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अपनी 'कारस्तानी' पर हरदा की माफी, कहा- सत्तासीन होने पर बदलूंगा गंगा स्कैप चैनल का निर्णय - अतिक्रमण को लेकर स्कैप चैनल

साल 2016 में तत्कालीन हरीश रावत की सरकार ने हरकी पैड़ी से बह रही गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी गंगा किनारे अवैध रूप से हुए भारी संख्या में निर्माणों को ध्वस्त होने से बचाया था. उस समय हरीश रावत ने टेक्निकल बदलाव कर अवैध निर्माण करने वालों को फायदा पहुंचाया था. आज हरीश रावत खुद के निर्णय पर माफी मांग रहे हैं.

harish  rawat
हरीश रावत
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Published : Jul 14, 2020, 4:31 PM IST

Updated : Jul 14, 2020, 5:38 PM IST

हरिद्वारः साल 2016 में अपने ही कार्यकाल में गंगा को स्कैप चैनल घोषित करने के निर्णय पर अब पूर्व सीएम हरीश रावत ने जनता से माफी मांगी है. हरदा अब बीजेपी की वर्तमान सरकार से इस निर्णय को बदलने की मांग कर रहे हैं. इतना ही नहीं, बीजेपी सरकार की ओर से इस निर्णय को न बदले जाने पर खुद सत्ता में काबिज होने के बाद दोबारा बदलने की बात भी कह रहे हैं. उधर, संतों का कहना है सुबह का भूला अगर शाम को वापस आए तो उसे भूला नहीं कहते हैं.

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत मंगलवार को हरिद्वार के दौरे पर रहे. इस दौरान उन्होंने कनखल स्थित बड़ा अखाड़ा उदासीन पहुंचकर संत और गंगा सभा के पदाधिकारियों से मुलाकात की. साथ ही अखाड़े में मौजूद संतों से आशीर्वाद भी लिया. इस दौरान हरीश रावत ने साल 2016 में हरकी पैड़ी से बह रही गंगा को स्कैप चैनल घोषित करने के लिए जन समुदाय से माफी भी मांगी.

अपनी 'कारस्तानी' पर हरदा की माफी.

बता दें कि साल 2016 में तत्कालीन हरीश रावत की सरकार ने हरकी पैड़ी से बह रही गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश होने के बाद भी गंगा किनारे अवैध रूप से हुए भारी संख्या में निर्माणों को ध्वस्त होने से बचा लिया था. उस समय की तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने टेक्निकल बदलाव कर गंगा किनारे अवैध निर्माण करने वालों को फायदा पहुंचाया था. आज हरीश रावत खुद के निर्णय को पलटने की मांग कर रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः हरदा बने 'राजनैतिक नर्तक', कोरोनाकाल में खोज रहे 'घुंघरू की थिरकन'

पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि सम्मान की भावना रखते हुए साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के फल स्वरूप एनजीटी की तलवार लटक रही थी. इस वजह से 300 से ज्यादा निर्माण ध्वस्त होने जा रहे थे. एनजीटी ने सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए कहा था. उस वक्त समय कम होने की वजह से टेक्निकल बदलाव करते हुए आदेश जारी कर इन निर्माणों को ध्वस्त होने से बचाया था. उस समय उनकी सरकार की ओर से लिए गए निर्णय से जिन लोगों की भावना आहत हुई है, वो उनसे क्षमा मांगते हैं.

वहीं, बड़ा उदासीन अखाड़े के महंत दुर्गादास का कहना है कि सुबह का भूला अगर शाम को वापस आए तो उसे भूला नहीं कहते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने आज संतों, गंगा सभा और हरिद्वार के नागरिकों के सामने अपनी भूल को उजागर किया है. उन्होंने आश्वासन दिया है कि इस भूल को सुधारा जाएगा. साथ ही कहा कि सरकार की ओर से इस निर्णय को बदला जा सकता है. इसलिए वर्तमान सरकार को भी इस निर्णय को अविलंब निरस्त करना चाहिए.

ये भी पढ़ेंः कोटद्वार: आपदा से निपटने के लिए प्रशासन ने कसी कमर, नदियां और नाले बरपाते हैं 'कहर'

उधर, गंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस बात को महसूस कर रहे हैं कि उनसे तत्कालीन समय में गलत फैसला हुआ है. गंगा को चैनल घोषित करना. यह धर्म पर कुठाराघात है. बीते 4 सालों से इस निर्णय को बदलने की मांग उठ रही है. हरकी पैड़ी पर बह रही गंगा को स्कैप चैनल न संबोधित किया जाए. गंगा को स्कैप चैनल कहकर संबोधित करने से हरिद्वार में आक्रोश है. लिहाजा त्रिवेंद्र सरकार जल्द हरकी पैड़ी पर गंगा को निर्मल धारा घोषित करें. ऐसे में निर्णय में बदलाव नहीं किया जाता है तो इसके लिए आंदोलन किया जाएगा.

