौधारोपण भी किया जाता है. लेकिन जब पेड़ों को नुकसान पहुंचे तो कोई आवाज उठाने को तैयार नहीं होता. हरिद्वार के कनखल, ज्वालापुर और शिवालिक नगर क्षेत्र में तमाम जगहों पर सड़क किनारे लगे पेड़ों को जख्म दिये जा रहे हैं. पेड़ों पर भारी भरकम फ्लैक्स बोर्ड लगाकर प्रचार प्रसार का जरिया दुकानदारों ने बना डाला है.
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दुकानदार अपने अपने प्रतिष्ठानों का प्रचार-प्रसार करने के लिए पेड़ों को नुकसान पहुंचाने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं. पेड़ों पर मोटी-मोटी कीले ठोंकी गई हैं. लोहे की तार से बोर्ड बांधे हैं. कीलें और तार बंधने से पेड़ों की स्थिति खराब हो रही है. कई पेड़ सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं. इन सबके बावजूद भी शहर में पेड़ों की हालत को लेकर वन प्रभाग, नगर निगम और नगर पालिका के अधिकारी मौन हैं.
एक दूसरे पर थोप रहे जिम्माः जब इस मामले पर ईटीवी भारत ने हरिद्वार नगर निगम (Haridwar Municipal Corporation) के आयुक्त दयानंद सरस्वती से बात की तो उन्होंने बताया कि शहर में अभियान चलाकर पेड़ों पर लगे बैनर और पोस्टरों को हटाया जाएगा. साथ ही पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.
उधर, मामले में हरिद्वार रेंज के रेंजर दिनेश नौटियाल (Haridwar Ranger Dinesh Nautiyal) का कहना है कि पेड़ों में प्राण होते हैं. इस तरह का कृत्य अपराधिक श्रेणी में आता है. शहर का ज्यादातर क्षेत्र नगर निगम में आता है. इसलिए पहले नगर निगम से बात की जाएगी. अगर नगर निगम कोई कार्रवाई नहीं करता है तो वन विभाग की ओर से जांच करवा कर कार्रवाई की जाएगी.
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नैनीताल हाईकोर्ट ने दिया था ये सख्त आदेशः गौर हो कि बीते 10 जुलाई 2019 को नैनीताल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई की थी. जिसमें हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने पेड़ों से होर्डिंग, बिजली के तार समेत कीलों को हटाने के आदेश दिए थे. जिससे पेड़ों को बचाया जा सके और पर्यावरण सुरक्षित रह सके. साथ ही पर्यावरण संरक्षण अधिनियम को सख्ती से लागू करने का आदेश पारित किया था.
वहीं, कोर्ट ने कुमाऊं कमिश्नर और गढ़वाल कमिश्नर को आदेश दिया कि पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ वन संरक्षण अधिनियम और उत्तराखंड सार्वजनिक संपत्ति संरक्षण अधिनियम 2003 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया जाए. साथ ही प्रदेश के सभी डीएम को आदेश दिया था कि किसी भी स्थिति में पेड़ों पर बिजली के तार और विज्ञापन न लगवाए जाएं. इसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी भी डीएम को दी थी. इस आदेश के बावजूद प्राणवायु देने वाले पेड़ों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है.