रुड़की: गंगनहर कोतवाली क्षेत्र के रामनगर कॉलोनी निवासी एक व्यक्ति की मौत और अंतिम संस्कार के बाद गुमशुदगी दर्ज करने के मामले में एसएसपी हरिद्वार ने जांच के बाद दोषी पुलिस कर्मियों को अनोखी सजा (Haridwar SSP gave unique punishment) सुनाई है. मामले में दोषी पाए गए पुलिसकर्मियों की अलग-अलग शमशान घाटों में ड्यूटी (Duty at crematoriums of policemen) लगाई गई है. शमशान घाटों पर ये पुलिसकर्मी शव दाह संस्कार में सहयोग देंगे.
बता दें गंगनहर कोतवाली क्षेत्र के रामनगर निवासी हरीश चांदना संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गए थे. उनकी पत्नी परमजीत कौर ने 20 अक्टूबर को गुमशुदगी दर्ज कराने के लिए गंगनहर कोतवाली गई, लेकिन कई दिनों तक कोतवाली गंगनहर ने गुमशुदगी दर्ज नहीं की. 26 अक्टूबर को उक्त प्रकरण में गुमशुदगी दर्ज की गई, उसी तारीख की शाम को पुलिस को एक अज्ञात व्यक्ति का शव रेलवे लाइन के पास मिला. पुलिस ने गुमशुदा व्यक्ति से उसका मिलान या परिजनों से शिनाख्त करवाए बिना 72 घंटे इंतज़ार करने के बाद शव का अंतिम संस्कार कर दिया.
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मामले का खुलासा तब हुआ जब मृतक के परिजन उसे तलाशते हुए सिविल अस्पताल मोर्चरी पहुंचे. वहां मौजूद कर्मियों को फोटो दिखाते हुए जानकारी ली. जिसके बाद पता लगा कि उस शव का तो दो दिन पहले पोस्टमॉर्टम करके अंतिम संस्कार कर दिया गया. उक्त प्रकरण में कोतवाली गंगनहर की बड़ी लापरवाही सामने आई. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार द्वारा प्रकरण की जांच पुलिस अधीक्षक ग्रामीण को देते हुए तीन दिन में जांच कर रिपोर्ट देने हेतु निर्देशित किया गया.
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जांच के बाद एसपी ग्रामीण स्वप्न किशोर सिंह ने प्रकरण में कर्मियों में परस्पर संवाद की कमी, अज्ञात शव की पहचान के लिए पर्याप्त प्रयास न करने व अनजाने में लापरवाही बरतने का नतीजा बताया. जिस पर एसएसपी हरिद्वार ने एसएचओ गंगनहर को अंजाने में हुई लापरवाही पर फटकार लगाते हुए कोतवाली गंगनहर में तैनात उपनिरीक्षक नवीन सिंह, कांस्टेबल चेतन सिंह तथा संतोष को दिनांक 14 व 15 नवंबर को क्रमशः खड़खड़ी घाट, सती घाट व चण्डीघाट पर आठ-आठ घंटे मौजूद रहकर आने वाले शवों के शवदाह में सहयोग करने का मानसिक/भावनात्मक/सामाजिक दण्ड दिया गया, ताकि हरीश चांदना प्रकरण में बरती गई लापरवाही का कर्मियों को पश्चाताप हो.