हरिद्वारः साल 2016 में अपने ही कार्यकाल में गंगा को स्कैप चैनल घोषित करने के निर्णय पर अब पूर्व सीएम हरीश रावत ने जनता से माफी मांगी है. हरदा अब बीजेपी की वर्तमान सरकार से इस निर्णय को बदलने की मांग कर रहे हैं. इतना ही नहीं, बीजेपी सरकार की ओर से इस निर्णय को न बदले जाने पर खुद सत्ता में काबिज होने के बाद दोबारा बदलने की बात भी कह रहे हैं. उधर, संतों का कहना है सुबह का भूला अगर शाम को वापस आए तो उसे भूला नहीं कहते हैं.

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत मंगलवार को हरिद्वार के दौरे पर रहे. इस दौरान उन्होंने कनखल स्थित बड़ा अखाड़ा उदासीन पहुंचकर संत और गंगा सभा के पदाधिकारियों से मुलाकात की. साथ ही अखाड़े में मौजूद संतों से आशीर्वाद भी लिया. इस दौरान हरीश रावत ने साल 2016 में हरकी पैड़ी से बह रही गंगा को स्कैप चैनल घोषित करने के लिए जन समुदाय से माफी भी मांगी.

अपनी 'कारस्तानी' पर हरदा की माफी.

बता दें कि साल 2016 में तत्कालीन हरीश रावत की सरकार ने हरकी पैड़ी से बह रही गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश होने के बाद भी गंगा किनारे अवैध रूप से हुए भारी संख्या में निर्माणों को ध्वस्त होने से बचा लिया था. उस समय की तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने टेक्निकल बदलाव कर गंगा किनारे अवैध निर्माण करने वालों को फायदा पहुंचाया था. आज हरीश रावत खुद के निर्णय को पलटने की मांग कर रहे हैं.

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पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि सम्मान की भावना रखते हुए साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के फल स्वरूप एनजीटी की तलवार लटक रही थी. इस वजह से 300 से ज्यादा निर्माण ध्वस्त होने जा रहे थे. एनजीटी ने सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए कहा था. उस वक्त समय कम होने की वजह से टेक्निकल बदलाव करते हुए आदेश जारी कर इन निर्माणों को ध्वस्त होने से बचाया था. उस समय उनकी सरकार की ओर से लिए गए निर्णय से जिन लोगों की भावना आहत हुई है, वो उनसे क्षमा मांगते हैं.

वहीं, बड़ा उदासीन अखाड़े के महंत दुर्गादास का कहना है कि सुबह का भूला अगर शाम को वापस आए तो उसे भूला नहीं कहते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने आज संतों, गंगा सभा और हरिद्वार के नागरिकों के सामने अपनी भूल को उजागर किया है. उन्होंने आश्वासन दिया है कि इस भूल को सुधारा जाएगा. साथ ही कहा कि सरकार की ओर से इस निर्णय को बदला जा सकता है. इसलिए वर्तमान सरकार को भी इस निर्णय को अविलंब निरस्त करना चाहिए.

ये भी पढ़ेंः कोटद्वार: आपदा से निपटने के लिए प्रशासन ने कसी कमर, नदियां और नाले बरपाते हैं 'कहर'

उधर, गंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस बात को महसूस कर रहे हैं कि उनसे तत्कालीन समय में गलत फैसला हुआ है. गंगा को चैनल घोषित करना. यह धर्म पर कुठाराघात है. बीते 4 सालों से इस निर्णय को बदलने की मांग उठ रही है. हरकी पैड़ी पर बह रही गंगा को स्कैप चैनल न संबोधित किया जाए. गंगा को स्कैप चैनल कहकर संबोधित करने से हरिद्वार में आक्रोश है. लिहाजा त्रिवेंद्र सरकार जल्द हरकी पैड़ी पर गंगा को निर्मल धारा घोषित करें. ऐसे में निर्णय में बदलाव नहीं किया जाता है तो इसके लिए आंदोलन किया जाएगा.

Last Updated : Jul 14, 2020, 5:38 PM IST
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