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Kanwar Yatra: कैसे संभव हुआ 4 करोड़ श्रद्धालुओं को सफलतापूर्वक विदा करना, 4 हजार करोड़ का हुआ कारोबार - 4 हजार करोड़ रुपए का हुआ कारोबार

हरिद्वार का कांवड़ मेला आज संपन्न हो गया है. इस बार कांवड़ियों की संख्या ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. हरिद्वार में 10 दिनों के अंदर करीब 4 करोड़ कांवड़िए पहुंचे थे, जिनकी वजह से करीब 4 हजार रुपए का कारोबार हुआ.

Uttarakhand Kanwar Yatra
10 दिन में पहुंचे 4 करोड़ कांवड़िए
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Published : Jul 26, 2022, 10:14 PM IST

Updated : Jul 27, 2022, 4:13 PM IST

हरिद्वार: उत्तराखंड में कांवड़ मेले 2022 का आज समापन हो गया है. इस बार करीब चार करोड़ श्रद्धालु गंगाजल लेने हरिद्वार पहुंचे. ये पहला मौका था जब इतनी बड़ी संख्या में कांवड़ियों ने मेले में शिरकत की. पिछले 10 दिनों से ऋषिकेश, हरिद्वार सहित गढ़वाल का बड़ा हिस्सा शिव भक्तों की आमद से गुलजार था. दो साल कोरोना संक्रमण के बाद सरकार को इस बात का इल्म था कि इतनी बड़ी तादाद में कांवड़िया हरिद्वार पहुंचेंगे. लिहाजा, 10 दिनों तक चलने वाली इस कांवड़ मेले के लिए सरकार ने भी कुंभ मेले की तरह पूरे इंतजाम किए हुए थे.

बता दें कि हरिद्वार में कांवड़ मेला 14 जुलाई से शुरू हुआ और 26 जुलाई को इसका समापन हो गया. वहीं, इस बार पड़ोसी राज्य यूपी, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान से भी कांवड़िया उत्तराखंड पहुंचे. 21 तारीख से कांवड़ यात्रा अपने पूरे शबाब पर पहुंच गई थी. आलम ये था कि हरिद्वार में 23 जुलाई से हरिद्वार में इस कदर भीड़ हो गई थी कि यहां कदम रखना भी मुश्किल हो गया. एक अनुमान के मुताबिक, तीन करोड़ 40 लाख कांवड़िये बीते 5 दिनों में हरिद्वार से गंगाजल लेकर अपने गंतव्य के लिए निकले.

कैसे संभव हुआ 4 करोड़ श्रद्धालुओं को सफलतापूर्वक विदा करना.
पढ़ें- कांवड़ यात्रा 2022 संपन्न, हरिद्वार के गंगा घाटों पर लगा गंदगी का अंबार

क्राउड मैनेजमेंट में सफल रहा प्रशासन: यह इतिहास में पहला मौका था जब कांवड़ मेले के लिए 4 करोड़ से ज्याद कांवड़िया हरिद्वार पहुंचे थे. ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल है कि इतनी अधिक संख्या छोटे से शहर हरिद्वार और ऋषिकेश में भला यह भीड़ कैसे समा सकती है. वो भी तब जब बड़ी संख्या में डाक कांवड़ भी हरिद्वार पहुंची. वहीं, क्राउड मैनेजमेंट में सबसे बड़ा योगदान हरिद्वार और ऋषिकेश के बीच बने फ्लाईओवर का रहा.

हरिद्वार जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे कहते हैं कि, इसमें कोई दो राय नहीं है कि अगर हरिद्वार पहले की तरह होता तो शायद इतनी अधिक संख्या में भीड़ को कंट्रोल करना और कांवड़ मेले का सकुशल संपन्न कराना संभव नहीं था. लेकिन इस बार क्राउड मैनेजमेंट के लिए जिस तरह फ्लाईओर का इस्तेमाल किया गया. उससे ही यह संभव हो पाया. फ्लाईओवर होने की वजह से हरकी पौड़ी से चलने वाले कांवड़ियों को सीधे दिल्ली की ओर भेजा जा रहा था. जबकि, पैदल यात्रा करने वाले श्रद्धालु कांवड़ पटरी से गुजर रहे थे. मेले के अंतिम दिनों में कांवड़ियों का भारी दबाव होने के बावजूद क्राउड मैनेजमेंट किया गया. वह शासन-प्रशासन के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है. आने वाले मेलों लिये यह प्रशासन को और अधिक सीखने का मौका देकर जा रही है.
पढे़ं- भोले की भक्ति में रमीं रेखा आर्य, 25 KM कांवड़ यात्रा कर 1300 साल पुराने वीरभद्र मंदिर में किया जलाभिषेक

