रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) और केंद्रीय जल आयोग के बीच दिल्ली में समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए. ये एमओयू आईआईटी रुड़की में इंटरनेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर डैम्स (ICED) की स्थापना के लिए हुआ है. ये पूरा कार्यक्रम दिल्ली में जल शक्ति मंत्रालय के श्रम शक्ति भवन में आयोजित किया गया था.
आईआईटी रुड़की के आधिकारिक बयान के अनुसार बांधों के लिए यह अंतरराष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र बांधों के विभिन्न सुरक्षा और पुनर्वास पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेगा. जैसे हाइड्रोलॉजिकल, हाइड्रोलिक, स्ट्रक्चरल, भू-तकनीकी, भूकंपीय सुरक्षा मूल्यांकन और जलाशय अवसादन और गाद नियंत्रण.
यह केंद्र बांध सुरक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त पृष्ठभूमि और विशेषज्ञता रखने वाली जनशक्ति बनाने के लिए विकसित किया जा रहा है. इसे लंबे समय तक बांध के पूर्ण जीवन चक्र से निपटने के लिए भी विकसित किया जाएगा. इस एमओए के तहत, जल शक्ति मंत्रालय डीआरआईपी चरण II और III के तहत बांधों के लिए इस उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के लिए IIT रुड़की को 108.99 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया गया है.
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बयान में कहा गया है कि जल शक्ति मंत्रालय के डीओडब्ल्यूआर, आरडी और जीआर के सचिव पंकज कुमार ने इस कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि भारत सरकार ने देश में बांध सुरक्षा प्रबंधन के लिए पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार के लिए कई नीतिगत पहल की है.
आईआईटी रुड़की में इंटरनेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर डैम्स की स्थापना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है. देश के भीतर उपलब्ध हो, जो भारत सरकार के मिशन "आत्मनिर्भर भारत" को सही प्रोत्साहन देगा और भविष्य में कई अविकसित और विकासशील देशों को इस क्षेत्र में ज्ञान और विशेषज्ञता का प्रसार करने का अवसर भी प्रदान करेगा.
आरडी और पीपी के संयुक्त सचिव आनंद मोहन ने कहा कि भारत सरकार बांध सुरक्षा के लिए दो उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के अलावा बांध सुरक्षा क्षेत्रों में विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों और अन्य प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों की संस्थागत क्षमता निर्माण का विकास भी कर रही है. आने वाले वर्षों में देश जटिल बांध सुरक्षा मुद्दों और चुनौती को दूर करने में आत्मनिर्भर हो जाएगा.
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सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष कुशविंदर वोहरा ने कहा कि आईआईटी रुड़की इस केंद्र के माध्यम से अन्य बांध सुरक्षा क्षेत्रों में नई तकनीकी प्रगति को अपनाने का भी प्रयास करेगा और बांध मालिकों के सामने आने वाली चुनौतीपूर्ण समस्याओं का अत्याधुनिक समाधान प्रदान करने में मदद करेगा.
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह केंद्र समय-समय पर केंद्र की विभिन्न गतिविधियों में सीडब्ल्यूसी/बांध-स्वामित्व वाली एजेंसियों के अधिकारियों की भागीदारी के माध्यम से शैक्षणिक और उद्योग ज्ञान के अच्छे मिश्रण को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा. इससे बांध सुरक्षा क्षेत्रों में अधिकारियों के क्षमता विकास में मदद मिलेगी.
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो केके ने कहा कि "अंतरराष्ट्रीय बांध उत्कृष्टता केंद्र (आईसीईडी) का गठन बांध सुरक्षा में 'मेक इन इंडिया' को सशक्त करेगा, साथ ही उन्नत अनुसंधान और विकासशील प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोग उत्पादों को बढ़ाएगा. हम इसके लिए उत्सुक हैं.
(इनपुट एएनआई)