ETV Bharat / state

फिर एक बार अनशन की राह पर मातृ सदन, गंगा में खनन के खिलाफ अनशन पर बैठेंगे स्वामी शिवानंद

हरिद्वार गंगा में खनन शुरू होने को लेकर मातृ सदन ने आपत्ति जताई है. गंगा में खनन पर रोक लगाने और परियोजनाओं को निरस्त करने की मांग को लेकर स्वामी शिवानंद 14 दिसंबर से अनशन पर बैठेंगे.

matri sadan chief Swami Shivanand
अनशन की राह पर मातृ सदन
author img

By

Published : Dec 11, 2021, 8:18 PM IST

हरिद्वार: गंगा की अविरलता और निर्मलता की लड़ाई लड़ने वाली संस्था मातृ सदन एक बार फिर से अनशन की राह पर है. इस बार मातृ सदन संस्था के प्रमुख स्वामी शिवानंद अनशन पर बैठेंगे. 14 दिसंबर से स्वामी शिवानंद अनशन शुरू करेंगे.

स्वामी शिवानंद ने बताया आज खबर आई कि गंगा में पुनः खनन खोलने के आदेश जारी किये गए हैं. जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को हरिद्वार में गंगा में खनन पर पाबंदी लगाने के निर्देश थे, जिसके तहत हमें लिखित में 9 अक्टूबर 2019 को सूचित किया गया था कि हरिद्वार गंगा में सभी खनन गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी गई है.

इसके अलावा 2 सितंबर 2020 का भी पत्र है, जिसमें राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नई दिल्ली ने पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को लिखित में निर्देश जारी किये गए कि गंगा में खनन पर पूर्णतः प्रतिबंध लगे. इसके बाद भी जब इन निर्देशों का पालन नहीं हुआ, तब पुनः मेरे द्वारा तपस्या की गई, जिसके बाद 1 अप्रैल 2021 को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने भी गंगा में खनन पूर्णतः बंद करने को कहा. हमें भी लिखित में भेजा गया कि गंगा में खनन को बंद करवा दिया गया है.

इन सबके बाद भी फिर से गंगा में खनन खोल दिया गया है. इन सबके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वामी यतीश्वरानंद, जो दोनों एक दुसरे के चट्टे-बट्टे हैं. वह जिम्मेदार हैं. स्वामी शिवानंद ने कहा वह 14 दिसंबर से दिन में मात्र 4 गिलास जल ग्रहण करेंगे और धीरे-धीरे जल का भी परित्याग कर देंगे. उन्होंने कहा कि निगमानंद के आत्मा को शांति के लिए और सानंद जी को दिए गए वचनों को पूरा करने के लिए मैं अपनी तपस्या आरंभ कर रहा हूं.

ये भी पढ़ें: गंगा में विसर्जित हुईं मां भारती के महायोद्धा बिपिन रावत की अस्थियां, दोनों बेटियों ने निभाई रीति

उन्होंने खनन संबंधित मामलों में सरकार के किए वादों को पूरा करने और गंगा में खनन पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने की मांग की. उन्होंने कहा स्टोन क्रशरों को गंगा से कम से कम 5 किमी दूर किया जाए. गंगा और उसकी सहायक नदियों पर किसी भी प्रकार की बांध परियोजना को तत्काल निरस्त किया जाए. इसके अलावा स्वामी यतीश्वरानंद की अवैध संपत्ति की तत्काल जांच हो.

स्वामी शिवानंद ने कहा कि मातृ सदन में 23 और 24 दिसंबर को एक सेमिनार का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देशभर से बुद्धिजीवी एवं पर्यावरण प्रेमी हिस्सा लेंगे. सेमिनार में केंद्र सरकार द्वारा जारी की गयी EIA Draft, 2020 पर मातृ सदन ने जो आपत्तियां उठायीं हैं, उनपर चर्चा होगी. इसके साथ IIT कानपूर द्वारा अभी हाल ही में गंगा में प्रदूषण से संबंधित कुछ नयी परियोजनाएं लाई गयी है, उनपर भी विस्तार से चर्चा होगी. दुसरे दिन उत्तराखंड सरकार की नई खनन एवं क्रशर नीतियों में की गयी धांधलेबाजी पर प्रकाश डाला जायेगा.

