हरिद्वार: कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच सोमवती अमावस्या के अवसर पर महाकुंभ के दूसरे शाही स्नान के दिन साधु संतों ने हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ हरकी पौड़ी पर आस्था की डुबकी लगाई.
इसके साथ ही अमृत कलश से छलकी बूंदों का पुण्य कमाने के लिए देश के कोने कोने से उमडे़ श्रद्धालुओं ने भी हरिद्वार के अन्य घाटों पर गंगा में डुबकी लगाई और महाकुंभ स्नान का लाभ लिया. महाकुंभ मेला प्रशासन के मुताबिक सोमवती अमावस्या पर 31 लाख 23 हजार श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया है.
पहला शाही स्नान श्रीपंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि की अगुवाई में किया. इसके साथ ही श्रीपंचायती आनंद अखाड़े ने भी अपने आचार्य महामंडलेश्वर की अगुवाई में शाही स्नान किया. नागा संन्यासियों के साथ नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाह देव का शाही स्नान आकर्षण का केंद्र रहा. नेपाल के अंतिम राजा ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाह देव ने स्वामी कैलाशानंद गिरि के साथ शाही स्नान किया.
सोमवती अमावस्या का होता है विशेष महत्व
हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व माना गया है. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति या श्रद्धालु आज के दिन गंगा में पावन डुबकी लगाता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आज के दिन पीपल की परिक्रमा को शास्त्रों में सबसे शुभ माना गया है. मान्यता है कि पीपल में देवी-देवताओं का वास होने के कारण जब देवता पूजन से प्रसन्न होते हैं, तो व्यक्ति के सभी कष्टों का हरण होता है. इस वर्ष पूरे साल में केवल एक ही सोमवती अमावस्या होने के कारण आज हर व्यक्ति गंगा स्नान को आ रहा है.