कुंभ मेले की तरह तैयारियां हुई थी: कांवड़ मेला इस बार सुरक्षित संपन्न करना पुलिस-प्रशासन दोनों के लिए बड़ी चुनौती था, जिसके लिए पुलिस-प्रशासन ने बहुत पहले ही तैयारियां शुरू कर दी थी. पुलिस ने कुंभ मेल की तर्ज पर कांवड़ मेले में सुरक्षा और व्यवस्था के इंतजाम किए थे. कांवड़ मेला क्षेत्र का 12 सुपर जोन, 29 जोन और 130 सेक्टरों में बांटा गया था. सुरक्षा के मद्देनजर मेला क्षेत्र में डाग स्क्वायड की पांच टीम तैनात की गई थी. इसके अलावा ड्रोन कैमरों से भी नजर रखा जा रही थी. इसके अलावा कांवड़ मेले में कांवड़ियों की वेशभूषा में भी पुलिस को नियुक्त किया गया था.

कांवड़ मेले में 734 विशेष पुलिस अधिकारी नियुक्त किए गए थे. इसके अलावा अपर पुलिस अधीक्षक-14, पुलिस उपाधीक्षक-32, निरीक्षक, थानाध्यक्ष, एसएसआई 56, एसआई-152, महिला एसआइ-35, हेड कांस्टेबल-121, सिपाही-1002, महिला सिपाही-189, यातायात निरीक्षक-4, यातायात उप निरीक्षक-8, हेड कांस्टेबल यातायात-15, कांस्टेबल यातायात- 97 पीएसी, आइआरबी, फ्लड दल-12 कंपनी, एक प्लाटून, एक सेक्शन केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बल-छह कंपनी, दो कंपनी एसएसबी, दो कंपनी आईटीबीपी, दो कंपनी आरएएफ हेड कांस्टेबल प्रशिक्षु रैंकर भर्ती-351 तैनात थे.

कांवड़ मेले में हुई घटनाएं: कांवड़ मेला करीब 10 दिनों तक चला. इस 10 दिनों के अंदर हरिद्वार जिले में करीब 72 घटनाएं हुई, जिसमें 10 लोगों की मौत हुई. वहीं, रुड़की में 49 और हरिद्वार में 60 कांवड़िए इस हादसे में घायल हुए. हरिद्वार जिले में लगभग 72 जगहों पर आग लगने की घटनाएं दर्ज की गई हैं. ये आग अंधाधुंध तरीके से चलाई जा रही कांवड़ियों की बाइक में लगी है.
पढ़ें- सीएम योगी ने हेलीकॉप्टर से किया कांवड़ मार्ग का सर्वेक्षण, आईजी ने की पुष्पवर्षा

263 लोगों की बचाई गई जान: कांवड़ियों की भीड़ को देखते हुए इस बार हरिद्वार में पर्याप्त मात्रा में जल पुलिस को भी तैनात किया गया था, ताकि कोई व्यक्ति गंगा में डूबे तो उसे सकुशल बचाया जा सके. इस असर ये हुआ है कि पुलिस की मुस्तैदी के कारण 263 लोगों को गंगा में डूबने से बचाया गया.

गंगा घाटों पर तैनात बीईजी आर्मी फोर्स के जवानों ने जहां 127 लोगों को मौत के मुंह में जाने से बचाया. वहीं हरिद्वार की जल पुलिस ने इन दस दिनों में 136 कांवड़ियों के लिए जीवनदायनी साबित हुए. इसके अलावा कांवड़ के दौरान पीएसी के गोताखोरों को भी तैनात किया गया था, जिन्होंने 100 से अधिक कांवड़ियों को गंगा में डूबने से बचाया.

