हरिद्वारः धर्मनगरी हरिद्वार में काफी संख्या में छोटे बड़े होटल संचालित हो रहे हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही होटल हैं, जो सरकारी मानकों को पूरा कर रहे हैं. हरिद्वार में ज्यादातर होटल बिना रजिस्ट्रेशन और अग्निशमन विभाग की एनओसी के चल रहे हैं. जो न सिर्फ सरकारी राजस्व को घाटा पहुंचा रहे हैं. बल्कि, सुरक्षा के लिए लिहाज से भी खतरा बने हुए हैं.
हरिद्वार में सालभर लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. ये श्रद्धालु यहां मौजूद हजारों छोटे बड़े होटल और धर्मशाला में ठहरते हैं. नियमों के अनुसार सभी होटलों को पर्यटन विभाग में पंजीकृत होना जरूरी है, लेकिन हरिद्वार के पर्यटन विभाग में कुल संख्या के एक चौथाई होटल भी रजिस्टर्ड नहीं है. पर्यटन अधिकारी खुद मानते हैं कि यहां मानकों को दरकिनार कर कई लोग होटल कारोबार कर रहे हैं.
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होटलों में आग लगने की घटना न हो और ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए फायर फाइटिंग की व्यवस्था भी होटल्स में की जाए. इसके लिए अग्निशमन विभाग की ओर से एनओसी जारी की जाती है, लेकिन ये अपने आप में चौंकाने वाली बात है कि हजारों की तादाद में से सिर्फ 60 होटलों ने फायर डिपार्टमेंट से एनओसी ले रखी है.
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वहीं, दोनों विभागों के अधिकारी अपने-अपने दावे कर पल्ला झाड़ते दिख रहे हैं, लेकिन विभागों की लापरवाही से जहां एक ओर मानकों को दरकिनार कर चल रहे होटलों से सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है तो वहीं, यह सुरक्षा के नजरिए से भी जोखिम बने हुए हैं. अब देखने होगा कि मामले में क्या कार्रवाई होती है.