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हरिद्वार पंचायत चुनाव के बाद बसपा में खींचतान, विधायक ने प्रदेश नेतृत्व पर लगाए गंभीर आरोप

हरिद्वार पंचायत चुनाव का परिणाम आ चुका है. जिसके बाद बसपा में खींचतान शुरू हो गई है. लक्सर विधायक मोहम्मद शहजाद और मंगलौर विधायक सरवत करीम अंसारी ने पार्टी संगठन पर अनदेखी का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि पूरे चुनाव में उन्हें पूछा तक नहीं गया. जब उन्होंने इसके बारे में पूछा तो उन्हें बताया गया कि 'जब हमारे घर में शादी होगी तो पूछा जाएगा'.

Bahujan Samaj Party
बसपा में खींचतान
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Published : Oct 3, 2022, 2:50 PM IST

रुड़कीः हरिद्वार पंचायत चुनाव संपन्न हो चुका है. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के परिणाम के लिए बसपा विधायकों ने प्रदेश नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष और उनके पिता पर गंभीर आरोप लगाए हैं. साथ ही उन्होंने पंचायत चुनाव में उनकी अनदेखी का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि अगर संगठन को मजबूत करना है तो प्रदेश नेतृत्व को बदलना होगा.

लक्सर विधायक मोहम्मद शहजाद (Laksar MLA Mohd Shahzad) ने कहा कि हरिद्वार पंचायत चुनाव में हालात बुरे रहे हैं. इसमें निष्पक्षता का अभाव रहा. जो लोग चुनाव प्रक्रिया को संपन्न करवा रहे हैं, वो भी सवालों के घेरे में हैं. उन्होंने कहा कि नारसन, बाहदराबाद, भगवानपुर और रुड़की में लाठी का इस्तेमाल किया गया. जिसका वो घोर निंदा करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस चुनाव में पार्टी की जो स्थिति हुई है, उसके लिए प्रदेश नेतृत्व जिम्मेदार है.

हरिद्वार पंचायत चुनाव के बाद बसपा में खींचतान.

उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए कमेटी बनाई जाती है. जिसमें संगठन के महत्वपूर्ण लोगों के साथ ही विधायकों को शामिल किया जाता है, लेकिन पहली बार ऐसा पार्टी में देखने को मिला कि प्रत्याशी घोषित करने के लिए कमेटी नहीं बनाई गई. वहीं, प्रदेश प्रभारी जीएस दिनकर, नरेश गौतम, प्रदेश अध्यक्ष आदित्य बृजवाल और पूर्व विधायक हरिदास की मर्जी से प्रत्याशियों की घोषणा की गई. इसमें मुस्लिमों की अनदेखी की गई. उन्होंने कहा काशीराम ने बसपा को जिस उद्देश्य से बनाया था, उसमें दलित और मुस्लिमों को बराबर सम्मान दिया जाना था.
ये भी पढ़ेंः जिला पंचायत प्रत्याशी दानिस्ता खातून ने प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप, खुदकुशी की धमकी दी

उनका आरोप है कि अन्य कई जरनल सीटों पर दलित लोग लड़ाए गए. क्षेत्रीय जातिगत समीकरणों के आधार पर टिकट वितरण नहीं किए गए. टिकट वितरण में दोनों विधायकों से कोई सलाह नहीं ली गई, ना ही उन्हें पूछा गया. बल्कि चुनाव में यह कहा गया कि हम पार्टी के लिए काम नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि मुस्लिम विधायक पार्टी के लिए पूर्व विधायक हरिदास और उनके बेटे से ज्यादा वफादार है. उन्होंने कहा कि हरिदास तीन-तीन बार पार्टी से छल कर चुके हैं. कांग्रेस सरकार में बसपा का साथ छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे. तब भी सरवत करीम अंसारी पार्टी के पक्ष में ही बने रहे.