ये कांवड़ रही आकर्षण का केंद्र: कांवड़ मेले में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र तरह-तरह की झांकियां होती है. इस बार सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बागपत (यूपी) की कांवड़ रही, जो तीन करोड़ रुपए में तैयार की गई थी. इस कांवड़ के डीजे की वजह से कई घरों और होटलों के शीशे भी टूट गए थे.

सरकार ने चारधाम से सीखा: अगर देखा जाए तो इस बार कांवड़ मेला पूरी तरह से सफल रहा. अच्छी बात ये रही कि राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा से सबक लेकर कांवड़ मेले की तैयारियां पहले से ही कर ली थी. पूरे मेला क्षेत्र को कुंभ की तर्ज पर ही सजाया और बसाया गया था. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों, पीडब्ल्यूडी से जुड़े अधिकारी, जल संस्थान और बिजली विभाग से जुड़े तमाम बड़े अधिकारियों को हरिद्वार और ऋषिकेश में कैंप करने के निर्देश दिए थे. यही कारण रहा कि पूरे मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालु सकुशल अपने-अपने शहरों को लौटे.

चार हजार करोड़ रुपए का हुआ करोबार: एक अनुमान के मुताबिक, हरिद्वार में कांवड़ लेने आने वाला प्रति शिवभक्त ₹1000 आसानी से खर्च करता है. हालांकि, ये आंकड़ा थोड़ा ऊपर भी हो सकता है. लेकिन उदाहरण के लिए एक शिव भक्त अगर हरिद्वार में अपनी यात्रा के दौरान ₹1000 खर्च करता है तो इस बार चार करोड़ श्रद्धालु हरिद्वार से गंगा जल लेकर गए हैं, ऐसे में इस बार के कारोबार का आंकड़ा चार हजार करोड़ रुपए के आंकड़े को छू रहा है. अमूमन इन दिनों में छोटे व्यापारियों का ही कारोबार होता है, जबकि अधिक कांवड़ियों को बड़े मार्केट में जाने की ना तो इजाजत होती है और ना ही अपने साथ वो कोई भारी-भरकम सामान ले जा सकते हैं. लिहाजा शिवभक्त कांवड़ और यात्रा से संबंधित खाने-पीने का सामान और कांवड़ ही खरीदते हैं.

हरिद्वार: उत्तराखंड में कांवड़ मेले 2022 का आज समापन हो गया है. इस बार करीब चार करोड़ श्रद्धालु गंगाजल लेने हरिद्वार पहुंचे. ये पहला मौका था जब इतनी बड़ी संख्या में कांवड़ियों ने मेले में शिरकत की. पिछले 10 दिनों से ऋषिकेश, हरिद्वार सहित गढ़वाल का बड़ा हिस्सा शिव भक्तों की आमद से गुलजार था. दो साल कोरोना संक्रमण के बाद सरकार को इस बात का इल्म था कि इतनी बड़ी तादाद में कांवड़िया हरिद्वार पहुंचेंगे. लिहाजा, 10 दिनों तक चलने वाली इस कांवड़ मेले के लिए सरकार ने भी कुंभ मेले की तरह पूरे इंतजाम किए हुए थे.

बता दें कि हरिद्वार में कांवड़ मेला 14 जुलाई से शुरू हुआ और 26 जुलाई को इसका समापन हो गया. वहीं, इस बार पड़ोसी राज्य यूपी, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान से भी कांवड़िया उत्तराखंड पहुंचे. 21 तारीख से कांवड़ यात्रा अपने पूरे शबाब पर पहुंच गई थी. आलम ये था कि हरिद्वार में 23 जुलाई से हरिद्वार में इस कदर भीड़ हो गई थी कि यहां कदम रखना भी मुश्किल हो गया. एक अनुमान के मुताबिक, तीन करोड़ 40 लाख कांवड़िये बीते 5 दिनों में हरिद्वार से गंगाजल लेकर अपने गंतव्य के लिए निकले.

