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मेयर और पार्षदों में खींचतान के चलते धर्मनगरी में लगा कूड़े का अंबार - केआरएल कंपनी

हरिद्वार में मेयर और पार्षदों की खींचतान के चलते जगह-जगह कूड़े का आंबार लगा हुआ है. कूड़ा उठाने का काम करने वाली कंपनी का कहना है कि उसके पास संसाधनों की कमी है, जिस वहज से कूड़ा उठाने में देरी हो रही है.

हरिद्वार में लगे कूड़े के ढेर
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Published : Jun 19, 2019, 9:27 AM IST

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में इन दिनों कूड़े का अंबार लगा हुआ है. कूड़ा निस्तारण के लिए हरिद्वार मेयर और पार्षदों के बीच जंग छिड़ी हुई है. हरिद्वार नगर निगम द्वारा केआरएल कंपनी जिसे हरिद्वार में कूड़ा उठाने का ठेका दिया गया है, उस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. कंपनी कहना है कि उसके पास संसाधनों की कमी है. जिस वजह से कूड़ा उठाने में देरी होती है. साथ ही 0कहा कि कूड़ा उठाने के लिए मिलने वाला भुगतान भी अन्य नगर निगमों से बहुत कम है.

हरिद्वार में लगे कूड़े के ढेर

केआरएल कंपनी के डायरेक्टर सुखबीर सिंह का कहना है कि उन्होंने नगर निगम से कहा है कि कंपनी के पास संसाधनों की कमी है. उन्होंने निगम से संसाधनों को मुहैय्या का कराने की मांग की, लेकिन निगम ने अनसुना कर दिया.

पढ़ें- पहली बारिश ने खोली नगर निगम की पोल, नालों से ओवरफ्लो होकर सड़कों पर फैली गंदगी

सुखबीर सिंह ने कहा कि केआरएल कंपनी को प्रति कुंतल कूड़ा उठाने की टिपिंग फीस भी उत्तराखंड की अन्य नगर निगमों से काफी कम है. जहां अन्य नगर निगमों में प्रति कुंतल पर 1200 से 1300 रुपए मिलते हैं. वहीं, केआरएल को महज 347 रुपये मिलते हैं. बीते कुछ दिनों के लिए जब पैसे बढ़ाने के लिए केआरएल कंपनी के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे, तो पूरे शहर में कूड़े का अंबार लग गया था.

बता दें कि केआरएल कंपनी के पास केवल 200 कर्मचारी ही हैं. वहीं, नगर निगम हरिद्वार के पास 550 गैर-सरकारी कर्मचारी और नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत घाटों की सफाई के लिए अलग से 300 कर्मचारी नियुक्त हैं. लेकिन फिर भी हरिद्वार में जब केआरएल के 200 कर्मचारी हड़ताल पर चले जाते हैं, तो पूरे हरिद्वार में कचरे का ढेर लग जाता है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर केआरएल कंपनी काम नहीं करेगी तो क्या हरिद्वार में कूड़ा नहीं उठेगा.

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में इन दिनों कूड़े का अंबार लगा हुआ है. कूड़ा निस्तारण के लिए हरिद्वार मेयर और पार्षदों के बीच जंग छिड़ी हुई है. हरिद्वार नगर निगम द्वारा केआरएल कंपनी जिसे हरिद्वार में कूड़ा उठाने का ठेका दिया गया है, उस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. कंपनी कहना है कि उसके पास संसाधनों की कमी है. जिस वजह से कूड़ा उठाने में देरी होती है. साथ ही 0कहा कि कूड़ा उठाने के लिए मिलने वाला भुगतान भी अन्य नगर निगमों से बहुत कम है.

हरिद्वार में लगे कूड़े के ढेर

केआरएल कंपनी के डायरेक्टर सुखबीर सिंह का कहना है कि उन्होंने नगर निगम से कहा है कि कंपनी के पास संसाधनों की कमी है. उन्होंने निगम से संसाधनों को मुहैय्या का कराने की मांग की, लेकिन निगम ने अनसुना कर दिया.

पढ़ें- पहली बारिश ने खोली नगर निगम की पोल, नालों से ओवरफ्लो होकर सड़कों पर फैली गंदगी

सुखबीर सिंह ने कहा कि केआरएल कंपनी को प्रति कुंतल कूड़ा उठाने की टिपिंग फीस भी उत्तराखंड की अन्य नगर निगमों से काफी कम है. जहां अन्य नगर निगमों में प्रति कुंतल पर 1200 से 1300 रुपए मिलते हैं. वहीं, केआरएल को महज 347 रुपये मिलते हैं. बीते कुछ दिनों के लिए जब पैसे बढ़ाने के लिए केआरएल कंपनी के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे, तो पूरे शहर में कूड़े का अंबार लग गया था.

