हरिद्वारः धर्मनगरी हरिद्वार में इन दिनों कुंभ मेले में भक्ति के अनेकों रंग दिख रहे हैं. देशभर से आए श्रद्धालुओं और अखाड़ों के साधु-संतों ने कुंभनगरी हरिद्वार में डेरा जमाया हुआ है. भक्ति के इस रंग में कई अद्भुत कर देने वाले नजारे भी देखने को मिल रहे हैं और संतों की ऐसी कहानियां भी, जो आश्चर्यचकित कर रही हैं. इसी बीच कई साधु अपने हठयोग के कारण आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. श्रद्धालु इन साधुओं के दर्शन कर पुण्य कमा रहे हैं.
सनातन धर्म में साधु-संत हठयोग के जरिए अपनी तपस्या करते हैं. जबतक उनकी इच्छा की पूर्ति नहीं होती वो अपने हठयोग से पीछे नहीं हटते. ऐसे ही साधु-संत कुंभ नगरी हरिद्वार में भी देखने को मिल रहे हैं.
साढ़े 4 साल से अपना एक हाथ खड़ा रखने वाले आनंद अखाड़े के हठयोगी दिवाकर भारती बताते हैं कि यह हठयोग नहीं है, सत्य योग है. ये सनातन धर्म में सच्चा त्याग है, इस तपस्या को करने का हमारा उद्देश्य है कि हम सभी बंधनों से मुक्त हो जाएं.
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डॉक्टरी की पढ़ाई कर चुके दिवाकर भारती को संन्यास लिए 11 साल से ज्यादा का वक्त हो गया है और वो साढ़े 4 साल से हठयोग कर रहे हैं. उनका कहना है कि उनके परिवार में भाई-बहन और मां बाप हैं, उनके आगे बड़ा करियर था मगर उनका रुझान संन्यास की तरफ था. इस कारण वो संन्यासी बन गये.
ऐसे ही आह्वान अखाड़े के हठयोगी महेश्वरी गिरी भी है. जग कल्याण के लिए हठयोग कर रहे महेश्वरी को संन्यास धारण किए 29 साल से ऊपर हो गए हैं. इस हठयोग को करने का उनका उद्देश्य मुक्ति को प्राप्त करना है. वो बताते हैं कि उन्होंने संन्यास जीवन में 12 साल तपस्या की है.
धर्मनगरी हरिद्वार महाकुंभ में हठयोगी संत श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बने हैं. बड़ी संख्या में श्रद्धालु इनके दर्शन कर रहे हैं. इन हठयोगी साधुओं की तपस्या बेहद कठिन है लेकिन बावजूद उसके इन साधुओं को कठिनाइयों की फिक्र नहीं है. ये साधु तो अपनी प्रभु की भक्ति में लीन हैं.