कैसे संभव हुआ 4 करोड़ श्रद्धालुओं को सफलतापूर्वक विदा करना.
पढ़ें- कांवड़ यात्रा 2022 संपन्न, हरिद्वार के गंगा घाटों पर लगा गंदगी का अंबार

क्राउड मैनेजमेंट में सफल रहा प्रशासन: यह इतिहास में पहला मौका था जब कांवड़ मेले के लिए 4 करोड़ से ज्याद कांवड़िया हरिद्वार पहुंचे थे. ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल है कि इतनी अधिक संख्या छोटे से शहर हरिद्वार और ऋषिकेश में भला यह भीड़ कैसे समा सकती है. वो भी तब जब बड़ी संख्या में डाक कांवड़ भी हरिद्वार पहुंची. वहीं, क्राउड मैनेजमेंट में सबसे बड़ा योगदान हरिद्वार और ऋषिकेश के बीच बने फ्लाईओवर का रहा.

हरिद्वार जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे कहते हैं कि, इसमें कोई दो राय नहीं है कि अगर हरिद्वार पहले की तरह होता तो शायद इतनी अधिक संख्या में भीड़ को कंट्रोल करना और कांवड़ मेले का सकुशल संपन्न कराना संभव नहीं था. लेकिन इस बार क्राउड मैनेजमेंट के लिए जिस तरह फ्लाईओर का इस्तेमाल किया गया. उससे ही यह संभव हो पाया. फ्लाईओवर होने की वजह से हरकी पौड़ी से चलने वाले कांवड़ियों को सीधे दिल्ली की ओर भेजा जा रहा था. जबकि, पैदल यात्रा करने वाले श्रद्धालु कांवड़ पटरी से गुजर रहे थे. मेले के अंतिम दिनों में कांवड़ियों का भारी दबाव होने के बावजूद क्राउड मैनेजमेंट किया गया. वह शासन-प्रशासन के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है. आने वाले मेलों लिये यह प्रशासन को और अधिक सीखने का मौका देकर जा रही है.
पढे़ं- भोले की भक्ति में रमीं रेखा आर्य, 25 KM कांवड़ यात्रा कर 1300 साल पुराने वीरभद्र मंदिर में किया जलाभिषेक

कुंभ मेले की तरह तैयारियां हुई थी: कांवड़ मेला इस बार सुरक्षित संपन्न करना पुलिस-प्रशासन दोनों के लिए बड़ी चुनौती था, जिसके लिए पुलिस-प्रशासन ने बहुत पहले ही तैयारियां शुरू कर दी थी. पुलिस ने कुंभ मेल की तर्ज पर कांवड़ मेले में सुरक्षा और व्यवस्था के इंतजाम किए थे. कांवड़ मेला क्षेत्र का 12 सुपर जोन, 29 जोन और 130 सेक्टरों में बांटा गया था. सुरक्षा के मद्देनजर मेला क्षेत्र में डाग स्क्वायड की पांच टीम तैनात की गई थी. इसके अलावा ड्रोन कैमरों से भी नजर रखा जा रही थी. इसके अलावा कांवड़ मेले में कांवड़ियों की वेशभूषा में भी पुलिस को नियुक्त किया गया था.

कांवड़ मेले में 734 विशेष पुलिस अधिकारी नियुक्त किए गए थे. इसके अलावा अपर पुलिस अधीक्षक-14, पुलिस उपाधीक्षक-32, निरीक्षक, थानाध्यक्ष, एसएसआई 56, एसआई-152, महिला एसआइ-35, हेड कांस्टेबल-121, सिपाही-1002, महिला सिपाही-189, यातायात निरीक्षक-4, यातायात उप निरीक्षक-8, हेड कांस्टेबल यातायात-15, कांस्टेबल यातायात- 97 पीएसी, आइआरबी, फ्लड दल-12 कंपनी, एक प्लाटून, एक सेक्शन केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बल-छह कंपनी, दो कंपनी एसएसबी, दो कंपनी आईटीबीपी, दो कंपनी आरएएफ हेड कांस्टेबल प्रशिक्षु रैंकर भर्ती-351 तैनात थे.

