हरिद्वार: आज महाशिवरात्रि के पर्व पर कुंभ का पहला शाही स्नान चल रहा है. विशेष नक्षत्रों में पड़ रहे इस महाशिवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व है. इस समय कुंभ काल चल रहा है. ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के बाद जिन चार जगह पर अमृत की बूंदें गिरी थी, उनमें से एक हरिद्वार भी है, जहां हर 12 वर्ष में एक बार कुंभ का आयोजन किया जाता है. जिसमें भारत वर्ष के विभिन्न साधु संत एकत्र होते हैं.
महाशिवरात्रि के शाही स्नान को लेकर संन्यासियों के सात अखाड़ों के साथ मेला प्रशासन और जिला प्रशासन की बैठक हो चुकी है. जिसमें अखाड़ों के स्नान के क्रम तय हो चुके हैं. कुंभ पर्व पर संत शाही स्नान को बड़ी शान-ओ-शौकत के साथ जाते हैं. सभी अखाड़ों का क्रम होता है. जिस क्रम में वे एक दूसरे के बाद स्नान करते हैं.
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इसे शाही स्नान इस पर संतों का कहना है की राजा-महाराजाओं के समय में राज्य का शासक संत-महात्माओं का स्वागत बड़ी शान-ओ-शौकत के साथ किया करते थे. कुंभ के दौरान राजा महाराजा साधु-संतों को बड़ी राजशाही ठाट-बाट के साथ स्नान के लिए ले जाया करते थे. तभी से यह प्रथा चली आ रही है. इन चार प्रमुख स्नानों को शाही स्नान कहा जाता है. जिसमें प्रमुखता से संत स्नान करते हैं.
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कुंभ 2021 का पहला प्रथम शाही स्नान महाशिवरात्रि के दिन हो रहा है. महाशिवरात्रि का पर्व अपने आप में एक विशेष महत्व रखता है. जिसे भगवान शिव और पार्वती के विवाह की से जोड़ा जाता है. इस दिन भगवान शिव की विशेष अनुकंपा अपने भक्तों पर रहती है. संतों की मानें तो कुंभ पर्व में पड़ने वाला यह महाशिवरात्रि का पर्व अपने आप में विशेष योग बना कर आया है. जिस पर गंगा स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है. ईश्वर की अपार कृपा बनी रहती है.
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अगर संतों की माने तो कुंभ पर्व का शाही स्नान अपने आप में संतों का समागम है. जिसमें ध्यान, योग और अध्यात्म से जुड़ी सभी प्रमुख बातें एक जगह देखने को मिलती हैं. इस दिन कुंभ नगरी की छटा विशेष रहती है. जिसमें अलौकिक शक्ति का समावेश रहता है. संतों का मानना है कि शाही स्नान के दिन लोक कल्याण के लिए सभी साधु संत स्नान करते हैं.