उन्होंने कहा कि आज हरिद्वार जिले में जो चल रहा है, उससे हम सहमत नहीं हैं. जिले में साल 1995 से अब तक हुए चुनावों में बसपा मुख्य भूमिका में रही है और बोर्ड भी बनाया, लेकिन अब केवल छह सदस्य आए हैं. जिसमें से एक ने पहले ही दिन पार्टी छोड़ दी. विधायक ने कहा कि हमारी नेता बहन मायावती हैं और हम उनका सम्मान करते हैं. उनसे मांग करते हैं कि प्रदेश में संगठन की मजबूती के लिए प्रदेश नेतृत्व को बदलने का काम करें.
ये भी पढ़ेंः पंचायत चुनाव के बाद कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, BJP में शामिल हुए विधायक ममता राकेश के बेटा-बेटी

वहीं, मंगलौर विधायक सरवत करीम अंसारी (Manglaur MLA Sarwat Kareem Ansari) ने कहा कि इस पूरे चुनाव में उन्हें तबज्जो नहीं दिया गया. चुनाव में पार्टी ने दोनों विधायकों को नजरंदाज किया गया. जब उन्होंने चुनाव में घर बिठाने का कारण प्रदेश नेतृत्व से पूछा तो उन्हें कहा गया कि 'जब हमारे घर में शादी होगी तो पूछा जाएगा'. उन्होंने कहा कि 44 सीटों में 28 पर दलित लड़ाए गए.

इतना ही नहीं जरनल सीटों पर दलित को चुनाव लड़ाया गया. जबकि, सर्वसमाज को सम्मान दिया जाना चाहिए था. उन्होंने आरोप लगाया कि जिन लोगों ने अन्य पार्टियों को विधानसभा चुनाव लड़ाया, उन्हें बसपा प्रदेश नेतृत्व में चुनाव लड़ाया गया. बहुजन समाज पार्टी को बचाने के लिए हाईकमान को निर्णय लेना होगा.

हरिद्वार में पंचायत चुनावः गौर हो कि उत्तराखंड में हरिद्वार जिला ऐसा है, जहां पंचायत चुनाव राज्य के बाकी 12 जिलों के साथ नहीं होते हैं. राज्य गठन के बाद से ही यह परिपाटी जारी है. बीते साल मार्च से जून के बीच पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था. अब पंचायत चुनाव (Haridwar Panchayat Election) हो गया है. बीती 26 सितंबर मतदान हुआ तो मतगणना 28 सितंबर को हुई.
ये भी पढ़ेंः हरिद्वार पंचायत चुनाव में AIMIM की एंट्री, दो समर्थित प्रत्याशियों ने जिला पंचायत चुनाव जीता

रुड़कीः हरिद्वार पंचायत चुनाव संपन्न हो चुका है. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के परिणाम के लिए बसपा विधायकों ने प्रदेश नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष और उनके पिता पर गंभीर आरोप लगाए हैं. साथ ही उन्होंने पंचायत चुनाव में उनकी अनदेखी का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि अगर संगठन को मजबूत करना है तो प्रदेश नेतृत्व को बदलना होगा.

लक्सर विधायक मोहम्मद शहजाद (Laksar MLA Mohd Shahzad) ने कहा कि हरिद्वार पंचायत चुनाव में हालात बुरे रहे हैं. इसमें निष्पक्षता का अभाव रहा. जो लोग चुनाव प्रक्रिया को संपन्न करवा रहे हैं, वो भी सवालों के घेरे में हैं. उन्होंने कहा कि नारसन, बाहदराबाद, भगवानपुर और रुड़की में लाठी का इस्तेमाल किया गया. जिसका वो घोर निंदा करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस चुनाव में पार्टी की जो स्थिति हुई है, उसके लिए प्रदेश नेतृत्व जिम्मेदार है.

हरिद्वार पंचायत चुनाव के बाद बसपा में खींचतान.

उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए कमेटी बनाई जाती है. जिसमें संगठन के महत्वपूर्ण लोगों के साथ ही विधायकों को शामिल किया जाता है, लेकिन पहली बार ऐसा पार्टी में देखने को मिला कि प्रत्याशी घोषित करने के लिए कमेटी नहीं बनाई गई. वहीं, प्रदेश प्रभारी जीएस दिनकर, नरेश गौतम, प्रदेश अध्यक्ष आदित्य बृजवाल और पूर्व विधायक हरिदास की मर्जी से प्रत्याशियों की घोषणा की गई. इसमें मुस्लिमों की अनदेखी की गई. उन्होंने कहा काशीराम ने बसपा को जिस उद्देश्य से बनाया था, उसमें दलित और मुस्लिमों को बराबर सम्मान दिया जाना था.
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उनका आरोप है कि अन्य कई जरनल सीटों पर दलित लोग लड़ाए गए. क्षेत्रीय जातिगत समीकरणों के आधार पर टिकट वितरण नहीं किए गए. टिकट वितरण में दोनों विधायकों से कोई सलाह नहीं ली गई, ना ही उन्हें पूछा गया. बल्कि चुनाव में यह कहा गया कि हम पार्टी के लिए काम नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि मुस्लिम विधायक पार्टी के लिए पूर्व विधायक हरिदास और उनके बेटे से ज्यादा वफादार है. उन्होंने कहा कि हरिदास तीन-तीन बार पार्टी से छल कर चुके हैं. कांग्रेस सरकार में बसपा का साथ छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे. तब भी सरवत करीम अंसारी पार्टी के पक्ष में ही बने रहे.

उन्होंने कहा कि आज हरिद्वार जिले में जो चल रहा है, उससे हम सहमत नहीं हैं. जिले में साल 1995 से अब तक हुए चुनावों में बसपा मुख्य भूमिका में रही है और बोर्ड भी बनाया, लेकिन अब केवल छह सदस्य आए हैं. जिसमें से एक ने पहले ही दिन पार्टी छोड़ दी. विधायक ने कहा कि हमारी नेता बहन मायावती हैं और हम उनका सम्मान करते हैं. उनसे मांग करते हैं कि प्रदेश में संगठन की मजबूती के लिए प्रदेश नेतृत्व को बदलने का काम करें.
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वहीं, मंगलौर विधायक सरवत करीम अंसारी (Manglaur MLA Sarwat Kareem Ansari) ने कहा कि इस पूरे चुनाव में उन्हें तबज्जो नहीं दिया गया. चुनाव में पार्टी ने दोनों विधायकों को नजरंदाज किया गया. जब उन्होंने चुनाव में घर बिठाने का कारण प्रदेश नेतृत्व से पूछा तो उन्हें कहा गया कि 'जब हमारे घर में शादी होगी तो पूछा जाएगा'. उन्होंने कहा कि 44 सीटों में 28 पर दलित लड़ाए गए.

इतना ही नहीं जरनल सीटों पर दलित को चुनाव लड़ाया गया. जबकि, सर्वसमाज को सम्मान दिया जाना चाहिए था. उन्होंने आरोप लगाया कि जिन लोगों ने अन्य पार्टियों को विधानसभा चुनाव लड़ाया, उन्हें बसपा प्रदेश नेतृत्व में चुनाव लड़ाया गया. बहुजन समाज पार्टी को बचाने के लिए हाईकमान को निर्णय लेना होगा.

हरिद्वार में पंचायत चुनावः गौर हो कि उत्तराखंड में हरिद्वार जिला ऐसा है, जहां पंचायत चुनाव राज्य के बाकी 12 जिलों के साथ नहीं होते हैं. राज्य गठन के बाद से ही यह परिपाटी जारी है. बीते साल मार्च से जून के बीच पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था. अब पंचायत चुनाव (Haridwar Panchayat Election) हो गया है. बीती 26 सितंबर मतदान हुआ तो मतगणना 28 सितंबर को हुई.
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