गौरतलब है कि मां गंगा की निर्मलता और अविरलता को लेकर पहले भी मातृ सदन संस्था के प्रमुख स्वामी शिवानंद ने 3 अगस्त से अनशन शुरू किया था. इस दौरान उन्होनें सरकार से गंगा एक्ट लागू करने, खनन रोकने और परियोजनाओं को निरस्त करने की मांग की थी.

हरिद्वार: गंगा की अविरलता और निर्मलता की लड़ाई लड़ने वाली संस्था मातृ सदन एक बार फिर से अनशन की राह पर है. इस बार मातृ सदन संस्था के प्रमुख स्वामी शिवानंद अनशन पर बैठेंगे. 14 दिसंबर से स्वामी शिवानंद अनशन शुरू करेंगे.

स्वामी शिवानंद ने बताया आज खबर आई कि गंगा में पुनः खनन खोलने के आदेश जारी किये गए हैं. जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को हरिद्वार में गंगा में खनन पर पाबंदी लगाने के निर्देश थे, जिसके तहत हमें लिखित में 9 अक्टूबर 2019 को सूचित किया गया था कि हरिद्वार गंगा में सभी खनन गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी गई है.

इसके अलावा 2 सितंबर 2020 का भी पत्र है, जिसमें राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नई दिल्ली ने पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को लिखित में निर्देश जारी किये गए कि गंगा में खनन पर पूर्णतः प्रतिबंध लगे. इसके बाद भी जब इन निर्देशों का पालन नहीं हुआ, तब पुनः मेरे द्वारा तपस्या की गई, जिसके बाद 1 अप्रैल 2021 को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने भी गंगा में खनन पूर्णतः बंद करने को कहा. हमें भी लिखित में भेजा गया कि गंगा में खनन को बंद करवा दिया गया है.

इन सबके बाद भी फिर से गंगा में खनन खोल दिया गया है. इन सबके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वामी यतीश्वरानंद, जो दोनों एक दुसरे के चट्टे-बट्टे हैं. वह जिम्मेदार हैं. स्वामी शिवानंद ने कहा वह 14 दिसंबर से दिन में मात्र 4 गिलास जल ग्रहण करेंगे और धीरे-धीरे जल का भी परित्याग कर देंगे. उन्होंने कहा कि निगमानंद के आत्मा को शांति के लिए और सानंद जी को दिए गए वचनों को पूरा करने के लिए मैं अपनी तपस्या आरंभ कर रहा हूं.

ये भी पढ़ें: गंगा में विसर्जित हुईं मां भारती के महायोद्धा बिपिन रावत की अस्थियां, दोनों बेटियों ने निभाई रीति

उन्होंने खनन संबंधित मामलों में सरकार के किए वादों को पूरा करने और गंगा में खनन पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने की मांग की. उन्होंने कहा स्टोन क्रशरों को गंगा से कम से कम 5 किमी दूर किया जाए. गंगा और उसकी सहायक नदियों पर किसी भी प्रकार की बांध परियोजना को तत्काल निरस्त किया जाए. इसके अलावा स्वामी यतीश्वरानंद की अवैध संपत्ति की तत्काल जांच हो.

स्वामी शिवानंद ने कहा कि मातृ सदन में 23 और 24 दिसंबर को एक सेमिनार का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देशभर से बुद्धिजीवी एवं पर्यावरण प्रेमी हिस्सा लेंगे. सेमिनार में केंद्र सरकार द्वारा जारी की गयी EIA Draft, 2020 पर मातृ सदन ने जो आपत्तियां उठायीं हैं, उनपर चर्चा होगी. इसके साथ IIT कानपूर द्वारा अभी हाल ही में गंगा में प्रदूषण से संबंधित कुछ नयी परियोजनाएं लाई गयी है, उनपर भी विस्तार से चर्चा होगी. दुसरे दिन उत्तराखंड सरकार की नई खनन एवं क्रशर नीतियों में की गयी धांधलेबाजी पर प्रकाश डाला जायेगा.

गौरतलब है कि मां गंगा की निर्मलता और अविरलता को लेकर पहले भी मातृ सदन संस्था के प्रमुख स्वामी शिवानंद ने 3 अगस्त से अनशन शुरू किया था. इस दौरान उन्होनें सरकार से गंगा एक्ट लागू करने, खनन रोकने और परियोजनाओं को निरस्त करने की मांग की थी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.