बता दें कि केआरएल कंपनी के पास केवल 200 कर्मचारी ही हैं. वहीं, नगर निगम हरिद्वार के पास 550 गैर-सरकारी कर्मचारी और नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत घाटों की सफाई के लिए अलग से 300 कर्मचारी नियुक्त हैं. लेकिन फिर भी हरिद्वार में जब केआरएल के 200 कर्मचारी हड़ताल पर चले जाते हैं, तो पूरे हरिद्वार में कचरे का ढेर लग जाता है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर केआरएल कंपनी काम नहीं करेगी तो क्या हरिद्वार में कूड़ा नहीं उठेगा.

Intro:summary- धर्मनगरी हरिद्वार में इन दिनों कूड़े का अंबार लगा हुआ है, कूड़े को उठाने के लिए जिम्मेदार केआरएल कंपनी का कहना है की उनके पास संसाधनों की कमी है जिसके कारण कूड़ा उठाने में उनको देरी होती है, साथ ही कूड़ा उठाने के लिए उनको मिलने वाली टिपिंग फीस भी अन्य नगर निगमों से बहुत कम है।

एंकर- धर्मनगरी हरिद्वार में इन दिनों कूड़े का अंबार लगा हुआ है, हरिद्वार में स्नान पर्वो में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे श्रद्धालुओं के जाने के बाद अब जगह-जगह कूड़े का ढेर पड़ा हुआ है, जिसको लेकर हरिद्वार नगर निगम में भी संग्राम छिड़ा हुआ है, नगर निगम में भाजपा और कांग्रेस दोनों कूड़े को लेकर राजनीति करने में लगी हुई है और एक दूसरे पर छींटाकशी करने में लगी हुई है, साथ ही हरिद्वार नगर निगम द्वारा केआरएल कंपनी जिसे हरिद्वार में कूड़ा उठाने का ठेका दिया गया है उसपर भी सवाल खड़े हो रहे है ऐसे में ईटीवी भारत ने केआरएल कंपनी कंपनी से बात की तो कुछ अलग ही तस्वीर निकलकर सामने आई।


Body:VO1- हरिद्वार नगर निगम द्वारा पूरे हरिद्वार शहर से कूड़ा उठाने एवं डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का ठेका केआरएल कंपनी को दिया हुआ है, केआरएल कंपनी के 200 कर्मचारी शहर भर से कूड़ा उठाने का काम करते हैं, केआरएल कंपनी का कहना है कि उनके पास कूड़ा उठाने के लिए संसाधनों की भारी कमी है, उनकी नगर निगम से मांग है कि कूड़ा उठाने के लिए अतिरिक्त संसाधन मुहैया कराए जाएं लेकिन नगर निगम इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है, साथ ही कंपनी को मिलने वाला प्रति कुंटल कूड़ा उठाने की टाइपिंग फीस भी उत्तराखंड की अन्य नगर निगमों से काफी कम है, जहां अन्य नगर निगमों में प्रति कुंटल पर 1200 से 1300 रुपए मिलते हैं वही केआरएल को महज 347 रुपये मिलते है। बीते कुछ दिनों के लिए जब पैसे बढ़ाने के लिए केआरएल कंपनी के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे तो पूरे शहर में कूड़े का ढेर लग गया था, देखा जाए तो केआरएल कंपनी के पास केवल 200 कर्मचारी ही है वही नगर निगम हरिद्वार के पास 550 गैरसरकारी कर्मचारी और नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत घाटो की साफ सफाई के लिए अलग से 300 कर्मचारी नियुक्त हैं लेकिन फिर भी हरिद्वार में जब केआरएल के 200 कर्मचारी हड़ताल पर चले जाते हैं तो पूरे हरिद्वार में कचरे का ढेर लग जाता है। ऐसे में यह सवाल भी अपने आप में बड़ा है कि क्या अगर केआरएल कंपनी काम नहीं करेगी तो हरिद्वार में कूड़ा नहीं उठेगा।


Conclusion:बाइट- सुखबीर सिंह, डायरेक्टर, केआरएल कंपनी

पीटीसी
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