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उत्तराखंड में भी दिखा 'चमकी बुखार' का असर, फीकी हुई लीची की मिठास

कई दिन से व्हाट्सएप और फेसबुक पर इस तरह की पोस्ट वायरल हो रही है. जिनमें लीची के कारण ही चमकी बुखार का वायरस फैलने की बात कही जा रही है. उत्तराखंड में भी लीची की अच्छी खाशी पैदावार है. यहां हरिद्वार जिले के सुभाष गढ़, बादशाहपुर, कनखल ज्वालापुर, मंगलूर क्षेत्र के अलावा देहरादून में लीची पैदा होती है.

लीजी
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Published : Jul 4, 2019, 5:42 PM IST

Updated : Jul 4, 2019, 7:53 PM IST

लक्सर: बिहार में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एइस) या चमकी बुखार की वजह से करीब 150 बच्चों की मौत हो चुकी है. चमकी बुखार का असर न केवल आम इंसान को डरा रहा है, बल्कि इसकी चपेट में अब बाजार भी आ चुका है. क्योंकि चमकी बुखार को लीची से जोड़कर देखा जा रहा है. ऐसे में लीची का बाजार पूरी तरह चरमरा चुका है. हालात ये हो गए हैं कि लोगों ने लीची खरीदना तक बंद कर दिया है.

उत्तराखंड में जहां कुछ दिनों पहले लीची 120 से 140 रुपए किलो बिक रही थी तो वहीं अब इसके भाव गिरकर 60 से 70 रुपए पर आ गए हैं. ऐसे में लीची से जुड़े व्यापारियों की परेशानी बढ़ गई है. व्यवसायियों को लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है.

पढ़ें- लोकसभा में उत्तराखंड के BJP सांसद सक्रिय, जोरशोर से उठा रहे पहाड़ के मुद्दे

गौरतलब है कि बिहार के मुजफ्फरपुर में एक एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी बुखार का प्रकोप फैला हुआ है. इस बीमारी के कारण बिहार में 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. चमकी बुखार के फैलने के बाद यह भी चर्चा तेजी से फैली हुई है कि लीची के कारण इस बुखार का वायरस तेजी से फैल रहा है.

फीकी हुई लीची की मिठास

कई दिन से व्हाट्सएप और फेसबुक पर इस तरह की पोस्ट वायरल हो रही है. जिनमें लीची के कारण ही इस चमकी बुखार का वायरस फैलने की बात कही जा रही है. उत्तराखंड में भी लीची की अच्छी पैदावार है. यहां हरिद्वार जिले के सुभाष गढ़, बादशाहपुर, कनखल ज्वालापुर, मंगलूर क्षेत्र के अलावा देहरादून में ज्यादी पैदा होती है. जिसे दूसरे राज्यों में भेजा जाता है, लेकिन अब इसकी ब्रिकी पर असर पड़ गया है.

एक फल व्यापारी ने बताया कि कुछ दिन पहले तक वो रोज 10 से 15 किलो लीची बेचा करता था, लेकिन अब ये ब्रिकी न के बराबर है. चमकी बुखार के कारण लोग लीची खरीदना पंसद नहीं कर रहे हैं. इसीलिए उन्होंने लीची लाना बंद कर दिया है. हालांकि उत्तराखंड में इस तरह को कोई मामला सामने नहीं आया है.

पढ़ें- सी-प्लेन पर शुरू हुई राजनीति, कांग्रेस ने कहा- सिर्फ अमीर लोगों को होगा फायदा

लीची और चमकी बुखार को लेकर जिस तरह की बाते सामने आ रहीं हैं उसके बारे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लक्सर की डिप्टी सीएमओ डॉ. अनिल वर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ये धारणा बिल्कुल गलत है कि लीची से चमकी बुखार फैलता है. यह एक एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी मस्तिष्क ज्वर है. इसके पेशेंट को ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाना चाहिए साथ ही साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें.

लक्सर: बिहार में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एइस) या चमकी बुखार की वजह से करीब 150 बच्चों की मौत हो चुकी है. चमकी बुखार का असर न केवल आम इंसान को डरा रहा है, बल्कि इसकी चपेट में अब बाजार भी आ चुका है. क्योंकि चमकी बुखार को लीची से जोड़कर देखा जा रहा है. ऐसे में लीची का बाजार पूरी तरह चरमरा चुका है. हालात ये हो गए हैं कि लोगों ने लीची खरीदना तक बंद कर दिया है.

उत्तराखंड में जहां कुछ दिनों पहले लीची 120 से 140 रुपए किलो बिक रही थी तो वहीं अब इसके भाव गिरकर 60 से 70 रुपए पर आ गए हैं. ऐसे में लीची से जुड़े व्यापारियों की परेशानी बढ़ गई है. व्यवसायियों को लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है.

पढ़ें- लोकसभा में उत्तराखंड के BJP सांसद सक्रिय, जोरशोर से उठा रहे पहाड़ के मुद्दे

गौरतलब है कि बिहार के मुजफ्फरपुर में एक एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी बुखार का प्रकोप फैला हुआ है. इस बीमारी के कारण बिहार में 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. चमकी बुखार के फैलने के बाद यह भी चर्चा तेजी से फैली हुई है कि लीची के कारण इस बुखार का वायरस तेजी से फैल रहा है.

