हरिद्वार: आगामी कुंभ मेले को लेकर अखाड़ा परिषद की बैठक हुई. बैठक में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि, महामंत्री हरि गिरि सहित सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि साधु-संत मौजूद रहे. कोरोना के कहर को देखते हुए अब साधु-संत भी कुंभ मेले को प्रतीकात्मक रूप से मनाने की बात कर रहे हैं. साधु-संतों का कहना है कि जब हम जीवित रहेंगे तभी अपनी परंपराओं को मना सकेंगे. अगर जीवित ही नहीं रहे तो कैसे अपनी परंपरा को मनाएंगे. कुंभ मेले के दौरान भारत सरकार की गाइडलाइन का पालन किया जाएगा.
बैठक में कुंभ मेले को लेकर अहम निर्णय लिए गए. कुंभ में लाखों करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु और संत-महात्मा गंगा स्नान करते हैं. मगर इस बार कोरोना महामारी की वजह से कुंभ मेले में स्नान पर्वों पर श्रद्धालुओं और साधु-संतों की भारी भीड़ देखने को नहीं मिलेगी. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि भी इस बार कुंभ मेले में प्रतीकात्मक स्नान करने की बात कर रहे हैं. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि ने कहा कि कुंभ मेले में 13 अखाड़ों के सिर्फ 26 साधु ही शाही स्नान में शामिल होंगे.
यह भी पढे़ं-खुशखबरी: उत्तराखंड में 84 हजार बेघरों को 2022 तक मिलेंगे मकान
13 अखाड़ों के 26 साधु प्रतीकात्मक स्नान करने जाएंगे और सामाजिक दूरी का पालन करेंगे. भारत सरकार, राज्य सरकार और मेला अधिकारी के जो निर्देश होंगे कोरोना संक्रमण देखते हुए उनका पालन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हमारे द्वारा लिख कर भी दिया गया है कि इसको लेकर किसी भी अखाड़े में मतभेद नहीं है.
मगर एक चिंता का विषय आया है कि कुंभ मेले को शिविर और टेंट के नाम से जाना जाता है. क्योंकि संन्यासी अखाड़े और वैष्णव अखाड़ों से बाहर टेंट लगाते थे. मगर कोरोना महामारी को देखते हुए शासन और मेला प्रशासन ने आग्रह किया कि इस बार शिविर और टेंट ना लगाए जाएं. इस पर हमारी सरकार से वार्ता हुई और सरकार ने निर्णय लिया कि कुछ आश्रमों को अधिकृत करके उनके रहने की व्यवस्था सरकार करेगी.