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हरिद्वार की संतोषी देवी ने तोड़ा दम, IAS दीपक रावत ने जताया दुख - Santoshi Devi waiting for old age pension passed away

हरिद्वार के रैन बसेरा में रहने वाली बुजुर्ग संतोषी देवी का आज निधन हो गया. अपने जीवन के अंतिम क्षणों में भी संतोषी देवी वृद्धावस्था पेंशन का इंतजार करती रहीं. उनकी ये इच्छा आखिरी समय तक भी पूरी नहीं हो पाई.

विधि विधान से हुआ अंतिम संस्कार
विधि विधान से हुआ अंतिम संस्कार
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Published : Aug 30, 2021, 9:05 PM IST

Updated : Aug 30, 2021, 10:10 PM IST

हरिद्वार: विश्व प्रसिद्ध हरकी पैड़ी पर थैले बेचकर अपना गुजारा करने वाली संतोषी देवी का निधन हो गया है. संतोषी देवी ने आज सुबह अपनी अंतिम सांस ली. हरिद्वार पुलिस ने खड़खड़ी श्मशान घाट उनका अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान से किया.

उन्होंने जीवन के आखिरी पड़ाव में वृद्धावस्था पेंशन की मांग की थी, जो आखिर तक अधूरी ही रही. बता दें संतोषी देवी से पिछले साल हरिद्वार के जिलाधिकारी और कुंभ मेला अधिकारी रहे दीपक रावत ने भी पेंशन लगवाने का वादा किया था. लेकिन, संतोषी देवी के उत्तर प्रदेश निवासी होने की वजह से यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी.

पढे़ं-वादा तेरा वादा...IAS दीपक रावत भूले तो 91 वर्षीय संतोषी देवी ने दिलाया याद

आज उनके निधन की खबर सुनकर दीपक रावत भी काफी भावुक हो गये. उन्होंने कहा मुझे इस बात का दुख रहेगा कि मैं उनकी पेंशन नहीं दिलवा पाया, भगवान उनकी आत्मा को शांति दें. संतोषी देवी हरकी पैड़ी पर थैले बेचकर अपना जीवन यापन करती थी. वह हरिद्वार के रैन बसेरे में ही रहती थी. संतोषी देवी का इस दुनिया में कोई नहीं था. उम्र के आखिरी पड़ाव में उनका चलना फिरना भी बहुत मुश्किल हो गया था, जिस कारण वह वृद्धा पेंशन की मांग कर रही थी.

हरिद्वार: विश्व प्रसिद्ध हरकी पैड़ी पर थैले बेचकर अपना गुजारा करने वाली संतोषी देवी का निधन हो गया है. संतोषी देवी ने आज सुबह अपनी अंतिम सांस ली. हरिद्वार पुलिस ने खड़खड़ी श्मशान घाट उनका अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान से किया.

उन्होंने जीवन के आखिरी पड़ाव में वृद्धावस्था पेंशन की मांग की थी, जो आखिर तक अधूरी ही रही. बता दें संतोषी देवी से पिछले साल हरिद्वार के जिलाधिकारी और कुंभ मेला अधिकारी रहे दीपक रावत ने भी पेंशन लगवाने का वादा किया था. लेकिन, संतोषी देवी के उत्तर प्रदेश निवासी होने की वजह से यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी.

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आज उनके निधन की खबर सुनकर दीपक रावत भी काफी भावुक हो गये. उन्होंने कहा मुझे इस बात का दुख रहेगा कि मैं उनकी पेंशन नहीं दिलवा पाया, भगवान उनकी आत्मा को शांति दें. संतोषी देवी हरकी पैड़ी पर थैले बेचकर अपना जीवन यापन करती थी. वह हरिद्वार के रैन बसेरे में ही रहती थी. संतोषी देवी का इस दुनिया में कोई नहीं था. उम्र के आखिरी पड़ाव में उनका चलना फिरना भी बहुत मुश्किल हो गया था, जिस कारण वह वृद्धा पेंशन की मांग कर रही थी.

Last Updated : Aug 30, 2021, 10:10 PM IST
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