फीकी हुई लीची की मिठास

कई दिन से व्हाट्सएप और फेसबुक पर इस तरह की पोस्ट वायरल हो रही है. जिनमें लीची के कारण ही इस चमकी बुखार का वायरस फैलने की बात कही जा रही है. उत्तराखंड में भी लीची की अच्छी पैदावार है. यहां हरिद्वार जिले के सुभाष गढ़, बादशाहपुर, कनखल ज्वालापुर, मंगलूर क्षेत्र के अलावा देहरादून में ज्यादी पैदा होती है. जिसे दूसरे राज्यों में भेजा जाता है, लेकिन अब इसकी ब्रिकी पर असर पड़ गया है.

एक फल व्यापारी ने बताया कि कुछ दिन पहले तक वो रोज 10 से 15 किलो लीची बेचा करता था, लेकिन अब ये ब्रिकी न के बराबर है. चमकी बुखार के कारण लोग लीची खरीदना पंसद नहीं कर रहे हैं. इसीलिए उन्होंने लीची लाना बंद कर दिया है. हालांकि उत्तराखंड में इस तरह को कोई मामला सामने नहीं आया है.

पढ़ें- सी-प्लेन पर शुरू हुई राजनीति, कांग्रेस ने कहा- सिर्फ अमीर लोगों को होगा फायदा

लीची और चमकी बुखार को लेकर जिस तरह की बाते सामने आ रहीं हैं उसके बारे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लक्सर की डिप्टी सीएमओ डॉ. अनिल वर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ये धारणा बिल्कुल गलत है कि लीची से चमकी बुखार फैलता है. यह एक एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी मस्तिष्क ज्वर है. इसके पेशेंट को ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाना चाहिए साथ ही साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें.

Intro:

स्लग::-- चमकी से फीकी पड़ी लीची की चमक

एंकर::-- बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का वायरस लीची के फैलने की चर्चा ने लीची कारोबारियों को तगड़ा झटका दिया है। कई दिन पहले 120 से ₹140 प्रति किलोग्राम के भाव में बिकने वाली लीची अब 60 से 70 किलो के भाव में बिक रही है। इससे जहां पर व्यापारी परेशान हैं तो वही इस अफवाह ने लीची उत्पादकों के अरमानों पर भी पानी फेर दिया है। Body: गौरतलब है कि बिहार के मुजफ्फरपुर में एक एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी मस्तिष्क ज्वर का प्रकोप फैला हुआ है। इस बीमारी से 100 से अधिक मासूमों की जान जा चुकी है इस बुखार के फैलने के बाद यह भी चर्चा तेजी से फैली हुई है कि लीची के कारण इस बुखार का वायरस फैल रहा है।
कई दिन से व्हाट्सएप फेसबुक पर इस तरह की पोस्ट वायरल हो रही है। जिनमें लीची के कारण ही इस बुखार का वायरस फैलने की बात कही जा रही है। जनपद हरिद्वार के सुभाष गढ़ बादशाहपुर कनखल ज्वालापुर मंगलूर क्षेत्र के अलावा देहरादून में पैदा होने वाली लीची दूसरे राज्यों में भेजी जाती है। लेकिन बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार लीची के फैलने की हवा से अब लोगों ने लीची को खरीदना कम कर दिया है। एक व्यापारी ने बताया कि कई दिन पहले उनकी दुकान पर 10 से 15 किलो तक की बिक्री रोज हो रही थी। मगर वही अब यह पूरी तरह से न के बराबर रह गई है। फल व्यापारी ने बताया कि इससे लोग खरीदना पसंद नहीं कर रहे हैं। क्षेत्र में इस तरह का कोई मामला अभी तक सामने नहीं आया है। वही ग्रामीणों ने मौखिक बताया है कि उनके परिवार में लोगों ने लीची बाजार से खरीदकर खाई है कोई खतरा नहीं है। फल व्यापारी ने बताया कि कई दिन से उनकी दुकान पर लीची खरीदने के ग्राहक नहीं आ रहे हैं। इसके चलते उन्होंने लीची को लाना बंद कर दिया है। वही लीची के कारण चमकी बुखार का वायरस फैलने की अफवाह ने व्यापारियों को झटका दे दिया है।

Conclusion:इस बाबत डॉ अनिल वर्मा डिप्टी सीएमओ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बताया की जिन लोगों ने गलत धारणा बना रखी है कि लीची से चमकी बुखार फैलता है यह बिहार के मुजफ्फरपुर में एक एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी मस्तिष्क ज्वर है इसमें पेशेंट को ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाना चाहिए और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें और किसी भी प्रकार की अफवाहों से दूर रहें
बाइट--- राशिद दुकानदार
बाइट--- दुकानदार
बाइट--- अनिल वर्मा डिप्टी सीएमओ लक्सर
रिपोर्ट--- कृष्णकांत शर्मा लक्सर
Last Updated : Jul 4, 2019, 7:53 PM IST
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