कांवड़ मेले में हुई घटनाएं: कांवड़ मेला करीब 10 दिनों तक चला. इस 10 दिनों के अंदर हरिद्वार जिले में करीब 72 घटनाएं हुई, जिसमें 10 लोगों की मौत हुई. वहीं, रुड़की में 49 और हरिद्वार में 60 कांवड़िए इस हादसे में घायल हुए. हरिद्वार जिले में लगभग 72 जगहों पर आग लगने की घटनाएं दर्ज की गई हैं. ये आग अंधाधुंध तरीके से चलाई जा रही कांवड़ियों की बाइक में लगी है.
पढ़ें- सीएम योगी ने हेलीकॉप्टर से किया कांवड़ मार्ग का सर्वेक्षण, आईजी ने की पुष्पवर्षा

263 लोगों की बचाई गई जान: कांवड़ियों की भीड़ को देखते हुए इस बार हरिद्वार में पर्याप्त मात्रा में जल पुलिस को भी तैनात किया गया था, ताकि कोई व्यक्ति गंगा में डूबे तो उसे सकुशल बचाया जा सके. इस असर ये हुआ है कि पुलिस की मुस्तैदी के कारण 263 लोगों को गंगा में डूबने से बचाया गया.

गंगा घाटों पर तैनात बीईजी आर्मी फोर्स के जवानों ने जहां 127 लोगों को मौत के मुंह में जाने से बचाया. वहीं हरिद्वार की जल पुलिस ने इन दस दिनों में 136 कांवड़ियों के लिए जीवनदायनी साबित हुए. इसके अलावा कांवड़ के दौरान पीएसी के गोताखोरों को भी तैनात किया गया था, जिन्होंने 100 से अधिक कांवड़ियों को गंगा में डूबने से बचाया.

ये कांवड़ रही आकर्षण का केंद्र: कांवड़ मेले में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र तरह-तरह की झांकियां होती है. इस बार सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बागपत (यूपी) की कांवड़ रही, जो तीन करोड़ रुपए में तैयार की गई थी. इस कांवड़ के डीजे की वजह से कई घरों और होटलों के शीशे भी टूट गए थे.

सरकार ने चारधाम से सीखा: अगर देखा जाए तो इस बार कांवड़ मेला पूरी तरह से सफल रहा. अच्छी बात ये रही कि राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा से सबक लेकर कांवड़ मेले की तैयारियां पहले से ही कर ली थी. पूरे मेला क्षेत्र को कुंभ की तर्ज पर ही सजाया और बसाया गया था. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों, पीडब्ल्यूडी से जुड़े अधिकारी, जल संस्थान और बिजली विभाग से जुड़े तमाम बड़े अधिकारियों को हरिद्वार और ऋषिकेश में कैंप करने के निर्देश दिए थे. यही कारण रहा कि पूरे मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालु सकुशल अपने-अपने शहरों को लौटे.

चार हजार करोड़ रुपए का हुआ करोबार: एक अनुमान के मुताबिक, हरिद्वार में कांवड़ लेने आने वाला प्रति शिवभक्त ₹1000 आसानी से खर्च करता है. हालांकि, ये आंकड़ा थोड़ा ऊपर भी हो सकता है. लेकिन उदाहरण के लिए एक शिव भक्त अगर हरिद्वार में अपनी यात्रा के दौरान ₹1000 खर्च करता है तो इस बार चार करोड़ श्रद्धालु हरिद्वार से गंगा जल लेकर गए हैं, ऐसे में इस बार के कारोबार का आंकड़ा चार हजार करोड़ रुपए के आंकड़े को छू रहा है. अमूमन इन दिनों में छोटे व्यापारियों का ही कारोबार होता है, जबकि अधिक कांवड़ियों को बड़े मार्केट में जाने की ना तो इजाजत होती है और ना ही अपने साथ वो कोई भारी-भरकम सामान ले जा सकते हैं. लिहाजा शिवभक्त कांवड़ और यात्रा से संबंधित खाने-पीने का सामान और कांवड़ ही खरीदते हैं.

Last Updated : Jul 27, 2022, 4:13 PM IST
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