हरिद्वार: पहले से प्रस्तावित बुधवार को होने वाली हरिद्वार नगर निगम की बोर्ड बैठक को मेयर अनिता शर्मा ने स्थगित कर दिया है. बोर्ड बैठक स्थगित करने की वजह कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक और नगर आयुक्त भरत सिंह राणा हैं. हरिद्वार मेयर शर्मा ने इसको लेकर हरिद्वार प्रेस क्लब में एक प्रेस वार्ता भी की.
इस दौरान उन्होंने कैबिनेट मंत्री कौशिक और नगर आयुक्त राणा पर गंभीर आरोप लगाए हैं. मेयर शर्मा के मुताबिक नगर आयुक्त ने बोर्ड बैठक में शहर के विकास को लेकर प्रस्ताव दिए थे. उनमें से अधिकारी महत्वपूर्ण प्रस्तावों को नगर आयुक्त ने काट दिया है. जिसके बाद बोर्ड बैठक करने का कोई मतलब नहीं रहता है. इसीलिए बुधवार को होने वाली बोर्ड बैठक स्थगित कर दिया गया है. कैबिनेट मंत्री कौशिक नगर निगम को चलने नहीं देते हैं. साथ ही नगर आयुक्त पर भी हठधर्मिता का आरोप लगाया है.
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मेयर शर्मा का आरोप है कि नगर आयुक्त पार्षदों की नहीं सुन रहे हैं, बल्कि वे कैबिनेट मंत्री कौशिक के इशारे पर काम कर रहे हैं. इसी वजह से निगम कर्मचारियों को सैलरी भी नहीं दे पा रहा है. शहर में सफाई-व्यवस्था भी सुचारू नहीं हो पा रही है. जनता के चुने हुए पार्षदों के प्रस्तावों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. उनकी अनदेखी हो रही है.
मेयर शर्मा के मुताबिक उन्होंने हरिद्वार में हॉस्पिटल बनाने के लिए नगर निगम के जमीन दी थी. जिसके लिए उन्होंने कहा था कि हॉस्पिटल का काम मेयर और पार्षदों की देखरेख में होना चाहिए, लेकिन लेकिन इस प्रस्ताव को भी काट दिया गया.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि कुंभ के दौरान हरिद्वार में हर बार नगर निगम की सड़कें बनाता था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है. इस बार इसकी जिम्मेदारी आरईएस और लोक निर्माण विभाग को दी गई है. शहर की छोटी-छोटी सड़के भी लोक निर्माण विभाग बना रहा है. हरिद्वार के अलावा आरईएस किसी अन्य नगर निगम में काम नहीं कर रही है. सरकार जान बूझकर ऐसा कर रही है. क्योंकि यहां पर कांग्रेस की मेयर है. इसीलिए सरकार उन्हें काम नहीं करने दे रही है. सरकार के हरिद्वार नगर निगम के साथ भेदभाव कर रही है.
मेयर शर्मा ने कहा कि हरिद्वार नगर निगम में सरकार के अपनी मनमानी चला रही है. लेकिन अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसीलिए अब खुद कैबिनेट मंत्री शहर के पूरे साधन देखें. वहीं, प्रेस वार्ता में मौजूद पार्षद सोहेल कुरैशी ने कहा कि ज्वालापुर क्षेत्र की पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है. जब अनदेखी कर रहे हो तो ज्वालापुर को अलग से नगरपालिका बना देना चाहिए.